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* जब राधारानी के सामने ऐश्वर्य भी नहीं ठहरा l
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एक बार भगवान के मन में आया कि आज गोपियों को अपना ऐश्वर्य दिखाना चाहिये, ये सोचकर जब भगवान निकुंज में बैठे थे और गोपियाँ उनसे मिलने आ रही थी तब भगवान कृष्ण विष्णु के रूप चार भुजाएँ प्रकट करके बैठ गए, जिनके चारो हांथो में शंख, चक्र, गदा, पद्म, था l

गोपियाँ भगवान को ढूँढती हुई एक निकुंज से दूसरे निकुंज में जा रही थी तभी उस निकुंज में आयी जहाँ भगवान बैठे हुए थे, दूर से गोपियों ने भगवान को देखा और बोली हम कब से ढूँढ रही है l
कृष्ण यहाँ बैठे हुए है, जब धीरे धीरे पास आई तो और ध्यान से देखा तो कहने लगी अरे ! ये हमारे कृष्ण नहीं है ? इनकी सूरत तो कृष्ण की ही तरह है, परन्तु इनकी तो चार भुजाएँ है, ये तो वैकुंठ वासी विष्णु है l

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सिया राम मै सब जग जानी ।
करहुं प्रनाम जोर जुग पानी।।

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डा. गुरप्रीत कौर ने धूरी में तियान पर्व के अवसर पर 'मेला तियान दा' कार्यक्रम में भाग लिया
कहा "माता-बहनों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम ने दिल मोह लिया"

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डा. गुरप्रीत कौर ने धूरी में तियान पर्व के अवसर पर 'मेला तियान दा' कार्यक्रम में भाग लिया
कहा "माता-बहनों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम ने दिल मोह लिया"

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डा. गुरप्रीत कौर ने धूरी में तियान पर्व के अवसर पर 'मेला तियान दा' कार्यक्रम में भाग लिया
कहा "माता-बहनों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम ने दिल मोह लिया"

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