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महाकुम्भ का आयोजन, श्री अयोध्या धाम का विकास, काशी का कायाकल्प और मथुरा-वृंदावन का सौंदर्य...

जो पूरी दुनिया को आकर्षित कर रहा है, 'उन्हें' अच्छा नहीं लगता, उनको बांटना अच्छा लगता है..

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Tanush Kotian: The Future of IPL Bowling
"ThampiBook" presents an inspiring account of Tanush Kotian's rise in the IPL. Kotian has consistently delivered in challenging scenarios as a young bowler with exceptional skill. This narrative explores his ability to outsmart batters with strategic variations and precise deliveries. Kotian's dedication to his craft and calm demeanor under pressure set him apart as a future star. Dive into his journey to understand what makes him one of the most exciting talents in the IPL.
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माँ भगवती धारी देवी जी के आज के दर्शन

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जय माँ सुरकंडा देवी 🙏

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25 साल हो गए उत्तराखंड बने हुए। इस राज्य को अलग पहचान और विकास के सपने के साथ बनाया गया था, लेकिन इतने सालों बाद भी स्थिति बेहद निराशाजनक है। नेताओं ने कभी भी अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था, रोजगार या सड़क जैसे बुनियादी मुद्दों पर गंभीरता से नहीं सोचा।

जिसे भी सत्ता मिली, उसने केवल अपने स्वार्थ के लिए इस राज्य को जमकर लूटा। चुनाव के समय शराब की बोतलें और नोट बांटकर वोट हासिल करने की राजनीति यहां आम हो गई। ये सत्ता के भूखे लोग केवल चुनाव के वक्त जनता को याद करते हैं, और चुनाव के बाद गायब हो जाते हैं।

अब, जब 2026 में अपने क्षेत्र से प्रतिनिधित्व खत्म होने का डर सता रहा है, तो वही नेता अपने गांव के लोगों से वहां जाकर वोट करने की अपील कर रहे हैं। खैर, भले ही ये अपील स्वार्थ के लिए की जा रही हो, कम से कम आज अपने गांव की याद तो आई।

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उत्तराखंड से सिर्फ 24 लोग??
70 विधायक+8 सांसद भी नहीं कमा पाए?
फिर इनके चहेते ठेकेदार और अफसर अलग।
फर्जी है ये डाटा 😂😂

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काजल और मेरी शादी हमारे एक परिचित ने तय कराई थी। जब मैंने पहली बार काजल को देखा, तो उसकी सादगी और सौम्यता ने मेरा दिल छू लिया। जान-पहचान वालों के जरिए रिश्ता हुआ था, इसलिए शादी जल्द ही तय हो गई। मैंने सोचा, अब मेरी जिंदगी सुकून से कटेगी।

मेरा नाम आदित्य है, उम्र 26 साल। अगर आज आप मेरी जिंदगी को देखें, तो यह बहुत शानदार लग सकती है—महंगे कपड़े, गाड़ियां, और हर चीज की भरमार। लेकिन इस चमक-दमक के पीछे एक गहरा अंधेरा है, जो हर रोज मेरी आत्मा को कचोटता है।

मैं एक छोटे से कस्बे में पला-बढ़ा। कंप्यूटर रिपेयरिंग और असेंबल का काम करता था। मेहनत के बावजूद महीने के अंत में बस इतना कमा पाता था कि घर का खर्च चल सके। मेरी मां हमेशा कहतीं, **"बेटा, मेहनत से कमाई गई रोटी ही सबसे सच्ची होती है।"** लेकिन मन में हमेशा एक सवाल रहता था—क्या मैं इस साधारण जिंदगी से कभी बाहर निकल पाऊंगा?

एक दिन, मुझे शहर के अमीर इलाके से एक फोन आया। एक महिला का कंप्यूटर खराब था। जब मैं वहां पहुंचा, तो पहली बार उस जीवन को करीब से देखा, जिसकी मैंने सिर्फ कल्पना की थी—बड़े बंगले, महंगे सामान, और हर तरफ ऐशो-आराम।

यहीं मेरी मुलाकात स्नेहा से हुई। वह 35-36 साल की आत्मनिर्भर और खूबसूरत महिला थीं। उनकी आंखों और बोलचाल में आत्मविश्वास झलकता था। मैंने उनका कंप्यूटर ठीक किया, और जाते-जाते उन्होंने कहा, **"तुम बहुत अच्छा काम करते हो। अगर जरूरत पड़ी, तो मैं फिर से बुलाऊंगी।"**

कुछ दिनों बाद उनका फोन आया। इस बार उन्होंने मिलने के लिए बुलाया। उनके घर पर, उन्होंने मुझसे मेरी जिंदगी के बारे में पूछा। पहली बार किसी ने मेरी कहानी में इतनी दिलचस्पी ली थी। बातों-बातों में उन्होंने कहा, **"तुम मेहनती हो, लेकिन क्या तुमने अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के बारे में सोचा है?"**

मैंने हंसते हुए कहा, **"सोचता हूं, लेकिन मेरे पास साधन नहीं हैं।"** उन्होंने मुझे एक प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि अगर मैं उनके साथ समय बिताऊं, तो वे मेरी दो महीने की तनख्वाह से ज्यादा पैसे देंगी।

पहले तो मैंने मना कर दिया, लेकिन उनकी बातों ने मेरे मन में हलचल मचा दी। आखिरकार, मैंने हां कर दी। स्नेहा ने न केवल मुझे पैसे दिए, बल्कि महंगे कपड़े, आलीशान रेस्टोरेंट्स और शानदार जगहों पर ले जाने लगीं। कुछ ही समय में, उन्होंने मुझे अपनी अमीर दोस्तों से भी मिलवाया। उनकी दोस्तों ने भी मुझसे समय बिताने के लिए कहा और बदले में मेरी जरूरतें पूरी करने का वादा किया।

मेरी जिंदगी में अब हर वह चीज थी, जिसकी मैंने कभी ख्वाहिश की थी। लेकिन इस चमक-दमक के पीछे का अंधकार धीरे-धीरे मुझे अपनी चपेट में लेने लगा। स्नेहा और उनकी दोस्तों की उम्मीदें मुझसे बढ़ती गईं। उन्होंने मुझे दवाइयां देना शुरू कीं, यह कहकर कि इससे मेरी थकान दूर हो जाएगी।

शुरुआत में सब कुछ अच्छा लग रहा था। लेकिन धीरे-धीरे मैं उन दवाइयों पर निर्भर हो गया। जब मैं उन्हें नहीं लेता, तो मेरा शरीर कमजोर पड़ने लगता।

समय बीतने के साथ, मेरी जिंदगी की चमक फीकी पड़ने लगी। स्नेहा ने मुझसे मिलना बंद कर दिया, और उनकी जगह किसी और ने ले ली। जिन महिलाओं ने कभी मेरी परवाह की थी, वे अब मुझसे कतराने लगीं।

मुझे एहसास हुआ कि मैं उनके लिए सिर्फ एक खिलौना था। मेरे पास पैसे तो थे, लेकिन मेरी सेहत और आत्मसम्मान बर्बाद हो चुके थे। डॉक्टर ने बताया कि दवाइयों की लत ने मेरे लिवर और दिल को कमजोर कर दिया है।

26 साल की उम्र में, मैं एक बूढ़े आदमी जैसा महसूस करने लगा। अब मुझे समझ नहीं आता कि मैंने यह सब क्यों किया। क्या यह पैसे के लिए था? या उन सपनों के लिए, जो अब टूट चुके हैं?

आज मेरी जिंदगी में सबकुछ है, लेकिन वह सुकून नहीं, जो सच्चाई और मेहनत से कमाई हुई जिंदगी में होता है।

**"पैसा जरूरी है, लेकिन अपनी आत्मा, रिश्तों और सच्चाई की कीमत पर नहीं। शॉर्टकट्स से जिंदगी कभी बेहतर नहीं बनती।"**

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