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नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै नकाराय नमः शिवाय।।
हे महेश्वर!जिनके गले का हार नागराज हैं और जिनकी तीन आंखें हैं। जिनका शरीर पवित्र भस्म से अलंकृत है । वे जो शाश्वत हैं, जो पूर्ण पवित्र हैं और चारों दिशाओं को जो अपने वस्त्रों के रूप में धारण करते हैं। उस शिव को नमस्कार है, जिन्हें “न” अक्षर द्वारा दर्शाया गया है।
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय,
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।,
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय,
तस्मै मकाराय नमः शिवाय।।
वे जिनकी पूजा मंदाकिनी नदी के जल से होती है और चंदन का लेप लगाया जाता है। वे जो नंदी के और भूतों-पिशाचों के स्वामी हैं। महान भगवान, वे जो मंदार और कई अन्य फूलों के साथ पूजे जाते हैं, उस शिव को प्रणाम। जिन्हें शब्दांश “म” द्वारा दर्शाया गया है।
.Weekend Suggestion: #thegoatlife
A pure ~3hrs of Emotions🩵🥺.2024 Well Made International stuff Of Indian Cinema.. 🔥
Prithvi the performer, Ar Rahman Musics, Direction, Art Works, visuals All Peaked.... 🔥🙏🏼
खालसा स्कूल में श्रावण मास के प्रथम सोमवार के पावन अवसर पर आयोजित भंडारे में पहुंचकर वहां छात्र छात्राओं को प्रसाद के रूप में खीर का वितरण करने का अवसर प्राप्त किया...
यहां खालसा स्कूल प्रधानाचार्य हरमीत कौर जी, विशाल वधावन, योगेश तनेजा,नवीन तनेजा, कमल भोजवानी,संजय दानी,नवीन गेरा, राजेश गेरा,अजय,रमेश मौर्या, कन्हैया मौर्या सहित अन्य उपस्थित रहे...
#harharmahadev #श्रावण_मास
खालसा स्कूल में श्रावण मास के प्रथम सोमवार के पावन अवसर पर आयोजित भंडारे में पहुंचकर वहां छात्र छात्राओं को प्रसाद के रूप में खीर का वितरण करने का अवसर प्राप्त किया...
यहां खालसा स्कूल प्रधानाचार्य हरमीत कौर जी, विशाल वधावन, योगेश तनेजा,नवीन तनेजा, कमल भोजवानी,संजय दानी,नवीन गेरा, राजेश गेरा,अजय,रमेश मौर्या, कन्हैया मौर्या सहित अन्य उपस्थित रहे...
#harharmahadev #श्रावण_मास
खालसा स्कूल में श्रावण मास के प्रथम सोमवार के पावन अवसर पर आयोजित भंडारे में पहुंचकर वहां छात्र छात्राओं को प्रसाद के रूप में खीर का वितरण करने का अवसर प्राप्त किया...
यहां खालसा स्कूल प्रधानाचार्य हरमीत कौर जी, विशाल वधावन, योगेश तनेजा,नवीन तनेजा, कमल भोजवानी,संजय दानी,नवीन गेरा, राजेश गेरा,अजय,रमेश मौर्या, कन्हैया मौर्या सहित अन्य उपस्थित रहे...
#harharmahadev #श्रावण_मास
पति की मृत्यु के बाद ही उसकी विधवा को एक कटोरा भांग और धतूरा पिलाकर नशे में मदहोश कर दिया जाता था। जब वह श्मशान की ओर जाती थी, कभी हँसती थी, कभी रोती थी और तो कभी रास्ते में जमीन पर लेटकर ही सोना चाहती थी और यही उसका सहमरण (सती) के लिए जाना था। इसके बाद उसे चिता पर बैठा कर कच्चे बांस की मचिया
बनाकर दबाकर रखा जाता था क्योंकि डर रहता था कि शायद दाह होने वाली नारी दाह की यंत्रणा न सह सके। चिता पर बहुत अधिक राल और घी डालकर इतना अधिक धुआँ कर दिया जाता था कि उस यंत्रणा को देखकर कोई डर न जाए और दुनिया भर के ढोल, करताल और शंख बजाए जाते थे कि कोई उसका चिल्लाना,रोना-धोना,अनुनय-विनय न सुनने पाए। बस यही तो था सहमरण......" सतीप्रथा । सतीप्रथा से छुटकारा दिलाने वाले लोर्ड विलियम बेन्टीक और राजा राममोहन राय को सलाम।
Preeti Pandey
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