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जातिवाद क्या होता है
आइए भारत में हम दिखाते हैं 👇👇👇👇👇👇
अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत कर एयरपोर्ट से घर तक अकेले आई राजस्थान की पहली महिला बॉडी बिल्डर दलित बेटी @Priya_SinghB जी को ढेर सारी शुभकामनाएं।💐
बधाई देने वालो की कमी इसलिए है की कुछ लोग जातिवाद का चश्मा कभी उतार नही सकते।
देश को इस बिटिया पर गर्व है,
बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाए...!

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जातिवाद क्या होता है
आइए भारत में हम दिखाते हैं 👇👇👇👇👇👇
अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत कर एयरपोर्ट से घर तक अकेले आई राजस्थान की पहली महिला बॉडी बिल्डर दलित बेटी @Priya_SinghB जी को ढेर सारी शुभकामनाएं।💐
बधाई देने वालो की कमी इसलिए है की कुछ लोग जातिवाद का चश्मा कभी उतार नही सकते।
देश को इस बिटिया पर गर्व है,
बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाए...!

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लोग जल जाते है मेरी मुस्कान पर क्योंकी मेने कभी दर्द की नुमाइश नही की
जिन्दगी में जो मिला कबूल किया
किसी चीज की फर्माइस नही की

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बचपन मे एक कहावत पढ़ी थी...अंधा बांटे रेवड़ी...मुड़ मुड़ अपने को दे!

उस समय यह कहावत बहुत कन्फ्यूज करती थी। लगता कि जो रेवड़ी हम सामने वाले ठेले से लाते वो तो बिन मुड़े ही रेवड़ी देता। और जब बड़ी मंमी हम सब बच्चों को एक लाइन में बैठाकर कागज़ के टुकड़ों पर मुट्ठी मुट्ठी रेवड़ी रखती...वो तब भी नहीं मुड़ती।

फिर ज्यादा होशियार दिमाग ने यह सोचा कि यह अंधों की बात है...बाकी लोगों के लिए नहीं।

हालांकि कालांतर में सड़ जी ने इस कहावत का असली मतलब भी बता ही दिया। खैर...

जिसने बचपन मे यह मुट्ठी भर तिल और गुड़ से सजी रेवड़ियाँ न खाई हो, उनका बचपन भी क्या बचपन होगा? ठंडी रातों में कभी जेबों में ठूसते तो कभी भाई बहनों के प्यार पर अपनी 2 4 रेवड़ियाँ कुर्बान कर के अपना प्यार पक्का करना हो या कभी कट्टी वाले दोस्तों से बट्टी करनी हो...रेवड़ियाँ सबसे बेस्ट हुआ करती थी। उस समय लगता था कि काश किसी दिन पूरा ठेला भर के रेवड़ी मिल जाए!

अब शहर बदला और आदतें बदली। और रेवड़ी का टेस्ट भी बदल गया। मुझे कभी रेवड़ी का वह टेस्ट न मिला जो बचपन मे खाया करते थे।

बचपन की यादें और रेवड़ी का स्वाद...सब कुछ मिसिंग मिसिंग है।

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बिहार में शुरू हुई जाति जनगणना तो पूरे देश में क्यों नहीं? UP निकाय चुनाव में भाजपा द्वारा साजिश करके छीने गए OBC आरक्षण की लड़ाई में हम पिछड़े भाइयों के साथ हैं। इन मुद्दों पर विपक्ष एकजुटता के तहत Akhilesh Yadav जी से मिलकर जनांदोलन की तैयारी पर चर्चा।

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है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए,
जिस तरह से भी हो ये मौसम बदलना चाहिए।
फूल बन कर जो जिया वो यहाँ मसला गया,
जीस्त को फ़ौलाद के साँचे में ढलना चाहिए।
छिनता हो जब तुम्हारा हक़ कोई उस वक़्त तो,
आँख से आँसू नहीं शोला निकलना चाहिए।
साथी तैयार हो जाये अब संघर्ष सड़क पर होगा।

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