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गुलाब सिद्धू ने मूसेवाला के नए गाने 'ATTACH' का पोस्टर शेयर करते हुए लिखा
#justiceforsidhumoosewala

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चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित महाराणा कुम्भा महल के गलियारे

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मेवाड़ के महाराणा लाखा के पौत्र सारंगदेव जी के वंशज सारंगदेवोत राजपूतों का ठिकाना - कानोड़
इस ठिकाने के रावत सारंगदेव ने कुँवर संग्रामसिंह (राणा सांगा) के प्राण बचाए थे।
रावत सारंगदेव के पुत्र रावत जोगा खानवा के युद्ध में बाबर के विरुद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
रावत जोगा के पुत्र रावत नरबद सारंगदेवोत ने चित्तौड़गढ़ के तीसरे शाके में अकबर के विरुद्ध लड़ते हुए वीरगति पाई।
रावत नरबद के पुत्र रावत नेतसिंह सारंगदेवोत ने हल्दीघाटी के प्रसिद्ध युद्ध में अकबर के विरुद्ध लड़ते हुए वीरगति पाई।
रावत नेतसिंह के पुत्र रावत भाण सारंगदेवोत ने सोम नदी के युद्ध में विजय प्राप्त की व आजीवन महाराणा प्रताप का साथ दिया।
रावत भाण के पौत्र रावत मानसिंह ने महाराणा राजसिंह का साथ देते हुए औरंगज़ेब के विरुद्ध युद्ध लड़े।
रावत मानसिंह के पुत्र रावत महासिंह सारंगदेवोत ने बांदनवाड़ा के युद्ध में मुगल सेनापति रणबाज़ खां को मारने के बाद वीरगति पाई।
रावत महासिंह के पुत्र रावत सारंगदेव द्वितीय ने मंदसौर में पठानों को पराजित किया।
रावत सारंगदेव द्वितीय की अगली 3 पीढ़ियों (रावत पृथ्वीसिंह, रावत जगतसिंह व रावत जालिमसिंह) ने मराठों के विरुद्ध युद्ध लड़े।
इस प्रकार कानोड़ के सारंगदेवोत राजपूतों ने मेवाड़ के लिए हर वक्त तैयार रहकर महाराणाओं का साथ दिया।
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत

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13 सदियों तक आक्रांताओं का डटकर सामना करने वाली रियासत मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ दुर्ग, जो भारत का सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट है, जहां आज भी हज़ारों लोग निवास करते हैं

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पुरानी हवेलियों और घरों में जो वैभव दिखाई देता था वो आज के घरों में नहीं दिखता, पर अब इन्हें खंडहरों में बदलते देखना दुखदायी है

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