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यह आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के रविवल्सा गांव में 20 मीटर ऊंचा और 3 मीटर चौड़ा स्वयंभू शिवलिंग है।
इस शिवलिंग की महत्वपूर्ण बात यह बताई जाती है की यह शिवलिंग #त्रेतायुग का बताया जाता है।
और यह सदियों से लगातार ऐसे ही बढ़ता आ रहा है।
#ॐ_नमः_शिवाय???
रविवल्सा गाँव श्रीकाकुलम आंध्रप्रदेश
हर हर महादेव🔱🌿🙏
🚩🙏
#breakingnews
खाने का तेल सस्ता करने के लिए सरकार का बड़ा कदम
🔸क्रूड सोयाबीन और क्रूड सनफ्लॉवर तेल इंपोर्ट में राहत
🔸20 लाख MT ड्यूटी फ्री क्रूड सोयाबीन तेल इंपोर्ट का फैसला
🔸FY23, FY24 के लिए लागू होगा इंपोर्ट ड्यूटी में राहत का नियम
#edibleoil | #oilprice
।।मेरा सर्वेश्वर-मेरा श्याम।।
जय श्री श्याम जी
बाबा श्याम के भव्य श्रृंगार श्री श्याम दर्शन
24 मई 2022 मंगलवार
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष, नवमी, विक्रम सम्वत 2079
🙏जय श्री Զयเम जी 🙏
#shreeshyammandirkhatushyamji
यही जन्मभूमि है परम् पूज्य श्रीराम की ❤️😍🚩
#ayodhyawale #ayodhya #rammandir
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जेष्ठ मास के दूसरे मंगलवार पर महाबली बजरंग बली के भव्य दर्शन..!!🙏
हनुमान जी महाराज सभी का कल्याण करे..!!🙏
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1192 ए डी
तुर्की का सैन्य कमांडर बख्तियार खिलजी गंभीर रूप से बीमार पड़ गया।सारे हकीम हार गए परंतु बीमारी का पता नहीं चल पाया। खिलजी दिनों दिन कमजोर पड़ता गया और उसने बिस्तर पकड़ लिया ।उसे लगा कि अब उसके आखिरी दिन आ गए हैं ।
एक दिन उससे मिलने आए एक बुज़ुर्ग ने सलाह दी कि दूर भारत के मगध साम्राज्य में अवस्थित नालंदा महावीर के एक ज्ञानी राहुल शीलभद्र को एक बार दिखा लें ,वे आपको ठीक कर देंगे। खिलजी तैयार नहीं हुआ। उसने कहा कि मैं किसी काफ़िर के हाथ की दवा नहीं ले सकता हूं चाहे मर क्यों न जाऊं!! मगर बीबी बच्चों की जिद के आगे झुक गया। राहुल शीलभद्र जी तुर्की आए । खिलजी ने उनसे कहा कि दूर से ही देखो मुझे छूना मत क्योंकि तुम काफिर हो और दवा मैं लूंगा नहीं । राहुल शीलभद्र जी ने उसका चेहरा देखा,शरीर का मुआयना किया ,बलगम से भरे बर्तन को देखा, सांसों के उतार चढ़ाव का अध्ययन किया और बाहर चले गए
फिर लौटे और पूछा कि कुरान पढ़ते हैं?
खिलजी ने कहा दिन रात पढ़ते हैं
पन्ने कैसे पलटते हैं?
उंगलियों से जीभ को छूकर सफे पलटते हैं!!
शीलभद्र जी ने खिलजी को एक कुरान भेंट किया और कहा कि आज से आप इसे पढ़ें और राहुल शीलभद्र जी वापस भारत लौट आए।
उधर दूसरे दिन से ही खिलजी की तबीयत ठीक होने लगी
और एक हफ्ते में वह भला चंगा हो गया। दरअसल राहुल शीलभद्र जी ने कुरान के पन्नों पर दवा लगा दी थी जिसे उंगलियों से जीभ तक पढ़ने के दौरान पहुंचाने का अनोखा तरीका अपनाया गया था।
खिलजी अचंभित था मगर उससे भी ज्यादा ईर्ष्या और जलन से मरा जा रहा था कि आखिर एक काफिर मुस्लिम से ज्यादा काबिल कैसे हो गया?
अगले ही साल 1193 में उसने सेना तैयार की और जा पहुंचा नालंदा महावीर मगध क्षेत्र। पूरी दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञान और विज्ञान का केंद्र। जहां 10000 छात्र और 1000 शिक्षक एक बड़े परिसर में रहते थे । जहां एक तीन मंजिला इमारत में विशाल लायब्रेरी थी जिसमें एक करोड़ पुस्तकें, पांडुलिपियां एवं ग्रंथ थे।
खिलजी जब वहां पहुंचा तो शिक्षक और छात्र उसके स्वागत में बाहर आए क्योंकि उन्हें लगा कि वह कृतज्ञता व्यक्त करने आया है। खिलजी ने उन्हें देखा और मुस्कुराया.....और तलवार से भिक्षु श्रेष्ठ की गर्दन काट दी। फिर हजारों छात्र और शिक्षक गाजर मूली की तरह काट डाले गए। खिलजी ने फिर ज्ञान विज्ञान के केंद्र पुस्तकालय में आग लगा दी। कहा जाता है कि पूरे तीन महीने तक पुस्तकें जलती रहीं। खिलजी चिल्ला चिल्ला कर कह रहा था कि तुम काफिरों की हिम्मत कैसे हुई इतनी पुस्तकें पांडुलिपियां इकट्ठा करने की? बस एक कुरान रहेगा धरती पर बाकी सब को नष्ट कर दूंगा। पूरे नालंदा को तहस नहस कर जब वह लौटा तो रास्ते में विक्रम शिला विश्वविद्यालय को भी जलाते हुए लौटा।मगध क्षेत्र के बाहर बंगाल में वह रूक गया और वहां खिलजी साम्राज्य की स्थापना की।
जब वह लद्दाख क्षेत्र होते हुए तिब्बत पर आक्रमण करने की योजना बना रहा था तभी एक रात उसके एक कमांडर ने उसकी सोए में हत्या कर दी। आज भी बंगाल के पश्चिमी दिनाजपुर में उसकी कब्र है जहां उसे दफनाया गया था। और सबसे हैरत की बात है कि उसी दुर्दांत हत्यारे के नाम पर बिहार में बख्तियार पुर नामक जगह है जहां रेलवे जंक्शन भी है जहां से नालंदा की ट्रेन जाती है