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धार्मिक अवहेलना पर भी आप की छाती नहीं फटती और अवहेलना करने वाले से आप को अपने संबंध महत्वपूर्ण लगते हैं तो आप &₹&₹&#₹ ही हैं।
एक बार एक पहलवान रात को कहीं जा रहा था कि अंधेरे का फ़ायदा उठाकर चार लुटेरों ने उसपर हमला कर दिया। लेकिन पहलवान उनसे इस तरह भिड़ गया जैसे कोई बहादुर इंसान लड़ सकता था औऱ उसने चारों को पस्त कर दिया। वे चार थे लेकिन पहलवान ने उनकी हड्डी पसली तोड़ दी।
कुछ समय बाद बामुश्किल वे चारो लुटेरे उस पहलवान पर कब्जा पा सके। उसके बाद फिर जब उसकी जेब में हाथ डाला तो केवल एक अठन्नी निकली तब वे हैरान रह गए। उन्होंने पहलवान से कहा कि आज अगर तेरे पास कुछ रुपए होते तो तू हमें जिंदा नही छोड़ता। हद कर दी तूने भी। अठन्नी के पीछे ऐसी मारकाट मचाई और हमलोग भी इसलिए बर्दाश्त कर गए क्योंकि हमें लगा तेरे पास बहुत माल है। अजीब आदमी है तू तो।
खैर पहलवान वास्तव में सनातनी योद्धा हुआ और उसने उन लुटेरों को स्पष्ट किया कि सवाल कम या ज्यादा माल का नहीं है बल्कि सवाल इज्ज़त का है। मैं अपनी माली हालत बिलकुल अजनबी लोगों के सामने प्रकट नहीं करता। जेब में अठन्नी ही है लेकिन उससे मेरी आबरू तब तक ढकी हुई है जब तक कोई सच्चाई जान नहीं जाता। तुम लोग ये हकीकत जान कर मुझें बेआबरू न कर पाओ इसलिए मैं लड़ा। अगर मेरे पास दो लाख रुपये रहते तो मैं खुशी खुशी तुम लोगों को दे देता।
इस पटल पर हिंदुओ के आभाषी धर्म ध्वजा वाहक ऐसे ही हैं। उनकी धार्मिकता भले ही धर्म ज्ञान और साहित्य से परिपूर्ण न हो, भले ही वो बहुत बड़े नाम न हों, भले ही उनका लिखा लाखों लाइक कमेंट न पाता हो लेकिन अपने धर्म, अपने तीज त्योहारों,अपने आराध्यों के प्रति किसी की भी अनर्गल टिप्पणी उन्हे बर्दाश्त नहीं होती है।
धर्म से हम हैं हमसे धर्म नहीं है इसलिए कोई कितना भी बड़ा नाम, बड़ी पदवी या बड़े यश का मालिक हो धर्म विरुद्ध जायेगा या धर्म द्रोही के साथ खड़ा दिखेगा तो पेला ही जायेगा यही मूल मंत्र कल था, आज है, कल भी रहेगा।
मैं इन अभाषी धर्म ध्वजा वाहकों का अभिनंदन करते हुए गर्व से कह सकता हूं की जब तक धार्मिक श्रेष्ठता के लिए बिना भेदभाव (ये कोई बड़ा लेखक है, ये बड़ा प्रसिद्ध व्यक्ति है, ये बड़ा नामी है) के हम यूं ही लड़ते रहेंगे तो सनातक की भगवा धर्म पताका यूं ही लहलहाती रहेगी, उत्कर्ष पाएगी।
धर्म ध्वजा वाहक जांबाजों आप की वजह से हम सभी सनातनियों का मस्तक गर्व से ऊंचा है, सतत अभिनंदन है आप का, सदा जय हो आप की।
#नोट:::धार्मिक मुद्दों पर कहानियां या संवेदनाएं लिख कोई एकाध बार बरगला सकता है। धर्म द्रोहियों और पथ भ्रष्टों के लिए खड़े होने का मन ही है तो शांति से तथस्ट हो तमाशा देखिए। व्यवहारिक ज्ञान की बातें गलत व्यक्ति को समझाएंगे तो श्रेष्ठ कहे जायेंगे वरना आप कोई भी हों ऑटो लाइकर से ही लाइक कमा पाएंगे और पेले ही जायेंगे।
शरद सिंह भैया 🙏💕
खुद का धर्म ज्ञान मेरे शून्य है, लेकिन आपका छाव ( ध्वजा 🚩) मेरे पास अनंत है 🚩
शामों को बैठना, आसमान को देखना और यह सोचना कि कल हम भी वहां होंगे विरक्ति का अंतिम छोर है।
कितना बड़ा आसमान है,दुर तक चलती हल्की ठंडी हवा जो मन के जैसे प्रतिफल गतिमान उससे ऊपर सब खाली है।
रूई के फोहा कि तरह दिखते बादल और उससे ऊपर है चांद जो छोटी छोटी उधार की खुशियां को समेटे हुए है अभी तेरस की रात बाकी है ।
घने छायादार वृक्ष राक्षस मालुम होते हैं,हवा उनको चीरते हुए निकल रही है,यही जेठ की दोपहरी में कल्प वृक्ष का रूप धरा करेंगे और तब भी कोई महावीर के जैसे ज्ञान ना होगा सुस्ताने पर भरेंगे खालीपन ही।
पक्षी अभी सोये नहीं ,फसल कटाई का मौसम इनकी व्यापारिक सीजन है ,पास में ही थ्रेसर लगा है।
आप भी बाहर निकल कर देखना आसमान को आज नहीं तो कल। वह तो पुश्तैनी गांव मकान है सबका है अपना है और नित्य व शाश्वत है।
चित्र नाइटमोड में खींचा तो अंधेरे में भी तस्वीर अच्छी आई। बढ़िया तकनीक है, लेकिन आज बिजली नहीं आई तो इतना देखा,गुना और उकेरा।
बस और तो क्या .....शुभरात्रि