आज गुरुग्राम में ली गई यह तस्वीर…
भारी बारिश में एक पिता अपने बेटे का हाथ थामे ऑफिस की ओर बढ़ रहा है।
छुट्टी लेने का मन तो उसका भी किया होगा,
लेकिन ज़िम्मेदारियाँ घर बैठने नहीं देतीं।
वो सपनों के लिए नहीं,
घरवालों की ज़रूरतों के लिए निकलता है।
कल जब बच्चे बड़े होंगे,
तो शायद कहेंगे —
“आपने हमारे लिए किया ही क्या है?
जो किया, वो तो हर माँ-बाप करते हैं।”
बीवी भी कह देगी —
“ज़िंदगी में आपने हमें दुख के सिवा क्या दिया?”
लेकिन इन सब सवालों, तानों और खामोशियों के बीच
जो इंसान बिना किसी जवाब की उम्मीद के
लगातार मेहनत करता रहता है…
वो सिर्फ एक बाप ही हो सकता है।
#appreciation