Descubrir MensajesExplore contenido cautivador y diversas perspectivas en nuestra página Descubrir. Descubra nuevas ideas y participe en conversaciones significativas
Cryptocurrency Exchange Software Development Company - BlockchainAppsDeveloper
Elevate your crypto business with our top cryptocurrency exchange software development company. We offer tailored cryptocurrency exchange software solutions that fit your unique business needs.
Explore → https://bit.ly/3zHQPuW
#cryptocurrency #cryptocurrencies #cryptotrading #startups #cryptonews #cryptocommunity #cryptocurrencymarket #entrepreneur #bitcoin #ethereum #tron #token #unitedstates #unitedkingdom #southkorea #japan #indonesia #thailand #usa #uk #uae
जाट एक पशुपालक और किसान कबीला था । भारत से ही ये कबीला मध्य एशिया तक गया और फिर कालांतर में वापिस सिंध होते हुए हरियाणा राजस्थान पंजाब उत्तर प्रदेश में आबाद हो गया। इस कबीले की खुद की सत्ता होती थी खाप पंचायत के रुप में और खाप मुखिया ही कबीले के सिद्धांत बनाते थे और जो कबीले के नियम तोडता था उन्हें कबीले से निकाल देते थे ठीक ऐसे ही इस कबीले के मुखिया ने उल्टा चलने के कारण कुछ जाटों को इस कबीले से अलग कर दिया और वा जाट छंटे हुए दबंग होते थे जो दुसरे गांव के लोगो को पीटकर आ जाते थे कभी उनका पशुधन छीन लेते थे जब ये बातें वो गांव वाले खाप मुखिया को बताते थे तो कबीले का मुखिया उनको जात से बेदखल कर देता था ठीक ऐसे ही एक जाटों का बदमाश ग्रुप मोहम्मद गोरी के समय उसके सेनिको को लूट खसोट करने लगा ये सिलसिला लंबे समय तक चलता रहा मगर गोरी के वापिस चले जाने के बाद उसके उत्तराधिकारी कुतुबुद्दीन ऐबक के शासनकाल में भी दिल्ली में ये लूट खसोट जारी रही जिसकी सजा बेगुनाह जाटों को भी मिलने लगी और वो बदमाश छंटे हुए मुस्टंडे जाट मोज उडाते रहे एक दिन जाट कबीले के मुखिया ने पंचायत करके उन जाटों को गांव से निकाल दिया और जाटों को चेतावनी दे दी कोई भी जाट उनसे शादी नहीं करेगा जिन जाटों को खाप पंचायत के मुखिया ने निकाला था उनमें ज्यादातर मेहला सांगवान तुरान खोखर जाटों की संख्या ज्यादा थी और इसके बाद ये जाटों के गांव छोड़कर करनाल कुरुक्षेत्र के जंगलों की तरफ आकर रहने लगे ये जाट लोग मेहनती और निडर थे और खूब दबंगाई करते थे , मुस्लिम रांगडो से इनका छतीस का आंकड़ा था सो इन्होंने ढाक जंगलों को काटकर उपजाउ बनाया और जाटों से अलग होने के बाद रोड़ बनकर रहने लगे । यही वो समय था जब पहली बार रोड़ जाति अस्तित्व में आई थी । ये करीबन 800-900 वर्ष पुरानी बात होगी और ये जाट आपस में ही शादी करने लगे इन बागी हुए जाटों ने कभी दुसरी जाति के लोगों को अपने में नहीं मिलाया और ना कभी अपनी लड़कियां मुगल शासको को डोले के रुप में दी । आज के समय में वो तमाम बागी जाट करनाल कुरुक्षेत्र की जमीन पर रोड़ जाति के रुप में रहते हैं । आज भी रोड़ जाति के बड़े बुजुर्ग कहते मिल जाते हैं जब उनसे कोई पूछता है कि रोड़ कोनसी जाति है तो वो बस एक ही जवाब देते हैं गर्व से हम जाटों जेसे है । रोड़ो ने कभी नहीं कहा कि वो गुर्जरों जेसे है राजपूतो जैसे है हमेशा जाटों जैसे ही बताया इसका लाजिक भी यही था बुजुर्ग पीढ़ी दर पीढी बताते आए थे की हम पहले जाट ही थे मगर हमें किन्हीं कारणों से अलग कर दिया गया था । रोड़ जाति का एक भी ऐसा त्यौहार नहीं है जो देशवाली जाटों से ना मिलता हो । और जो सांगवान गोत्र के जाट बागी हुए थे वो कोल गांव में रहते हैं
और उस गांव में सिर्फ एक ही गोत्र के जाट आबाद हुए थे । और मेहला गोत्र के जाट मोहाना गांव में आबाद हुए थे !
ये रोड़ उन्हीं वीर जाटों का अभिन्न अंग है जिनको भूल चूक से हमारे जाट कबीले के लोगों ने अलग कर दिया था । अपनी जड़ों को पहचानो रोड़ो
जाट सूरजभान सिंह दहिया (जाट इतिहास रिसर्चर)