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17 साल बाद मालेगांव धा. मा/का मामले में बड़ा फैसला
#malegaoncase #sadhvipragya #specialcourtofnia

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उत्तराखंड का एक ऐसा जबरदस्त कलाकार जो पूरे देश में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके हैं शायद ही आज कोई ऐसा होगा जिन्होंने इनके वीडियो ना देखे हो। जी हां हम बात कर रहें हैं जसपाल शर्मा के बारे में मूल रूप से कौसानी के रहने वाले जसपाल शर्मा जिनका जन्म हल्द्वानी में हुआ और वहीं से पढ़ाई-लिखाई भी हुई। इन्होंने महात्मा गांधी इंटर कॉलेज हल्द्वानी से बारहवीं पास किया है और कुमाऊं के सबसे बड़े कॉलेज से MBPG से ग्रेजुएशन करी।

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उत्तराखंड कुमाऊँ के मशहूर लोकगायक फौजी ललित मोहन जोशी अब भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हो गए हैं।
उत्तराखंड कुमाऊँ के फेमस लोकगायक फौजी ललित मोहन जोशी को कोन नहीं जानता सायद ही पूरे उत्तराखंड में ऐसा कोई होगा जिसने ललित मोहन जोशी के गाने ना सुने हो उनके द्वारा गाये गए गीत आज भी लोगो के दिलों में राज करते हैं
अपनी सुरीली आवाज़ और भावपूर्ण गीतों से उन्होंने न सिर्फ पहाड़ की पीड़ा को शब्दों में पिरोया, बल्कि अपने गीतों से लोगों को झूमने पर भी मजबूर किया।
ललित मोहन जोशी का सफर वर्ष 2001 के करीब कैसेट युग से शुरू हुआ था। उस दौर का उनका लोकप्रिय गीत “टक टका टक कमला” आज भी लोगों की जुबान पर है। पिछले 24 वर्षों से वे लगातार अपने गीतों से श्रोताओं का मनोरंजन करते आ रहे हैं।
उनके कई गीत आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं, जिनमें से
दूर बड़ी दूर बर्फीला डाना, ओ कफूवा तू डान्यू ओरा, हिट कमु न्हे जानू, हे दीपा मिजात दीपा जैसे सेकड़ो गीत जिन्होंने गाये हैं
फौजी ललित मोहन जोशी की फैन फॉलोइंग आज लाखों में है, पूरे उत्तराखंड में एस कोई नहीं होगा जिन्होंने इनके द्वारा गाये गाने ना सुने हो, जो न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश और विदेश में तक सुने जाते हैं । उनकी गायकी ने कुमाऊँनी संस्कृति और लोकसंगीत को नई पहचान दिलाई है।
उम्मीद है की अब फौजी ललित मोहन जोशी अब सेना से सेवानिवृत्ति के बाद अपने गीत-संगीत को और अधिक समय देकर लोगों को नए गीतों का तोहफ़ा देंगे।

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कल मेरे भाई रजिन्दर सिंह (JBR) के पुत्र अक्षित के रोका समारोह में सम्मिलित होकर हृदय से प्रसन्नता अनुभव की। भोले नाथ पूरे परिवार पर अपना आशीर्वाद निरंतर बनाए रखें।

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श्रृंगार दर्शन ।।
॥ ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा ॥ 👣जय माँ बगलामुखी जी 👣🌹आज के अलौकिक दर्शन🌹 29th july 2025 ✨Mahant Shri Rajat Giri ji ✨
9816500036 9350000036

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श्रृंगार दर्शन ।।
॥ ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा ॥ 👣जय माँ बगलामुखी जी 👣🌹आज के अलौकिक दर्शन🌹 31st july 2025 ✨Mahant Shri Rajat Giri ji ✨
9816500036 9350000036

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ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦਸਵੇਂ ਅਤੇ ਆਖਰੀ ਮਨੁੱਖੀ ਗੁਰੂ ਸਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਜੀਵਨ ਕਾਲ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ:
* ਜਨਮ: 22 ਦਸੰਬਰ, 1666 ਈਸਵੀ ਨੂੰ ਪਟਨਾ ਸਾਹਿਬ (ਬਿਹਾਰ) ਵਿੱਚ।
* ਗੁਰਗੱਦੀ: 11 ਨਵੰਬਰ, 1675 ਈਸਵੀ ਨੂੰ, ਜਦੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਿਤਾ, ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਨੇ ਸ਼ਹਾਦਤ ਦਿੱਤੀ ਸੀ।
* ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ: 1699 ਈਸਵੀ ਨੂੰ ਵਿਸਾਖੀ ਦੇ ਦਿਹਾੜੇ ਅਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿੱਚ।

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माता रानी के चरणों को हिंदू धर्म में, विशेषकर देवी पूजा में, अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना जाता है। इनके कई गहरे आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक अर्थ हैं:
माता रानी के चरणों का महत्व
* समर्पण और भक्ति का प्रतीक:
* भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करने के लिए माता के चरणों में नमन करते हैं। यह पूर्ण समर्पण का भाव है, जहाँ भक्त अपनी सारी चिंताएँ और अहंकार देवी को सौंप देते हैं।
* यह दर्शाता है कि भक्त देवी की शरण में हैं और उनसे कृपा और सुरक्षा की कामना करते हैं।

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