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रविंद्रनाथ अपने साथियों के साथ बंगाल की खाड़ी में हल्दिया के पास मछली पकड़ने गया था। तभी अचानक समुद्र का रुख बदल गया तेज़ तूफान उठा, लहरें बेकाबू हो गईं और देखते ही देखते नाव पलट गई। रविंद्रनाथ के 11 साथी समंदर की विशाल लहरों में बह गए।

लेकिन रविंद्रनाथ ने हार नहीं मानी।
वो तैरता रहा… तैरता रहा… ऊपर बस आसमान, नीचे अथाह पानी। घंटे बीते, दिन बीत गए।

5 दिन तक रवीन्द्रनाथ समंदर में अकेले तैरता रहा, न खाना, न पीने का पानी, सिर्फ़ ज़िंदा रहने की जिद। तैरते रहने के दौरान मैंने कुछ नहीं खाया। रुक-रुक कर बारिश हो रही थी और बड़ी-बड़ी लहरें उठ रही थीं। बारिश होने पर ही मैंने पानी पिया।

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