Discover postsExplore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
हर्षवर्धन के उपरान्त भारत में भारत में बस एक ही शक्तिशाली वंश पैदा हुआ था जिसने पूरे भारत पर राज किया हो और वह वंश था, गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के समाप्त होने के बाद, इस युग में भारत अनेक छोटे बड़े राज्यों में विभाजित हो गया जो आपस मे लड़ते रहते थे। इनके राजा 'राजपूत'(राजपुत्र का भ्रष्ट शब्द) कहलाते थे तथा सातवीं से बारहवीं शताब्दी के इस युग को 'राजपूत युग' कहा गया है।
राजपूत (संस्कृत से राजा-पुत्र, "राजा का पुत्र" अथवा "जागिरदार अथवा क्षत्रिय प्रमुख की संतान भारतीय उपमहाद्वीप से उत्पत्ति वाले वंशों की वंशावली है जिसमें विचारधारा और सामाजिक स्थिति के साथ स्थानीय समूह और जातियों की विशाल बहुघटकी समूह शामिल हैं। राजपूत शब्द में योद्धाओं से सम्बंधित विभिन्न पितृवंशात्मक गोत्र शामिल हैं: विभिन्न गोत्र स्वयं के राजपूत होने का दावा करती हैं यद्यपि सभी को सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत नहीं किया जाता।
इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़ से ली गई, दिल्ली के राजघरानों की रचना की गई