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जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले तब काल जटायु को लेने आया !
और जैसे ही काल आया। गिद्धराज जटायु ने मौत को ललकार कहा: "सावधान ऐ काल !आगे बढ़ने की कोशिश मत करना...!”
मैं मृत्यु को स्वीकार तो करूँगा...लेकिन तू मुझे तब तक नहीं छू सकता जब तक मैं सीता जी की सुधि प्रभु "श्रीराम" को नहीं सुना देता...!”
मौत उन्हें छू नहीं पा रही है प्रतीक्षा कर रही खड़ी हो कर..! और मौत तब तक खड़ी रही, जब तक जटायु ने प्राण नहीं त्यागे।

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