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कोटि-कोटि वंदन शहादत को 🔥🙏
21 से 27 दिसंबर—इतिहास के वो सात दिन, जब धर्म, सत्य और मानवता की रक्षा के लिए गुरु गोबिन्द सिंह जी का पूरा परिवार बलिदान की अग्नि में समर्पित हो गया। ये दिन सिर्फ तारीख़ नहीं, बल्कि साहस, त्याग और अडिग आस्था की अमर गाथा हैं, जिन्हें याद कर हर भारतीय का मस्तक श्रद्धा से झुक जाता है। 🙏🔥
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साहिबज़ादे—बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह—कम उम्र में रणभूमि में उतरकर वीरता की ऐसी मिसाल बन गए कि इतिहास भी नतमस्तक हो गया। वहीं छोटे साहिबज़ादे—बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह—दीवार में ज़िंदा चुनवा दिए गए, पर धर्म से डिगे नहीं। उनका साहस आज भी हमारी आत्मा को झकझोर देता है। 🔥🕯️
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माता गुजरी जी का त्याग—ठंडे बुर्ज में बैठकर पोतों की शहादत सुनना और फिर ईश्वर में लीन हो जाना—मानव इतिहास की सबसे करुण और महान कथाओं में से एक है। ये केवल एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की चेतना को दिशा देने वाला प्रकाश है। 🙏💔
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गुरु गोबिन्द सिंह जी का संदेश स्पष्ट था—ज़ुल्म के आगे झुकना नहीं, सत्य के साथ खड़े रहना है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि जब आस्था, सम्मान और मानवता पर आघात हो, तब बलिदान ही सबसे बड़ा उत्तर बनता है। यही सीख आने वाली पीढ़ियों के लिए दीपक है। 🔥📜
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इन सात दिनों की शहादत हमें एकजुट करती है, हमें बेहतर इंसान बनने का संकल्प देती है। कोटि-कोटि प्रणाम उन अमर शहीदों को, जिनके बलिदान से हमारी पहचान, हमारी आज़ादी और हमारी आत्मा सुरक्षित है। वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह। 🙏🇮🇳
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