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आज एक तन्दूर पर रोटी लेने गया.....
मैंने पैसे दे दिए और रोटी लगाने वाले को रोटी लगाने को कहा.....
इसी बीच
एक और व्यक्ति भी आ गया मेरे पीछे......
उसको शायद जल्दी थी या बहुत से लोगों की तरह रोब झाड़ना चाहता था......😀
तन्दूर वाले से उसने दो तीन बार जल्दी रोटी लगाने को कहा....😀.
लेकिन तन्दूर वाले ने उसकी बात सुनी अनसुनी कर दी........! 😀
वह व्यक्ति जो रोब झाड़ रहा था फिर उसने और गुस्से से रोटी लगाने को कहा.....😎.
जिसके जवाब में रोटी लगाने वाले ने जो एतिहासिक बात कही......😎
फिर मुझ समेत किसी की भी हिम्मत ना हुई कि उसे जल्दी रोटी लगाने को बोले.... 😀
तन्दूर वाले ने कहा:- सब्र कर ले मामा!.... ...
अगर तू इतना ही बदमाश होता तो घर में रोटियां ना पकवा लेता.......?
😂😂😂
इस मंदिर को ध्यान से देखिए! इतना भव्य होने के बाद भी एकदम वीराना सा लगता है। इस मंदिर की क्रम से दो तस्वीरें मैं यहां शेयर कर रहा हूं, जिनमें पहली तस्वीर में आप देख रहे होंगे कि मंदिर के चारों तरफ घास हो गई हुई है वहीं दूसरी तस्वीर में आप देख पा रहे होंगे कि मंदिर इतना विशाल और भव्य होने के बाद भी किस प्रकार से विराना सा लगता है।
इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि हम अपने धर्म को भूलते जा रहे हैं। जहां भारत में सबसे ज्यादा मस्जिद और बहुत संख्या में चर्च बन रहे हैं वही हम अपने सनातन धरोहरों को भूलते जा रहे हैं। इस तस्वीर में ही देख लीजिए जहां लोगों का आवागमन अधिक होता है वहां की सतह पर ज्यादा घास फूस नहीं होती है। परंतु इस तस्वीर को देखकर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां पर लोगों का आवागमन बहुत ही कम है।
और यह इकलौता मंदिर नहीं है जो इस बदहाली की जिंदगी गुजर बसर कर रहा है। हमारे पूर्वजों के ऐसे कितने ही धरोहर है जो आज हमें बुला रहे हैं।
अपनी संस्कृति और धर्म से जुड़े रहने का यह सबसे उत्तम और सर्वश्रेष्ठ साधन होते हैं। हमारे पूर्वज जानते थे कि आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति और धर्म से जोड़े रखने के लिए मंदिरों का होना बहुत ही आवश्यक है। इसी कारण उन्होंने इतनी भव्य रचनाएं हमारे लिए छोड़ी है। परंतु क्या हम इनका रखरखाव और ख्याल भी नहीं रख सकते हैं?
(#ओना_कोना मंदिर, छत्तीसगढ़)
इस मंदिर को ध्यान से देखिए! इतना भव्य होने के बाद भी एकदम वीराना सा लगता है। इस मंदिर की क्रम से दो तस्वीरें मैं यहां शेयर कर रहा हूं, जिनमें पहली तस्वीर में आप देख रहे होंगे कि मंदिर के चारों तरफ घास हो गई हुई है वहीं दूसरी तस्वीर में आप देख पा रहे होंगे कि मंदिर इतना विशाल और भव्य होने के बाद भी किस प्रकार से विराना सा लगता है।
इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि हम अपने धर्म को भूलते जा रहे हैं। जहां भारत में सबसे ज्यादा मस्जिद और बहुत संख्या में चर्च बन रहे हैं वही हम अपने सनातन धरोहरों को भूलते जा रहे हैं। इस तस्वीर में ही देख लीजिए जहां लोगों का आवागमन अधिक होता है वहां की सतह पर ज्यादा घास फूस नहीं होती है। परंतु इस तस्वीर को देखकर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां पर लोगों का आवागमन बहुत ही कम है।
और यह इकलौता मंदिर नहीं है जो इस बदहाली की जिंदगी गुजर बसर कर रहा है। हमारे पूर्वजों के ऐसे कितने ही धरोहर है जो आज हमें बुला रहे हैं।
अपनी संस्कृति और धर्म से जुड़े रहने का यह सबसे उत्तम और सर्वश्रेष्ठ साधन होते हैं। हमारे पूर्वज जानते थे कि आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति और धर्म से जोड़े रखने के लिए मंदिरों का होना बहुत ही आवश्यक है। इसी कारण उन्होंने इतनी भव्य रचनाएं हमारे लिए छोड़ी है। परंतु क्या हम इनका रखरखाव और ख्याल भी नहीं रख सकते हैं?
(#ओना_कोना मंदिर, छत्तीसगढ़)
इस मंदिर को ध्यान से देखिए! इतना भव्य होने के बाद भी एकदम वीराना सा लगता है। इस मंदिर की क्रम से दो तस्वीरें मैं यहां शेयर कर रहा हूं, जिनमें पहली तस्वीर में आप देख रहे होंगे कि मंदिर के चारों तरफ घास हो गई हुई है वहीं दूसरी तस्वीर में आप देख पा रहे होंगे कि मंदिर इतना विशाल और भव्य होने के बाद भी किस प्रकार से विराना सा लगता है।
इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि हम अपने धर्म को भूलते जा रहे हैं। जहां भारत में सबसे ज्यादा मस्जिद और बहुत संख्या में चर्च बन रहे हैं वही हम अपने सनातन धरोहरों को भूलते जा रहे हैं। इस तस्वीर में ही देख लीजिए जहां लोगों का आवागमन अधिक होता है वहां की सतह पर ज्यादा घास फूस नहीं होती है। परंतु इस तस्वीर को देखकर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां पर लोगों का आवागमन बहुत ही कम है।
और यह इकलौता मंदिर नहीं है जो इस बदहाली की जिंदगी गुजर बसर कर रहा है। हमारे पूर्वजों के ऐसे कितने ही धरोहर है जो आज हमें बुला रहे हैं।
अपनी संस्कृति और धर्म से जुड़े रहने का यह सबसे उत्तम और सर्वश्रेष्ठ साधन होते हैं। हमारे पूर्वज जानते थे कि आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति और धर्म से जोड़े रखने के लिए मंदिरों का होना बहुत ही आवश्यक है। इसी कारण उन्होंने इतनी भव्य रचनाएं हमारे लिए छोड़ी है। परंतु क्या हम इनका रखरखाव और ख्याल भी नहीं रख सकते हैं?
(#ओना_कोना मंदिर, छत्तीसगढ़)
