आतंक पर शरारत भरी बातें
यह अत्यंत शर्मनाक है कि हमारे यहाँ ऐसे नेता है, जो आतंकियों के हमले को राजनीतिक विरोधियों पर थोपना चाहते हैं
जो भारतीय स्वयं को एक पंथनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक
जीवन शैली का समर्थक मानते हैं, उन्हें उन सभी नेताओं से
सावधान रहना चाहिए, जो लाल किले के निकट हुए आतंकी हमले की स्पष्ट एवं बिना किसी हिचकिचाहट के निंदा करने
से इन्कार कर रहे हैं और मुसलमानों के बीच तथाकथित "असंतोष" को लेकर शरारत भरे तर्क प्रस्तुत कर रहे हैं।