हैदराबाद के सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन रोड पर मनोहर टॉकीज़ की पुरानी गली से गुज़रते ही एक नज़ारा सबका ध्यान खींच लेता है। एक छोटी- सी दुकान के सामने लोगों की लंबी लाइन लगी होती है। दुकान के बाहर एक पोस्टर है— 'करुणा किचन'।
इस लाइन में ज़्यादातर वे लोग होते हैं जो ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के अलग-अलग ज़िलों से रोज़गार की तलाश में यहाँ आए हैं। दुकान के अंदर, एक छोटी सी रसोई में, जॉर्ज राकेश बाबू लोगों को बाँटने के लिए कई थालियाँ तैयार करते हैं।