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Pope Francis was a kind and compassionate leader. The Filipino people loved him dearly. May he rest in peace. #popefrancis
* बहु तुम लोग मुझे घर से क्या निकलोगे? मैं तुम्हें इस घर से निकालती हूं *
" बहु ये घर आज भी मेरा ही है। तुम इस घर की बहू हो। तुम्हारा पूरा सम्मान है इस घर में। तुम पूरे हक़ से इस घर में रहती हो। पर भूलो मत तुम कि आज भी ये घर मेरे ही नाम पर है"
सरिता जी अपनी बहू यामिनी से बोली।
अचानक सरिता जी सोफे पर बैठती हुई बोली। ये सुनकर उनकी बहू यामिनी की सभी सहेलियां उसके चेहरे की तरफ देखने लगी। वही यामिनी के चेहरे पर गुस्सा उतर आया।
" मम्मी जी जगह देखकर बोलिए। आप मेरी सहेलियों के सामने ये सब बोल रही है। इन सबके सामने मेरी बेइज्जती कर रही है"
यामिनी ने कहा।
" अच्छा! बेइज्जती भी होती है? ये तुम्हें अब समझ में आ रहा है। अभी जब तुम इन लोगों के सामने मेरी बेइज्जती कर रही थी, तब तो ये सब बड़ी ही ताली मार मार कर हंस रही थी"
सरिता जी ने कहा।
" मुझे लगता है हम लोगों को अब यहां से चलना चाहिए "
यामिनी की सहेली ने कहा तो उसकी बात सुनकर दूसरी सहेलियां भी जाने के लिए खड़ी हो गई।
" नहीं, कहीं नहीं जा रही हो तुम लोग। मम्मी जी को तुम लोगों से माफी मांगनी ही पड़ेगी "
यामिनी ने अपनी ही धुन में कहा।
" बहु, वो तो नहीं होने वाला"
सरिता जी ने पूरे विश्वास के साथ कहा। ये सुनकर यामिनी उन पर गुस्सा करते हुए बोली,
" भुलिए मत। आप हमारे साथ रहती है। जैसे हम आपको रखेंगे आपको वैसे ही रहना पड़ेगा"
" मैं कैसे रहूंगी, ये डिसाइड करने वाली तुम कोई नहीं होती हो। और बड़ी बेशर्म सहेलियां है तुम्हारी। इतना कुछ सुनने के बावजूद भी ये लोग यहां से जाने का नाम नहीं ले रही है।
अगर मेरी माफी का इंतजार कर रही है तो वो तो मैं नहीं मांगने वाली"
सरिता जी ने कहा।
ये सुनते ही यामिनी की सहेलियां उसके रोकने के बावजूद भी वहां से चली गई।
अब तो यामिनी का गुस्सा सातवें आसमान पर था।
" आने दीजिए आज आपके बेटे को। आज या तो आप ही रहेंगी या फिर मैं"
कहती हुई यामिनी अपने कमरे में चली गई।
जबकि सरिता जी वही बैठी रही। आज तो सरिता जी भी फैसला करना चाहती थी। आखिर कब तक यूं ही अपने स्वाभिमान को मारती रहती।
अभी आठ महीने पहले ही तो उन्होंने अपने बेटे गौतम की शादी यामिनी के साथ की थी। उस समय वो कितनी खुश थी। बस हमेशा यही सोचती रहती थी कि घर में बहू आ जाएगी तो अब कम से कम उनका अकेलापन दूर हो जाएगा। पति के देहांत के बाद तो वो बिल्कुल भी अकेली हो गई थी।
गौतम उस समय कॉलेज के अंतिम वर्ष में था।
उनके पति मरने से पहले इतना पैसा तो छोड़ गए थे कि उन्हें
अपने खर्चों के लिए सोचना नहीं पड़ता था। गौतम तो कॉलेज और उसके बाद अपने कोचिंग वगैरह के लिए चला जाता था। उस दौरान वो घर में बिल्कुल अकेली ही रहती थी।