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 इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद ओझा अपनी पुस्तक राजपूताने के इतिहास में लिखते हैं : महाराणा प्रताप का साथ तोमर, प्रतिहारों और सोलंकी राजपूतों ने भी दिया। 
हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप जी की सेना में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए कल्याण प्रतिहार, नागभट्ट प्रतिहार और मिहिरभोज प्रतिहार के वंशज हल्दीघाटी में विद्यमान रहे और अपनी प्राचीन सैन्य परंपरा का वहन किया