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श्रद्धेय स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी को नमन करते हुए प्रस्तुत है मेरी कविता 'पोखरण-विस्फोट' अग्रिम आभार सहित
सीमा ने मस्तक मांगे हैं घाटी मांग रही है खून
नोंच रहे हैं भारत - माता को पाकिस्तानी नाखून
चाबुक लेकर धमकाता है अब सी.टी.बी.टी. कानून
और हमारे दाँये - बाँयें - ऊपर एटम सना जुनून
और बढे ना गिनती आगे भारत माँ पर चोटों की
इसीलिए तो आवश्यकता थी परमाणु- विस्फोटों की

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