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Dentist Rouse Hill - The Grove Dental

The Grove Dental in Rouse Hill offers top-quality dental care with experienced dentists, advanced technology, and personalized service. From routine check-ups to cosmetic procedures, they ensure excellent patient care.

https://thegrovedental.com.au/

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Dental Veneers Canberra - Weston Dentistry

Dental Veneers Canberra - Weston Dentistry here in Canberra offers dental porcelain veneers which are the best disguise for your stained appearance of our teeth.

https://westondentistry.com.au/cosmetic-veneers/

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मैथिली ठाकुर एक प्रसिद्ध भारतीय गायिका हैं, जो अपनी लोक संगीत और शास्त्रीय गायन के लिए जानी जाती हैं। उनका जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले में हुआ था। मैथिली ने कम उम्र में ही संगीत की दुनिया में कदम रखा और अपने गायन के लिए व्यापक प्रशंसा हासिल की।
मैथिली ठाकुर को पहली बार राष्ट्रीय पहचान तब मिली जब उन्होंने 2017 में टीवी रियलिटी शो "राइजिंग स्टार" में भाग लिया। उनके शास्त्रीय और लोक संगीत के कुशल प्रदर्शन ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया। हालांकि वह शो की विजेता नहीं बन सकीं, लेकिन उन्होंने अपनी अद्वितीय शैली और सशक्त आवाज़ से दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके बाद, उन्होंने अपने परिवार के साथ मिलकर यूट्यूब और सोशल मीडिया पर भी अपनी गायकी प्रस्तुत करना शुरू किया, जिससे उनकी लोकप्रियता और भी बढ़ गई।
मैथिली का संगीत सीखने का सफर उनके पिता रमेश ठाकुर के मार्गदर्शन में शुरू हुआ, जो स्वयं एक संगीत शिक्षक हैं। उन्होंने अपने भाइयों अयाची और ऋषव ठाकुर के साथ मिलकर पारंपरिक लोक गीत, भजन, और शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा दिया है। तीनों भाई-बहन एक साथ प्रदर्शन करते हैं, और उनका सामूहिक प्रदर्शन विशेष रूप से सोशल मीडिया पर बहुत लोकप्रिय है।
मैथिली ठाकुर अपने संगीत के माध्यम से भारतीय शास्त्रीय और लोक संगीत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का काम कर रही हैं। उन्होंने अपने गांव और राज्य की लोक परंपराओं को न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध किया है। उनकी सादगी, समर्पण, और संगीत के प्रति प्रेम ने उन्हें लाखों प्रशंसकों का प्रिय बना दिया है।

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अंकुर धामा, भारत के पहले नेत्रहीन धावक हैं, जिन्हें प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार भारत में खेलों के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए दिया जाता है, और अंकुर के लिए यह सम्मान उनकी कठिनाइयों और समर्पण का प्रमाण है।
अंकुर धामा नेत्रहीन होने के बावजूद, उन्होंने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और कठिन परिश्रम के बल पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीते हैं। वे 800 मीटर, 1500 मीटर, और 5000 मीटर दौड़ में महारत रखते हैं। अंकुर ने 2014 एशियाई पैरा खेलों और 2016 रियो पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है, जहाँ उन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया।
अर्जुन पुरस्कार अंकुर के खेल जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह पुरस्कार उन्हें उनके द्वारा दिखाए गए समर्पण, कठिनाईयों के बावजूद उच्च स्तर के प्रदर्शन, और देश के लिए खेलों में किए गए योगदान के लिए मिला है। अंकुर धामा का यह सम्मान देशभर में उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहे हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर मन में दृढ़ संकल्प हो, तो किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। 🌟🏅

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#चौहान 👿👿👿👿👿👿👿👿

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Vicharo ka sansar
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आज के नवभारत टाइम्स के सन्डे एडिशन में आपकी मित्र का लेख छपा है। यूँकि, कभी-कभी हम भी अख़बार में छपते हैं😊
सच कहूँ तो मैं अपनी ओर से कभी किसी अख़बार/पत्रिका को अपना कोई लेख भेजती ही नहीं। इसका कारण है कि मुझे पता ही नहीं कि अपना लेख पत्रिका या अख़बार तक भेजने का प्रोसीजर क्या है। ऐसे में जब कोई मित्र आगे बढकर कहता है कि मैं आपका लेख छापना चाहता हूँ, तो मैं उन मित्र के प्रति कृतज्ञता से भर उठती हूँ।
आज के लेख की अधिक ख़ुशी इसलिए है क्योंकि मेरे मायके में पडोस में रहने वाले एक भाई ने मुझे इस लेख की फोटो खींचकर watsapp की। कितना अच्छा लगता है जब आपके रीयल लाइफ के लोग अख़बार पढ़ते हुए पहचान लेते हैं कि ये तो इनका लिखा हुआ है। भाई की watsapp चैट का फोटो कमेंट बॉक्स में देखा जा सकता है।
फिर अभी-अभी नजर पड़ी मेसेज बॉक्स पर, जहाँ सम्पादक मोहदय ने लेख की कॉपी भेजी हुई थी। उसके बाद दिखा मेरी वॉल पर पिन किये हुए लेख पर एक सुधि पाठिका जी ने इस लेख की फोटो कमेन्ट बॉक्स में लगाई हुई है। सोच सकते हैं कि ये सब देख कर मुझे कैसा लग रहा होगा☺️
दोस्तों, २०१७ में पहली बार हिंदी टाइपराइटर डाउनलोड करके हिंदी में लिखने की शुरुआत करने वाली आपकी यह मित्र आज कितनी आगे आ पहुंची है। ये सब आपके प्रोत्साहन व विश्वास का ही परिणाम है❤️
बात बस इतनी सी है, रेस के घोड़े की भांति आँखों के दोनों ओर फ्लैप लगाकर दौड़ लगा दीजिये। जैसे रेस के घोड़े को आसपास का नहीं दिखता, वैसे ही आसपास की सभी नकारात्मकताओं की ओर से ऑंखें बंद करके अपनी मनपसन्द फील्ड में दौड़ते चले जाइये। एक दिन आसमान को चीरकर उस परमात्मा तक अवश्य पहुँच जायेंगे, ये मेरा पक्का विश्वास है।

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Superstar Maheshbabu

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