Best Astrologer in New South Wales | Famous Astrologer
https://famousastrologycentre.....com/best-astrologer-
Best Astrologer in New South Wales known for best services.Famous & Genuine Astrologer ready to relieve humans from their problems.He is Top & Good Astrologer

Best Astrologer in New South Wales | Famous Astrologer
famousastrologycentre.com

Best Astrologer in New South Wales | Famous Astrologer

Best Astrologer in New South Wales known for best services.Famous & Genuine Astrologer ready to relieve humans from their problems.He is Top & Good Astrologer

image

image

image

image
2 anos - Traduzir

केदारनाथ महादेव का वास, एक ऐसा स्थान जहाँ भक्ति और आध्यात्म का तेज भक्तों के सर पर भोले का जादू बनकर चढ़ता है! वहाँ पर लगातार बढ़ते रिल्स और नाचगाने से तंग आकर आखिरकार केदारनाथ मंदिर समिति को कड़े निर्देश लागू करने ही पड़े!

मुझे लगता है हर स्थान का अपना महत्व होता है, जो स्थान भक्ति का है, उसे भक्ति का ही रहने देना चाहिए! केवल वायरल होने के लिए कोई वहाँ कुत्ता लेकर जाता है, कोई अतरंगी कपड़े पहनकर, कोई मंदिर परिसर में ही नाचगान शुरू कर देता है तो कोई प्रपोज करने जाता है!

प्रपोज करने वाले के भाव कितने भी सुंदर हों पर उन्हें यह समझना चाहिए कि एफिल टॉवर और केदारनाथ में कितना बड़ा अंतर हैं! वह पिकनिक स्पॉट या बगीचा नहीं...आराधना और भक्ति का स्थान हैं।

अगर वाकई यह ईश्वर के समक्ष मात्र आग्रह, मनोकामना होती तो न कैमरे की आवश्यकता थी और न ही रिल्स बनाकर उसे वायरल करने की!

तेज़ आवाज़ में संगीत, नाच और वीडियो बनाकर हम अपने आध्यात्मिक ऊर्जा स्थलों को टूरिस्ट प्लेस बनाने पर तुले हैं।

मंदिर समिति के इस निर्णय का स्वागत है। आशा है अब कम से कम दूसरे मंदिरों में भी ऐसे कड़े निर्देश दिए जाएंगे! हाँ कुछ अति आधुनिक लोगों को यह सब बुरा लग सकता हैं, पर हमारे धाम, ज्योतिर्लिंग और मंदिरों की कुछ गरिमा है, कुछ प्रोटोकॉल है...कम से कम उसका ध्यान तो अवश्य रखना ही चाहिए!

महादेव का स्थल दर्शन स्थल हैं...प्रदर्शन स्थल नहीं!

बाकी तो...

image
2 anos - Traduzir

कल बारिश बहुत तेज़ थी, और छुट्टी का दिन था। बाहर के मौसम को देख सभी का कुछ स्पेशल खाने का मन हुआ, मैं किचन में जा ही रही थी कि, तभी एक मित्र का परिवार सहित आना हुआ। उनके आने पर मैं तुरन्त चाय पकौड़े की तैयारी करने लगी।

मुझे किचन में देखकर वो असहज हो गए। उन्हें लगा कि उनके यूँ आ जाने से मुझे किचन में जाना पड़ा। उन्होंने कहा ; अरे आप मत परेशान होइए हम बाहर से ऑर्डर कर लेते हैं...हम आए ही इसलिए कि हम सब बालकनी में बैठकर खूब एंजॉय करेंगे!

मैं उनकी असहजता और केयर को समझ गई थी। उन्हें बताया कि यह तो मैं वैसे भी बना ही रही थी...आपके आने से कुछ काम न बड़ा!

और रही बात ऑर्डर करने की तो मेरी कोशिश रहती है कि ऐसे मौसम में जब तूफान आ रहा, तेज़ ठंड हो या बहुत तेज़ बारिश हो रही हो...मैं बाहर से खाना ऑर्डर नहीं करती!

देखिए डिलीवरी बॉयज यह काम है कि अगर हम ऑर्डर करेंगे, तो उन्हें तो अपनी सेहत जोखिम में डालकर उस ऑर्डर को पूरा करने आना ही होगा। वह जॉब उनकी मजबूरी है...पर हमारी जब तक कोई विशेष मजबूरी न हो, हमे उन्हें नहीं बुलाना चाहिए!

मानवता के लिए ही कम से कम हमे ऐसे मौसम में बाहर से खाना बुलाना अवॉयड करना चाहिए!

मेरी बात उन्हें पसन्द आई और उन्होंने भी इस बात को आगे से ध्यान रखने की बात कही! और हम सभी ने आराम से घर बैठकर घर के बने नाश्ते का आनंद लिया।

आज भी यहाँ भारी वर्षा की चेतावनी हैं। सरकारी अलर्ट है। आप सभी से एक प्रार्थना है कि जब तक अति आवश्यक न हो, बाहर से कोई भी डिलीवरी, चाहे वह ग्रॉसरी हो, सब्जी हो या खाना...हो सके तो अवॉयड करें।

डिलीवरी बॉय भी इंसान हैं। किसी के बेटे हैं...कोई उनके लिए भी फिक्रमंद होता हैं, कोई उनके भी घर जल्दी लौटने की कामना करता है।

वैसे आमदनी का मारा जाना या जोखिम को उठाना दोनो ही बुरा है।
हो सकता है एक दिन चला जाए और बीमार होकर 8 दिन काम पर न आए तो आमदनी तो तब भी मारी जाएगी। सबकी अपनी सोच हैं। सबके अपने निर्णय।

बस इतनी सी ही तो बात हैं।

बाकी तो...आल इज वेल!

image
2 anos - Traduzir

पिज़्ज़ा, बर्गर और कोल्डड्रिंक के बीच बचपन और छुट्टियाँ गुज़ारते बच्चे, क्या समझ पाएंगे दोना भर के खाए गए करूँदे, शहतूत, जामुन और खजूर का स्वाद?
रिमोट को हाथों में दबाए तेज़ी से चैनल बदलते यह बच्चे, कभी समझ नहीं पाएंगे वो इंतज़ार, जो रविवार को सुबह 9 बजे मिक्की एंड डोनाल्ड के लिए किया जाता था।
यूट्यूब के दौर में क्या यह विश्वास कर पाएंगे कि रस्सी कूदना, नदी पहाड़, लोहा लँगड़, चंगा अष्ठा और चोर सिपाही जैसे गेम गर्मियों की छुट्टियों की सबसे मजेदार यादें हुआ करती थी।
एक क्लिक पर क्रिकेट, फुटबॉल और सबवे रन खेलने वाले बच्चे हँसेंगे, जब वो सुनेंगे कि सिर्फ गुल्ली डंडा खेलने के लिए हम कई किलोमीटर पैदल चल कर जल्दी जाकर, अपनी टीम की गुच्छी की 'जगह रोकते' थे!
जब पहली बार मोबाइल हाथ मे आया था, तो ऐसा एहसास हुआ जो उस मोबाइल का स्लोगन था ' कर लो दुनिया मुट्ठी में' !
आज एप्पल, टैब और लैपि में उलझी जनरेशन उस खुशी को महसूस नहीं कर पाएगी, जो दो हजार के अपने 'पर्सनल' मोबाइल को पहली बार हाथ मे थामते हुए हुई थी!
'डिलीट फ़ॉर एवरीवन' के जमाने मे क्या जान पाएंगे एक टेक्स्ट और ईमेल के आने जाने पर दिल की धड़कन कैसे बढ जाती थी!
न ये कभी जान पाएंगे कि, सायबर कैफे से घर की टेबल पर पहुंच कर इंटरनेट जब फोन में पहुंचा...तो दुनिया कितनी आसान लगने लगी थी!
मुझे लगता है हमारी कच्ची उम्र की दहलीज पर खड़ी पक्की दोस्ती को तब ही सचेत हो जाना था, जब ऑरकुट ने अचानक हमारे स्कूल के दोस्तों को 'सोशल फ्रेंड' बना दिया था!
रिल्स, इंस्टा और ऑनलाइन पढ़ाई पर वक्त गुज़ारते बच्चे क्या कभी समझ पाएंगे, कि हम वो हैं जिन्होंने अपने पिता के बहीखाते भी बनाए हैं और बच्चों की पीपीटी भी! हम अब उनके जितने ही आधुनिक हैं, और जी भर के गंवारपन्ति वाला बचपन भी जी आए हैं, और हम ही हैं जिनके पास अपने माता पिता के लिए भी वक्त है, और बच्चे के लिए भी!
हम वो हैं जिन्होंने वक्त को सरकते हुए देखा हैं...हम वो हैं जो वक्त को भागते हुए देख रहे हैं।
गुजरी बातों को जस्ट चिल कहने वाले बच्चे, क्या गुजरी पीढ़ी को शुक्रिया कह पाएंगे?
बाकी तो...आल इज वेल!

image