image

image
2 jr - Vertalen

EID Milad Un - Nabi Mubarak 🌙☪️

image

image

2 jr - Vertalen

17 अगस्त 1666 में शिवाजी महाराज ने औरंगजेब की सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देकर आगरा की कैद से मुक्ति पा ली थी और 91 दिन की यात्रा कर महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में पहुंच गए थे। विभिन्न इतिहासकारों के दिए विवरण से हमें पता चलता है कि कितना बड़ा काम था.
इतिहासकार जदुनाथ सरकार अपनी किताब 'शिवाजी एंड हिज़ टाइम्स' में लिखते हैं, ''जय सिंह ने शिवाजी को यह उम्मीद दिलाई कि हो सकता है कि औरंगज़ेब से मुलाकात के बाद कि वो दक्कन में उन्हें अपना वायसराय बना दें और बीजापुर और गोलकुंडापर कब्ज़ा करने के लिए उनके नेतृत्व में एक फौज भेजें."
शिवाजी अपनी माँ जीजाबाई को राज्य का संरक्षक बनाकर 5 मार्च, 1666 को औरंगज़ेब से मिलने आगरा के लिए निकल पड़े।
9 मई, 1666 को शिवाजी आगरा के बाहरी इलाके में पहुंच चुके थे, जहाँ उस समय औरंगज़ेब का दरबार लगा हुआ था.
तय हुआ कि 12 मई को उनकी औरंगज़ेब से मुलाकात कराई जाएगी। राम सिंह ने शिवाजी को उनके बेटे संभाजी और 10 अर्दलियों के साथ दीवाने आम में औरंगज़ेब के सामने पेश किया.
मराठा प्रमुख की तरफ़ से औरंगज़ेब को 2,000 सोने की मोहरें 'नज़र' और 6,000 रुपये 'निसार' के तौर पर पेश किए गए। शिवाजी ने औरंगज़ेब के सिंहासन के पास जाकर उन्हें तीन बार सलाम किया.
एक क्षण के लिए दरबार में सन्नाटा छा गया. औरंगज़ेब ने सिर हिलाकर शिवाजी के उपहार स्वीकार किए. फिर बादशाह ने अपने एक सहायक के कान में कुछ कहा. वो उन्हें उस जगह पर ले गया जो तीसरे दर्जे के मनसबदारों के लिए पहले से ही नियत थी। दरबार की कार्यवाही बदस्तूर चलने लगी. शिवाजी को इस तरह के रूखे स्वागत की उम्मीद नहीं थी.
जदुनाथ सरकार लिखते हैं कि शिवाजी को ये बात पसंद नहीं आई कि औरंगज़ेब ने आगरा के बाहर उनका स्वागत करने के लिए राम सिंह और मुख़लिस ख़ाँ जैसे मामूली अफ़सर भेजे.
दरबार में सिर झुकाने के बावजूद शिवाजी के लिए न तो कोई अच्छा शब्द कहा गया और न ही उन्हें कोई उपहार दिया गया। उन्हें साधारण मनसबदारों के बीच कई पंक्तियाँ पीछे खड़ा करवा दिया गया, जहाँ से उन्हें औरंगज़ेब दिखाई तक नहीं पड़ रहे थे.
तब तक शिवाजी का पारा सातवें आसमान तक पहुंच चुका था। उन्होंने राम सिंह से पूछा कि उन्हें किन लोगों के बीच खड़ा किया गया है?
जब राम सिंह ने बताया कि वो पाँच हज़ारी मनसबदारों के बीच खड़े हैं तो शिवाजी चिल्लाए, ''मेरा सात साल का लड़का और मेरा नौकर नेताजी तक पाँच हज़ारी है. बादशाह की इतनी सेवा करने और इतनी दूर से आगरा आने का बावजूद मुझे इस लायक समझा गया है?''
फिर शिवाजी ने पूछा, ''मेरे आगे कौन महानुभाव खड़े हैं?'' जब राम सिंह ने बताया कि वो राजा राय सिंह सिसोदिया हैं तो शिवाजी चिल्लाकर बोले, ''राय सिंह राजा जय सिंह के अदना मातहत हैं. क्या मुझे उनकी श्रेणी में रखा गया है?''
औरंगज़ेब के पहले 10 वर्षों के शासन पर लिखी किताब 'आलमगीरनामा' में मोहम्मद काज़िम लिखते हैं, ''अपने अपमान से नाराज़ होकर शिवाजी राम सिंह से ऊँचे स्वर में बात करने लगे. दरबार के क़ायदे क़ानून का पालन न हो पाने से परेशान राम सिंह ने शिवाजी को चुप कराने की कोशिश की लेकिन वो कामयाब नहीं हुए.''
शिवाजी की तेज़ आवाज़ सुन कर औरंगज़ेब ने पूछा कि यह शोर कैसा है? इस पर राम सिंह ने कूटनीतिक जवाब दिया, ''शेर जंगल का जानवर है. वो यहाँ की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है और बीमार पड़ गया है.''
उन्होंने औरंगज़ेब से माफ़ी माँगते हुए कहा कि दक्कन से आए इन महानुभाव को शाही दरबार के क़ायदे-कानून नहीं पता हैं.
इस पर औरंगज़ेब ने कहा कि शिवाजी को बगल के कमरे में ले जाकर उनके ऊपर गुलाब जल का छिड़काव किया जाए. जब वो ठीक हो जाएं तो उन्हें दरबार ख़त्म होने का इंतेज़ार किए बिना सीधे उनके निवास स्थान पर पहुंचा दिया जाए.
राम सिंह को हुक्म हुआ कि वो शिवाजी को आगरा शहर की चारदीवारी से बाहर जयपुर सराय में ठहराएं.
जैसे ही शिवाजी जयपुर निवास पहुंचे, घुड़सवारों की एक टुकड़ी ने निवास को चारों तरफ़ से घेर लिया. थोड़ी देर में कुछ पैदल सैनिक भी वहाँ पहुंच गए. उन्होंने अपनी तोप का मुँह भवन के हर दरवाज़े की तरफ़ मोड़ दिया.
जब कुछ दिन बीत गए और सैनिक चुपचाप शिवाजी की निगरानी करते रहे तो यह साफ़ हो गया कि औरंगज़ेब की मंशा शिवाजी को मारने की नहीं थी.
डेनिस किंकेड अपनी किताब 'शिवाजी द ग्रेट रेबेल' में लिखते हैं, ''हाँलाकि शिवाजी को वो भवन छोड़ने की मनाही थी ,जहाँ वो रह रहे थे लेकिन तब भी औरंगज़ेब उन्हें गाहेबगाहे विनम्र संदेश भेजते रहे.''
उन्होंने उनके लिए फलों की टोकरियाँ भी भिजवाईं गई. शिवाजी ने प्रधान वज़ीर उमदाउल मुल्क को संदेश भिजवाया कि बादशाह ने उन्हें सुरक्षित वापस भेजने का वादा किया था लेकिन उसका कुछ असर नहीं हुआ। धीरे-धीरे शिवाजी को ये एहसास होने लगा कि औरंगज़ेब उन्हें भड़काना चाह रहे हैं ताकि वो कुछ ऐसा काम करें जिससे उन्हें मारने का बहाना मिल जाए.
भवन की निगरानी कर रहे सैनिकों ने अचानक महसूस किया कि शिवाजी के व्यवहार में परिवर्तन आना शुरू हो गया. वो खुश दिखाई देने लगे.
वो उनकी सुरक्षा में लगे सैनिकों के साथ हँसी-मज़ाक करने लगे. उन्होंने सैनिक अफ़सरों को कई उपहार भिजवाए और उनको ये कहते सुना गया कि आगरा का मौसम उन्हें बहुत रास आ रहा है।
शिवाजी ने ये भी कहा कि वो बादशाह के बहुत एहसानमंद हैं कि वो उन के लिए फल और मिठाइयाँ भिजवा रहे हैं. शासन की आपाधापी से दूर उन्हें आगरा जैसे सुसंस्कृत शहर में रह कर बहुत मज़ा आ रहा है.
इस बीच औरंगज़ेब के जासूस उन पर दिन-रात नज़र रखे हुए थे. उन्होंने बादशाह तक ख़बर भिजवाई कि शिवाजी बहुत संतुष्ट नज़र आते हैं.

image
sunita293verma creëerde nieuwe artikel
2 jr - Vertalen

Achieve Your Aim with OPTOMAXX Academy | #best SEO Company In Jaipur

sunita293verma creëerde nieuwe artikel
2 jr - Vertalen

Achieve Your Aim with OPTOMAXX Academy | #best SEO Company In Jaipur