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शिखा जिसकी धरोहर है तिलक से जो अलंकृत है,
चमकता भाल दिनकर सा जो हर भय से वंचित है।
जो शम्भू सा विनाशी है जो विष्णु सा हृदय कोमल,
है जिसमें तेज ब्रह्मा का वो ब्राह्मण सर्व वन्दित है।।

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