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● बुरा न लगे तो पढ़ना ●
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✔️बाबा राम देव (यादव)
✔️जय गुरुदेव. (यादव)
✔️गुरमीत राम रहीम (जाट).
✔️रामपाल (जाट)
✔️राधे मां (खत्री सिंधी)
✔️आसाराम (धोबी सिंधी)
✔️स्वामी नित्यानंद (दलित)
✔️स्वामी चिन्मयानंद (दलित)
✔️साध्वी ऋतम्भरा (लोधी)
✔️साध्वी उमा भारती (लोधी)
✔️साक्षी महाराज (कुर्मी पटेल)
✔️साध्वी प्रज्ञा (मलाह दलित)
✔️साध्वी प्रभा (यादव)
✔️साध्वी चिदर्पिता (मोर्य)
✔️संत गणेश्वर (दलित पाशी)
✔️ब्रह्माकुमारी लेखराज बचानी (सिंधी बनिया)
✔️ओशो रजनीश (जैन)
✔️दाती महाराज. (दलित)
इन सभी बाबाओ की करतूतों को देखने के बाद,अब तो समझ मे आ रहा होगा, की क्यो
गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम-चरित मानस में लिखा है:--
"पूजहि विप्र सकल गुण हीना ।
शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा " ।।
अर्थात:- तुलसीदास का कहना है कि ब्राह्मण चाहे कितना भी ज्ञान गुण से रहित हो,उसकी पूजा करनी ही चाहिए,
शूद्र चाहे कितना भी गुण ज्ञान से वो सम्माननीय हो सकता है लेकिन कभी पूजनीय नही हो सकता।।
श्री तुलसीदास जी ( ब्राह्मण)
श्री वल्लभाचार्य जी ( ब्राह्मण )
सत श्री लाल जी ( ब्राह्मण )
श्री स्वामीनारायण (ब्राह्मण)
श्री पांडुरंग दादा (ब्राह्मण)
श्री परशुराम जी(ब्राह्मण)
श्री वेदव्यास जी (ब्राह्मण)
श्री शंकराचार्य जी ( ब्राह्मण )
श्री चाणक्य जी(ब्राह्मण)
श्री बीरबल जी (ब्राह्मण)
श्री तेनालीरामन जी (ब्राह्मण)
श्री रामानुज जी (ब्राह्मण)
श्री भट्टाचार्या जी (ब्राह्मण)
श्री सुश्रुत जी (ब्राह्मण)
श्री चरक जी (ब्राह्मण)
श्री दयानंद सरस्वती जी (ब्राह्मण)
श्री विवेकानंद जी (ब्राह्मण)
जलो मत बराबरी करना सीखो।
जो तुम खैरातियों से होगी नही ।।
कान खोल के सुन लो विरोधियों।
ब्राह्मण अपने कर्म, संस्कार, बुद्धि ओर बल पराक्रम से सर्वोच्य था है ओर रहेगा।
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"बागेश्वर धाम सरकार" 📿🕉🚩🙏
"जय श्री भगवान् परशुराम" 🌹🌹
एक पाकिस्तानी लड़के ने अमेरिकन स्कूल में एडमिशन लिया।
टीचर—तुम्हारा नाम क्या है?
लड़का—अहमद।
टीचर—अब तुम अमेरिका में हो, इसलिए आज से तुम्हारा नाम जॉन है।
लड़का घर पहुंचा।
मां—पहला दिन कैसा रहा अहमद?
लड़का— मैं अब अमेरिकन हूं, और आगे से मुझे जॉन कहकर पुकारना।
मां और पापा ने यह सुनते ही उसकी जमकर धुनाई कर दी।शरीर पर चोट के निशान लिए अगले दिन वह स्कूल पहुंचा।
टीचर—क्या हुआ जॉन?
लड़का—मेरे अमेरिकन बनने के 4 घंटे बाद ही मुझ पर 2 पाकिस्तानियों ने हमला कर दिया।
😂😂😂🤗😂😂😂
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ये वही रूसी पनडुब्बियां हैं,जिन्होंने 1971की जंग में अमेरिका के विरुद्ध ढाल बनकर भारतीय नोसेना की रक्षा की थी😯
50 साल पहले 1971 में अमेरिका ने भारत को 1971 के युद्ध को रोकने की धमकी दी थी। चिंतित भारत ने सोवियत संघ को एक एसओएस भेजा। एक ऐसी कहानी जिसे भारतीय इतिहास की किताबों से लगभग मिटा दिया गया है।
जब 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की हार आसान लग रही थी, तो किसिंजर ने निक्सन को बंगाल की खाड़ी में परमाणु-संचालित विमानवाहक पोत यूएसएस एंटरप्राइज के नेतृत्व में यूएस 7वीं फ्लीट टास्क फोर्स भेजने के लिए प्रेरित किया।
यूएसएस एंटरप्राइज, 75,000 टन, 1970 के दशक में 70 से अधिक लड़ाकू विमानों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु-संचालित विमानवाहक पोत था। समुद्र की सतह पर एक चलता-फिरता राक्षस । भारतीय नौसेना के बेड़े का नेतृत्व 20,000 टन के विमानवाहक पोत विक्रांत ने किया, जिसमें 20 हल्के लड़ाकू विमान थे।
अधिकारिक तौर पर यूएसएस एंटरप्राइज को खाड़ी बंगाल में भेजे जाने का कारण बांग्लादेश में अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा करने के लिए भेजा जाना बताया गया था, जबकि अनौपचारिक रूप से यह भारतीय सेना को धमकाना और पूर्वी पाकिस्तान की मुक्ति को रोकना था। भारत को जल्द ही एक और बुरी खबर मिली।
सोवियत खुफिया ने भारत को सूचना दी कि कमांडो वाहक एचएमएस एल्बियन के साथ विमान वाहक एचएमएस ईगल के नेतृत्व में एक शक्तिशाली ब्रिटिश नौसैनिक बेड़ा, कई विध्वंसक और अन्य जहाजों के साथ पश्चिम से भारत के जल क्षेत्र में अरब सागर की ओर आ रहे थे।
ब्रिटिश और अमेरिकियों ने भारत को डराने के लिए एक समन्वित नेवी हमले की योजना बनाई: अरब सागर में ब्रिटिश जहाज भारत के पश्चिमी तट को निशाना बनाएंगे, जबकि अमेरिकी चटगांव में हमला करेंगे। भारतीय नौसेना ब्रिटिश और अमेरिकी जहाजों के बीच फंस गई थी ।
वह दिसंबर 1971 था, और दुनिया के दो प्रमुख लोकतंत्र अब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए खतरा बन रहे थे। दिल्ली से एक एसओएस को मास्को भेजा गया था। रेड नेवी ने जल्द ही यूएसएस एंटरप्राइज को ब्लॉक करने के लिए व्लादिवोस्तोक से 16 सोवियत नौसैनिक इकाइयों और छह परमाणु पनडुब्बियों को भेजा।
भारतीय नौसेना के पूर्वी कमान के प्रमुख एडमिरल एन कृष्णन ने अपनी पुस्तक 'नो वे बट सरेंडर' में लिखा है कि उन्हें डर था कि अमेरिकी चटगांव पहुंच जाएंगे। उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे उन्होंने इसे धीमा करने के लिए करो या मरो की चाल में उद्यम पर हमला करने के बारे में सोचा।
2 दिसंबर 1971 को, जल दैत्य यूएसएस एंटरप्राइज के नेतृत्व में यूएस 7वीं फ्लीट की टास्क फोर्स बंगाल की खाड़ी में पहुंची। ब्रिटिश बेड़ा अरब सागर में आ रहा था। दुनिया ने अपनी सांस रोक रखी थी।
लेकिन, अमेरिकियों के लिए अज्ञात, जलमग्न सोवियत पनडुब्बियों ने उन्हें पीछे छोड़ दिया था।
जैसे ही यूएसएस एंटरप्राइज पूर्वी पाकिस्तान की ओर बढ़ा, सोवियत पनडुब्बियां बिना किसी चेतावनी के सामने आईं। सोवियत सबमरीन अब भारत और अमेरिकी नौसैनिक बल के बीच खड़े थे।
अमेरिकी_हैरान_रह_गए।
7वें अमेरिकी फ्लीट कमांडर ने एडमिरल गॉर्डन से कहा: "सर, हमें बहुत देर हो चुकी है। सोवियत यहां हैं!" पिछे हटने के अलावा कोई चारा नहीं
अमेरिकी और ब्रिटिश दोनों बेड़े पीछे हट गए। आज, अधिकांश भारतीय बंगाल की खाड़ी में दो महाशक्तियों के बीच इस विशाल नौसैनिक शतरंज की लड़ाई को भूल गए हैं।
तो याद करना जरूरी है
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