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म्यांमार के संत विराथू ने अपने धर्म कि रक्षा के लिए लाखों रोहिंग्याओं को देश से खदेड़ दिया।
भारत के हिन्दुओं के शंकराचार्य राममंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में कमियां ढूंढ रहे हैं।
जो काम भारत फ्रांस अमेरिका जर्मनी नहीं कर पाए वो एक संत विराथू ने कर दिया।
आज बर्मा में करोड़ों रुपए के बने मस्जिद वीरान पड़े हैं क्योंकि आज देश में शांतिप्रिय देखने को भी नहीं मिलेंगे ।
विराथु वो भगवा संत जिसके नाम से शांतिप्रिय कांपते हैं ।
शांतिप्रियों का लकी नंबर 786 होता है वैसे ही विराथु ने 969 नंबर निकाला और पूरे देश से आवाह्न किया कि जो भी राष्ट्र भक्त बौद्ध हैं इस नंबर का स्टीकर लगाएं ।
इसके बाद टैक्सी चालकों दुकानों वालों ने लगाना शुरू किया विराथू का संदेश था हम अपनी सारी खरीददारी और व्यापार अपनों से ही करेंगे हम उसी टैक्सी में बैठेंगे जंहा स्टीकर लगा होगा उसी होटल में खाना खाएंगे जंहा स्टीकर लगा होगा ।
उन्होंने कहा कि हो सकता है वो कोई माल कम कीमत पर बेचकर आकर्षित करें लेकिन आप दो पैसे ज्यादा दे देना लेकिन व्यापार अपनों से ही करना सोचना दो पैसे देश के लिए खर्च कर दिया।
हालात यह हो गए कि शांतिप्रियों के व्यापार ठप हो गए पूरे देश में इनके होश ठिकाने आ गए यह स्टीकर देशभक्ति का प्रमाण बन गया आज बर्मा से शांतिप्रिय भाग चुके हैं।
विराथु ने कहा चाहे आप कितने भी दयावान और शांतिप्रिय हों लेकिन आप एक पागल कुत्ते के साथ नहीं सो सकते अन्यथा आपकी शांति वंहा कोई काम नहीं आएगी आप बर्बरता से खत्म कर दिए जाओगे।
उन्होंने कहा शांति स्थापित करने के लिए हथियार उठाना होगा शांति के लिए युद्ध जरूरी है विराथू ने यह ज्ञान गीता से लिया फिर आतंक की बीमारी झेल रहे म्यांमार के लोग एकजुट हो गए विराथू के लिए जान देने जान लेने को तैयार हो गए पूरे म्यांमार से शांतिप्रियो को भगा दिया गया।
अफसोस हमारे पास कोई अपना विराथू नहीं है।
जय हिन्द जय भारत 🇮🇳

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