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देश के बंटवारे की पीड़ा को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा के कारण से हमारे लाखों बहनों-भाइयों की जान गई, घर-बार गया, रोजगार गया।
उनके संघर्ष और बलिदान के स्मरण में वाराणसी कैन्ट रेलवे स्टेशन पर 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनाया गया।
भारत का विभाजन, अभूतपूर्व मानव विस्थापन और मजबूरी में पलायन की दर्दनाक कहानी है। यह एक ऐसी कहानी है, जिसमें लाखों लोग अजनबियों के बीच एकदम विपरीत वातावरण में नया आशियाना तलाश रहे थे। विश्वास और धार्मिक आधार पर एक हिंसक विभाजन की कहानी होने के अतिरिक्त यह इस बात की भी कहानी है कि कैसे एक जीवन शैली तथा वर्षों पुराने सह-अस्तित्व का युग अचानक और नाटकीय रूप से समाप्त हो गया।
लगभग 60 लाख गैर-मुसलमान उस क्षेत्र से निकल आए, जो बाद में पश्चिमी पाकिस्तान बन गया। 65 लाख मुसलमान पंजाब, दिल्ली, आदि के भारतीय हिस्सों से पश्चिमी पाकिस्तान चले गए थे।
20 लाख गैर-मुसलमान पूर्वी बंगाल, जो बाद में पूर्वी पाकिस्तान बना, से निकल कर पश्चिम बंगाल आए। 1950 में 20 लाख और गैर मुस्लमान पश्चिम बंगाल आए। दस लाख मुसलमान पश्चिम बंगाल से पूर्वी पाकिस्तान चले गए।
इस विभीषिका में मारे गए लोगों का आंकड़ा 5 लाख बताया जाता है। लेकिन अनुमानतः यह आंकड़ा पाँच से 10 लाख के बीच है।
#विभाजन_विभीषिका_स्मृति_दिवस पर मैं इस विभीषिका के सभी पीड़ितों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
देश के बंटवारे की पीड़ा को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा के कारण से हमारे लाखों बहनों-भाइयों की जान गई, घर-बार गया, रोजगार गया।
उनके संघर्ष और बलिदान के स्मरण में वाराणसी कैन्ट रेलवे स्टेशन पर 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनाया गया।
भारत का विभाजन, अभूतपूर्व मानव विस्थापन और मजबूरी में पलायन की दर्दनाक कहानी है। यह एक ऐसी कहानी है, जिसमें लाखों लोग अजनबियों के बीच एकदम विपरीत वातावरण में नया आशियाना तलाश रहे थे। विश्वास और धार्मिक आधार पर एक हिंसक विभाजन की कहानी होने के अतिरिक्त यह इस बात की भी कहानी है कि कैसे एक जीवन शैली तथा वर्षों पुराने सह-अस्तित्व का युग अचानक और नाटकीय रूप से समाप्त हो गया।
लगभग 60 लाख गैर-मुसलमान उस क्षेत्र से निकल आए, जो बाद में पश्चिमी पाकिस्तान बन गया। 65 लाख मुसलमान पंजाब, दिल्ली, आदि के भारतीय हिस्सों से पश्चिमी पाकिस्तान चले गए थे।
20 लाख गैर-मुसलमान पूर्वी बंगाल, जो बाद में पूर्वी पाकिस्तान बना, से निकल कर पश्चिम बंगाल आए। 1950 में 20 लाख और गैर मुस्लमान पश्चिम बंगाल आए। दस लाख मुसलमान पश्चिम बंगाल से पूर्वी पाकिस्तान चले गए।
इस विभीषिका में मारे गए लोगों का आंकड़ा 5 लाख बताया जाता है। लेकिन अनुमानतः यह आंकड़ा पाँच से 10 लाख के बीच है।
#विभाजन_विभीषिका_स्मृति_दिवस पर मैं इस विभीषिका के सभी पीड़ितों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
देश के बंटवारे की पीड़ा को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा के कारण से हमारे लाखों बहनों-भाइयों की जान गई, घर-बार गया, रोजगार गया।
उनके संघर्ष और बलिदान के स्मरण में वाराणसी कैन्ट रेलवे स्टेशन पर 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनाया गया।
भारत का विभाजन, अभूतपूर्व मानव विस्थापन और मजबूरी में पलायन की दर्दनाक कहानी है। यह एक ऐसी कहानी है, जिसमें लाखों लोग अजनबियों के बीच एकदम विपरीत वातावरण में नया आशियाना तलाश रहे थे। विश्वास और धार्मिक आधार पर एक हिंसक विभाजन की कहानी होने के अतिरिक्त यह इस बात की भी कहानी है कि कैसे एक जीवन शैली तथा वर्षों पुराने सह-अस्तित्व का युग अचानक और नाटकीय रूप से समाप्त हो गया।
लगभग 60 लाख गैर-मुसलमान उस क्षेत्र से निकल आए, जो बाद में पश्चिमी पाकिस्तान बन गया। 65 लाख मुसलमान पंजाब, दिल्ली, आदि के भारतीय हिस्सों से पश्चिमी पाकिस्तान चले गए थे।
20 लाख गैर-मुसलमान पूर्वी बंगाल, जो बाद में पूर्वी पाकिस्तान बना, से निकल कर पश्चिम बंगाल आए। 1950 में 20 लाख और गैर मुस्लमान पश्चिम बंगाल आए। दस लाख मुसलमान पश्चिम बंगाल से पूर्वी पाकिस्तान चले गए।
इस विभीषिका में मारे गए लोगों का आंकड़ा 5 लाख बताया जाता है। लेकिन अनुमानतः यह आंकड़ा पाँच से 10 लाख के बीच है।
#विभाजन_विभीषिका_स्मृति_दिवस पर मैं इस विभीषिका के सभी पीड़ितों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
बलिदान और देशप्रेम की ऐसी कहानी,
होनी चाहिए हर बच्चे की जुबानी...
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#harghartiranga
𝐔𝐧𝐟𝐮𝐫𝐥𝐢𝐧𝐠 𝐡𝐢𝐬𝐭𝐨𝐫𝐲...
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#harghartiranga
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