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अगर बिना साधना के ईश्वर पाखंड है
तो क्या बिना साधना के स्कूल की शिक्षा व्यापार और पाखंड नहीं है????
कलियुग कला के अधीन है
सत्य का शाक्षात्कार नहीं जानता
भारत राष्ट्र क्या था और क्या बना दिया गया
सनातन वैज्ञानिक शोध है
विज्ञान सनातन पर शोध कर रहा है!!
जिस प्रकार स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी के गेट पर
प्रणाम करने से पढ़ाई या डिग्री नहीं मिलेगी
जिस प्रकार अध्यापक के चरण स्पर्श करने से शिक्षा नहीं मिलेगी अध्यापक के कहे हुए मार्ग पर 8 घंटे स्कूल में प्रतिदिन
गृह कार्य पर घर में सतत साधना
और यह सब करते हुए आपकी साधना के ऊपर निर्भर करता है
कि अपने स्कूल कॉलेज और यूनिवर्सिटी में जाकर कितनी मेहनत की है इस प्रकार से आपको शिक्षा प्राप्त होती है जब भौतिक शिक्षा
आपको इस प्रकार प्राप्त होती है
तो फिर आप सनातन अध्यात्म को सिर्फ मंदिर में प्रणाम करने से कैसे प्राप्त कर सकते हो
उस पर तो आप साधना करना नहीं चाहते और कहते ईश्वर कहीं नहीं है
राष्ट्रभक्ति एवं सनातन भक्ति
एक ही सिक्के के दो पहलू हैं यह अलग अलग नहीं हो सकते;!
भारत अब अपनी सनातन सभ्यता को बचाने के लिए जूझ रहा है !!
क्योंकि वर्तमान में भारत पर काली छाया इटालियन कलाकारों की एवं नृत्यांगनाओं की पड़ चुकी है
जिस प्रकार चंद्रगुप्त मौर्य के समय में
भारत की राजनीति पर सेल्युअस की पुत्री हेलन की पड़ी थी!!
और वही हाल है अब
नाचे कूदे तोड़े तान दुनिया राखे वाहू को मान
आज की दुनिया कलियुग में मात्र कलाकार है आज मैं सोच रहा हूँ कलाकार कलाकार ही रह सकता है !!