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#jay_jagannath 🙏🌹
पुरी के मंदिर में भगवान कृष्ण, बलराम और सुभद्रा की आंखें फैली हुई क्यों हैं ??

ये हर मनुष्य के लिए आश्चर्य का विषय है कि जगन्नाथ पुरी के मंदिर में भगवान कृष्ण के साथ राधा क्यों नहीं हैं और दूसरा, तीनों भाई बहन की आंखें इतनी फैली हुई क्यों हैं इस विषय में एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है।

एक बार माता यशोदा माता देवकी के साथ द्वारका पधारीं। वहां कृष्ण की रानियों ने माताओं से कृष्ण के बचपन की लीलाओं का वर्णन करने का अनुरोध किया।
उनके साथ बहन सुभद्रा भी थीं।
माता यशोदा ने कहा कि वह उन्हें कृष्ण तथा उनकी गोपियों की लीलाएं तो सुना देंगी
पर ये कथा कृष्ण और बलराम के कानों तक नहीं पहुंचनी चाहिए।
सुभद्रा द्वार पर पहरा देने के लिए
तैयार हो गई।

माता ने लीलाओं का गान शुरू किया। भगवान की लीला का रसपान करने में सब अपनी सुध-बुध खो बैठे।
सुभद्रा को भी पता नहीं चला कि कब भगवान श्री कृष्ण और बलराम वहां आ गए और उनके साथ ही कथा का आनन्द लेने लगे। बचपन की मधुर लीलाओं को सुनते सुनते उनकी आंखें फैलने लगीं। सुभद्रा की भी यही दशा हुई वह आनंदित हो कर पिघलने लगीं।

उसी समय श्री नारदजी वहां पधारे।
किसी के आने का अहसास होते ही कथा रुक गई।
नारदजी भगवान संग बलराम और सुभद्रा के ऐसे रूप को देखकर मोहित हो गए।
वह बोले - भगवन् !
आपका यह रूप बहुत सुंदर है। आप इस रूप में सामान्य जन को भी दर्शन दें।
तब भगवान कृष्ण ने कहा कि कलयुग में वह इस रूप में अवतरित होंगे।
जगन्नाथ पुरी में भगवान का यही विग्रह मौजूद है जिसमें वह अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ हैं।
परंतु यह विग्रह भी आधा अधूरा सा क्यों है इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है।

इस मंदिर के उद्गम से जुड़ी परंपरागत कथा के अनुसार- भगवान जगन्नाथ की इंद्रनील या नीलमणि से निर्मित मूल मूर्ति,
एक वृक्ष के नीचे मिली थी।
यह इतनी चकाचौंध करने वाली थी, कि धर्म ने इसे पृथ्वी के नीचे छुपाना चाहा। मालवा नरेश इंद्रद्युम्न को स्वप्न में यही मूर्ति दिखाई दी थी।
तब उसने कड़ी तपस्या की और तब भगवान विष्णु ने उसे बताया कि वह पुरी के समुद्र तट पर जाये और उसे एक दारु (लकड़ी) का लठ्ठा मिलेगा।
उसी लकड़ी से वह मूर्ति का निर्माण कराये।

राजा ने ऐसा ही किया और उसे लकड़ी का लठ्ठा मिल भी गया।
उसके बाद राजा को विष्णु और विश्वकर्मा बढ़ई कारीगर और मूर्तिकार के रूप में उसके सामने उपस्थित हुए।
किंतु उन्होंने यह शर्त रखी, कि वे एक माह में मूर्ति तैयार कर देंगे,
परन्तु तब तक वह एक कमरे में बंद रहेंगे और राजा या कोई भी उस कमरे के अंदर नहीं आये।
माह के अंतिम दिन जब कई दिनों तक कोई भी आवाज नहीं आयी,
तो उत्सुकता वश राजा ने कमरे में झांका और वह वृद्ध कारीगर द्वार खोलकर बाहर आ गया और राजा से कहा,
कि मूर्तियां अभी अपूर्ण हैं,
उनके हाथ अभी नहीं बने थे।
राजा के अफसोस करने पर मूर्तिकार ने बताया कि यह सब दैववश हुआ है
और यह मूर्तियां ऐसे ही स्थापित होकर पूजी जायेंगीं।

तब वही तीनों जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां मंदिर में
स्थापित की गईं।

राधे राधे हरि गोविंदा 🙏🚩

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भरोसा टूटा हैं वहम की दवाई मत दो..,
कहीं और जाकर शरीफ़ बनो मुझे सफ़ाई मत दो ..!

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🚨 Live ZikrAllah Mawlid an Nabi ﷺ Celebrating Milad an Nabi ﷺ with Beloved Shaykh Nurjan

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Prophet Muhammad ﷺ said🌹:

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आने वाले 200 साल बाद ब्राह्मण की कहानी सुनाई जायेगी: एक जाति था ब्राह्मण जो दुनिया में धर्म और विद्वता के लिए प्रसिद्ध था, धीरे धीरे इन जातियों का पतन हो गया, इनमें आपसी संगठन या एकता नहीं था और न ही कोई सरकार ध्यान देती थी, सभी लोग और सरकार अन्य जातियों पर ही ध्यान देते थे, और नकारत्मक भाव ब्राह्मणों के विरुद्ध फैलाकर सरकार और अन्य जातियों के लोग ब्राह्मणों को उपेक्षित और तिरस्कार किया करते रहें, धीरे धीरे ब्राह्मण गरीब होता चला गया और ब्राह्मण कन्याएं अन्य धर्मो या जातियों शादी करने लगी और इस तरह ब्राह्मण विलुप्त होता चला गया. ऐसा ही होगा। आने वाला समय ब्राह्मण धी धीरे विलुप्त होगा, इसका एकमात्र कारण ब्राह्मण ही है ब्राह्मण आपसी विद्वेष, उपेक्षा और तिरस्कार करता है, एक दूसरे को कभी मदद नहीं करता है आने वाला समय ब्राह्मणों के लिए बहुत भयावह होगा।

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आज कड़ी धूप में 4 घंटे लगातार भ्रमण कर जंगमबाड़ी वार्ड की समस्याओं का निरीक्षण किया गया। साथ चल रहे नगर निगम, जलकल व विद्युत विभाग के अभियंताओं को समाधान हेतु निर्देशित किया।
साथ थे वार्ड के यशस्वी पार्षद माननीय श्री विजय द्विवेदी जी व देवतुल्य भाजपा कार्यकर्ता।
Bharatiya Janata Party (BJP) BJP Uttar Pradesh Narendra Modi MYogiAdityanath A K Sharma

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