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लकड़ी का चरखा अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ भारत की आज़ादी की लड़ाई का शक्तिशाली प्रतीक बन गया था. इसे महात्मा गांधी ने भारतीयों में आत्मनिर्भर होने की भावना जगाने के लिए अपनाया था. उन्होंने स्वराज, स्वशासन और ब्रिटिश सामानों के बहिष्कार करने के लिए लोगों से इसे रोज कातने की सलाह दी और प्रोत्साहित किया था.
इस चरखे को मुंबई की मणि भवन से लाया गया है, जो 17 सालों तक महात्मा गांधी के राजनीतिक आंदोलन का मुख्यालय रहा.
ये प्रदर्शनी सीएसएमवीएस, मुंबई और नेशनल म्यूज़ियम दिल्ली और ब्रिटिश म्यूज़ियम लंदन के सहयोग से आयोजित की जा रही है.
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इस संग्रह में 100 से अधिक कलाकृतियां शामिल हैं, जो भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास के महत्वपूर्ण पड़ावों को दर्शाती हैं.
सालों पहले दुनिया के दूसरे कोनों में क्या हो रहा था, प्रदर्शनी में इसकी झलक भी मिलती है. प्रदर्शनी में 124 ऐसी वस्तुएं शामिल की गई हैं, जिन्हें लंदन के म्यूज़ियम से लाया गया है और ये पहली बार म्यूज़ियम से बाहर निकली हैं.
मुंबई में भारत के 20 लाख सालों के इतिहास से जुड़ी एक प्रदर्शनी लगी है. इस प्रदर्शनी को नाम दिया गया- इंडिया एंड वर्ल्डः ए हिस्ट्री इन नाइन स्टोरीज़.
यहां 228 मूर्तियों, बर्तनों और तस्वीरों को इनके समय के अनुसार नौ वर्गों में बांटा गया है.
मुंबई से सबसे बड़े म्यूज़ियम छत्रपति शिवाजी वास्तु संग्रहालय में 11 नवंबर से शुरू हुई यह प्रदर्शनी 18 फरवरी 2018 तक चलेगी. इसके बाद दिल्ली में ये प्रदर्शनी सजेगी.
संग्रहालय के निदेशक सब्यसाची मुखर्जी के मुताबिक, "प्रदर्शनी का उद्देश्य भारत और बाकी दुनिया के बीच संबंध तलाशना और तुलना करना है."
जयपुर
शहर भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी है। जयपुर राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है। जयपुर को पिंक सिटी अथवा गुलाबी नगरी भी कहते है, इसको सबसे पहले स्टैनली रीड ने पिंक सिटी बोला था । जयपुर की स्थापना आमेर के महाराजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने की थी। यूनेस्को द्वारा जुलाई 2019 में जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया है[3] जयपुर के राज अभी अशोक जी है
जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।[4] यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है।[5] जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से सजा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली, आगरा और जयपुर आते हैं भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति अर्थात लोकेशन को देखने पर यह एक त्रिभुज (Triangle) का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल कहते हैं। संघीय राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है।
शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं।[6] बाद में एक और द्वार भी बना जो 'न्यू गेट' कहलाया।[7] पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह 111 फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शहर के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वैधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं।[6]
जयपुर
शहर भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी है। जयपुर राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है। जयपुर को पिंक सिटी अथवा गुलाबी नगरी भी कहते है, इसको सबसे पहले स्टैनली रीड ने पिंक सिटी बोला था । जयपुर की स्थापना आमेर के महाराजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने की थी। यूनेस्को द्वारा जुलाई 2019 में जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया है[3] जयपुर के राज अभी अशोक जी है
जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।[4] यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है।[5] जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से सजा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली, आगरा और जयपुर आते हैं भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति अर्थात लोकेशन को देखने पर यह एक त्रिभुज (Triangle) का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल कहते हैं। संघीय राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है।
शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं।[6] बाद में एक और द्वार भी बना जो 'न्यू गेट' कहलाया।[7] पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह 111 फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शहर के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वैधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं।[6]