संवत 1368 (ई.सन 1311) का वो दिन, जब जालौर दुर्ग पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। विका दहिया नामक एक गद्दार ने मुट्ठी भर धन के लालच में किले के गुप्त रास्ते अल्लाउद्दीन खिलजी को बता दिए।
वह गद्दार खुश होकर घर पहुंचा और पत्नी हीरादे को धन दिखाते हुए भविष्य के सुनहरे सपने दिखाने लगा। लेकिन वह भूल गया कि उसकी पत्नी एक स्वाभिमानी क्षत्राणी है। हीरादे को समझते देर न लगी कि यह धन उसके राजा कान्हड़ देव और मातृभूमि के साथ गद्दारी की कीमत है।
हीरादे की आँखों के सामने जालौर के विनाश, जौहर और शाके के दृश्य घूमने लगे। उसके लिए पति से बड़ा राष्ट्र था। उसने बिना एक पल गंवाए तलवार उठाई और अपने ही गद्दार पति का सिर धड़ से अलग कर दिया।
एक हाथ में नंगी तलवार और दूसरे में पति का कटा सिर लेकर उसने राजा कान्हड़ देव को खबर दी। इतिहास में ऐसे उदाहरण विरले ही मिलते हैं जहाँ एक पत्नी ने देशद्रोही पति को सजा देकर अपना सुहाग उजाड़ लिया हो।
अफ़सोस, इतिहास के पन्नों में हीरादे जैसी वीरांगनाओं को वो स्थान नहीं मिला जिसकी वो हकदार थीं।
🙏 शत-शत नमन इस महान वीरांगना को!
👉 क्या आपने पहले कभी वीरांगना हीरादे की यह गाथा सुनी थी? कमेंट में 'जय राजपूताना' लिखकर नमन करें।
#heerade #jalore #rajputana #historyofrajasthan #veerangana #kanhaddev #rajputhistory #indianhistory #bravewomen

image