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आज मीडिया के सामने चेहरा छुपा कर खड़ी वह लड़की खुद को अंजली की दोस्त बता रही है! क्या वाकई यह दोस्त है? ऐसे होते हैं दोस्त?
आज बता रही है कि सामने से टक्कर मारी..यह भी की लड़को को पता था कि स्कूटी गाड़ी के नीचे है।
जब दोनो लोग एक ही स्कूटी पर थें और यह भाग्य से बच गई तो डर के भागी क्यों? हम अगर राह में भी किसी को पीड़ित देख लें चाहे वह अनजान ही क्यों न हो, उसे छोड़कर नहीं जा सकते...कम से कम पुलिस को खबर तो की ही जा सकती है।
कुछ लोग किसी के दोस्त नहीं होते। बस मतलब और स्वार्थ के लिए साथ होते हैं, पर मन ही मन सामने वाले का बहुत बुरा चाहते हैं...यह लड़की भी हो सकता है वैसी ही 'दोस्त' हो! जो अंजली को तकलीफ में छोड़कर भाग गई। जब आप दुःख, तकलीफ और बुरे दौर में हों, तब ही इंसान की और दोस्ती की पहचान होती है।
अपराधियों को तो सजा मिलनी ही चाहिए और मिलेगी भी, पर मुझे यह लड़की निधि सबसे बड़ी गुनहगार लग रही है। यह चाहती तो इसकी दोस्त बच सकती थी...पर इसने यह नहीं चाहा।
बेशक कानून में ऐसे लोगों के लिए कोई सजा नहीं है। पर ईश्वर की अदालत में ऐसे लोगों के लिए 'कर्मा' बना है। जो दुख और तकलीफ तुमने अपने दोस्त को दी है...वो किसी न किसी रूप में तुम तक पहुंचेगी ही। किसी की मजबूरी पर अट्टहास करने वाले उस मंजर तक जरूर पहुँचते हैं।
यह मेरा विश्वास है।