👉पति एक दरगाह पर माथा टेककर घर लौटा, 
तो पत्नी ने.. बगैर नहाए घर में घुसने नहीं दिया। 
 बोली : जब अपने खुद के बाप को शमशान में जलाकर आये थे, तब तो खूब रगड़ रगड़ के नहाये थे। 
 अब किसी की लाश पर मत्था टेककर आ रहे हो, अब नहीं नहाओगे? 
पति:   अरी बावरी, वो तो समाधी है। 
पत्नी:  समाधि ! 🤔 उसको जलाया कब ? जलावेगा तभी तो समाधी बनेगी। उसमें तो अभी लाश ही पड़ी है। 
पति:    अरे, वो तो देवता है। 
पत्नी:  तो तुम्हारे पिता क्या राक्षस थे ? 
पति:   अरी मुझे तो.. दोस्त अब्दुल ले गया था। अगर नहीं जाऊँगा तो उसे बुरा नहीं लगेगा? 
पत्नी:   तो उस अब्दुल को.. सामने वाले हनुमान जी के मन्दिर में मत्था टेकवाने ले आना। कल मंगलवार भी था। 
पति:   वो तो कभी नहीं आवेगा मत्था टेकने। 🤔🥳 
ला तू पानी की बाल्टी दे। 
पत्नी: तो चलिए!! कान पकड़ के 10 दंड बैठक लगाओ, और सौगंध लो कि.. आगे से किसी  की #मजार पर नहीं जाओगे ! 
#हमारा घर.. एक मंदिर है यहाँ  "बांके बिहारी जी , श्री राधा रानी , महादेव जी और.. मां आदिशक्ति की मर्जी चलती है। 
🌹🙏🌹 
#सुख आवै तब भी, #दुख आवै तब भी... 
#जय_सनातन_धर्म_की।