🚨 तमिलनाडु | न्यायपालिका | द कम्यून ग्राउंड रिपोर्ट....

मद्रास हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन के एक आदेश ने तमिलनाडु की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। थिरुप्परनकुंड्रम में परंपरागत दीपम प्रज्वलन को लेकर दिए गए आदेश में न्यायालय ने कोई नया अधिकार नहीं दिया, बल्कि वर्षों से चली आ रही धार्मिक परंपरा को लागू करने का निर्देश दिया। इसके बावजूद इस आदेश के बाद 100 से अधिक सांसदों द्वारा महाभियोग की पहल ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

आरोप यह नहीं है कि न्यायाधीश ने कानून तोड़ा, बल्कि यह है कि उन्होंने हिंदू धार्मिक अधिकारों को कानून के दायरे में मान्यता दी। राज्य सरकार द्वारा लंबे समय से कानून व्यवस्था के नाम पर धार्मिक गतिविधियों पर रोक के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में अदालत का हस्तक्षेप राजनीतिक टकराव का कारण बना।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला न्यायिक स्वतंत्रता और धार्मिक अधिकारों के संतुलन से जुड़ा है। सवाल यह है कि क्या परंपराओं के संरक्षण को भी अब राजनीतिक कसौटी पर कसा जाएगा।

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