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All The Best For Team India ❤️

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Installed a mural in The Tattoo Prophecy today! The gates of heaven, which contradicts everything that I am 😂 but how beautiful!! The sisteen chapel of Ushaw Moor 🤣 My little studio is coming together slowly but surely

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Hiya everyone, I’ve worked every single one of my day offs since I first opened, I’m not ignoring anyone just been tattooing 24/7 and I have about 100 people I need to reply to 😂 all my messages will be replied to today. Bare with me guys! ☺️ On the plus side, studio is coming on canny! I’m having loads of fun decorating it ✨

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The cutest Chimpanzee you ever did see 😍 I love tattooing monkeys! Location: back of thigh
Contact Layla Karis Tattoo- for appointments 🌿

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#जनेऊ को #संस्कृत भाषा में #यज्ञोपवीत कहा जाता है। यह तीन धागों वाला सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात् इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे। जनेऊ में तीन सूत्र – त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक – देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक – सत्व, रज और तम के प्रतीक होते है। साथ ही ये तीन सूत्र गायत्री मंत्र के तीन चरणों के प्रतीक है तो तीन आश्रमों के प्रतीक भी। जनेऊ के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। अत: कुल तारों की संख्‍या नौ होती है। इनमे एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं। इनका मतलब है – हम मुख से अच्छा बोले और खाएं, आंखों से अच्छा देंखे और कानों से अच्छा सुने। जनेऊ में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म, अर्ध, काम और मोक्ष का प्रतीक है। ये पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों के भी प्रतीक है।
जनेऊ की लंबाई : जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल होती है क्यूंकि जनेऊ धारण करने वाले को 64 कलाओं और 32 विद्याओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए। 32 विद्याएं चार वेद, चार उपवेद, छह अंग, छह दर्शन, तीन सूत्रग्रंथ, नौ अरण्यक मिलाकर होती है। 64 कलाओं में वास्तु निर्माण, व्यंजन कला, चित्रकारी, साहित्य कला, दस्तकारी, भाषा, यंत्र निर्माण, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, दस्तकारी, आभूषण निर्माण, कृषि ज्ञान आदि आती हैं।
जनेऊ धारण के समय बालक के हाथ में एक दंड होता है। इस दौरान वो बगैर सिला एक ही वस्त्र पहनता है और उसके गले में पीले रंग का दुपट्टा होता है। मुंडन के बाद शिखा रखी जाती है। पैर में खड़ाऊ होती है। मेखला, कोपीन, दंड : कमर में बांधने योग्य नाड़े जैसे सूत्र को मेखला कहते हैं। मेखला को मुंज और करधनी भी कहते हैं। कपड़े की सिली हुई सूत की डोरी, कलावे के लम्बे टुकड़े से मेखला बनती है। कोपीन लगभग 4 इंच चौड़ी डेढ़ फुट लम्बी लंगोटी होती है। इसे मेखला के साथ टांक कर भी रखा जा सकता है। दंड रूप में लाठी या ब्रह्म दंड जैसा रोल भी रखा जा सकता है। यज्ञोपवीत को पीले रंग में रंगकर रखा जाता है।
बगैर सिले वस्त्र पहनकर, हाथ में एक दंड लेकर, कोपीन और पीला दुपट्टा पहनकर विधि-विधान से जनेऊ धारण की जाती है। जनेऊ धारण करने के लिए एक यज्ञ होता है, जिसमें जनेऊ धारक अपने संपूर्ण परिवार के साथ भाग लेता है। यज्ञ द्वारा संस्कार किए गए जनेऊ को विशेष विधि से ग्रन्थित करके बनाया जाता है। इसे गुरु दीक्षा के बाद ही धारण किया जाता है। अपवित्र होने पर इसे बदल लिया जाता है।
गायत्री मंत्र से शुरू होता है ये संस्कार : यज्ञोपवीत संस्कार गायत्री मंत्र से शुरू होता है। गायत्री- उपवीत का सम्मिलन ही द्विजत्व है। यज्ञोपवीत में तीन तार हैं,
गायत्री में तीन चरण हैं।
‘तत्सवितुर्वरेण्यं’ प्रथम चरण, ‘भर्गोदेवस्य धीमहि’ द्वितीय चरण, ‘धियो यो न: प्रचोदयात् ’
तृतीय चरण है।
गायत्री महामंत्र की प्रतिमा – यज्ञोपवीत, जिसमें 9 शब्द, तीन चरण, सहित तीन व्याहृतियां समाहित हैं। इस मन्त्र से करते हैं यज्ञोपवीत संस्कार : यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात् । आयुष्यमग्रं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।
यज्ञोपवित संस्कार प्रारम्भ करने के पूर्व यज्ञोपवीत का मुंडन करवाया जाता है। संस्कार के मुहूर्त के दिन लड़के को स्नान करवाकर उसके सिर और शरीर पर चंदन केसर का लेप करते हैं और जनेऊ पहनाकर ब्रह्मचारी बनाते हैं। फिर हवन करते हैं। विधिपूर्वक गणेशादि देवताओं का पूजन, यज्ञवेदी एवं बालक को अधोवस्त्र के साथ माला पहनाकर बैठाया जाता है। इसके बाद दस बार गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित करके देवताओं के आह्‍वान के साथ उससे शास्त्र शिक्षा और व्रतों के पालन का वचन लिया जाता है। गुरु मंत्र सुनाकर कहता है कि आज से तू अब ब्राह्मण हुआ अर्थात ब्रह्म (सिर्फ ईश्वर को मानने वाला) को माने वाला हुआ। इसके बाद मृगचर्म ओढ़कर मुंज (मेखला) का कंदोरा बांधते हैं और एक दंड हाथ में दे देते हैं। तत्पश्चात्‌ वह बालक उपस्थित लोगों से भीक्षा मांगता है।
जनेऊ धारण करने की उम्र : जिस दिन गर्भ धारण किया हो उसके आठवें वर्ष में बालक का उपनयन संस्कार किया जाना चाहिए। जनेऊ पहनने के बाद ही विद्यारंभ होना चाहिए, लेकिन आजकल गुरु परंपरा के समाप्त होने के बाद अधिकतर लोग जनेऊ नहीं पहनते हैं तो उनको विवाह के पूर्व जनेऊ पहनाई जाती है। लेकिन वह सिर्फ रस्म अदायिगी से ज्यादा कुछ नहीं, क्योंकि वे जनेऊ का महत्व नहीं समझते हैं। किसी भी धार्मिक कार्य, पूजा-पाठ, यज्ञ आदि करने के पूर्व जनेऊ धारण करना जरूरी है। हिन्दू धर्म में विवाह तब तक पूर्ण नहीं होता जब तक कि जनेऊ धारण नहीं किया जाए।
मल-मूत्र विसर्जन के दौरान जनेऊ को दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए और हाथ स्वच्छ करके ही उतारना चाहिए। इसका मूल भाव यह है कि जनेऊ कमर से ऊंचा हो जाए और अपवित्र न हो। यह बेहद जरूरी होता है।

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100 एग्जांपल सामने रख दो लेकिन

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महत्वपूर्ण यह नहीं है कि इन तीन फिल्मों ने कितना कलेक्शन किया बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि 3 साल में इन तीन फिल्मों ने हिंदूओ की तीन पीढ़ी को जगाने का काम किया है, दादा दादी, बेटा बहु और पोता पोती, पिछले 70 सालों में जितने भ्रम जाल बुनकर हिंदुओं की आंखों में पर्दे लगाए गए थे इन तीन फिल्मों ने 70 साल से लगाए गए पर्दों को हटाने का काम किया है इसलिए यह तीन फिल्म हमारे लिए आकलन के लिए सिर्फ कलेक्शन वाली नहीं बल्कि समाज जागरण में ऐतिहासिक भूमिका निभाने वाली फिल्म साबित हुई है।
अगर हम इन तीन फिल्मों को ऐतिहासिक फिल्में भी कहें या हिंदुओं की नई पीढ़ी को सतर्क और संगठित करने के लिए अहम भूमिका निभाने वाली फिल्म भी कहे तो या फिर सनातनी बेटियों को पर आने वाली भविष्य की चुनौतियों से सतर्क करने वाली फिल्में भी कहे तो या फिर देश के असली क्रांतिकारियों से हिंदुओं की नई पीढ़ी को जागृत करने वाली भी कहे तो, या फिर देश में कबाइली वामपंथी मिशनरी गठजोड़ की बारीक-बारीक परतों से हिंदुओ को रूबरू करवाने वाली ऐतिहासिक कालजई फिल्में भी कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी, मैं बहुत सोच समझ कर बोल रहा हूं इन तीन फिल्मों ने हिंदुओं की तीन पीढियां को जगाया। इसलिए यह तीन फिल्म हमारे लिए ऑस्कर से भी बड़ी फिल्में है, इनके एक्टर डायरेक्टर प्रोड्यूसर राइटर सब हमारे लिए सिर्फ एक्टर नहीं बल्कि रिस्क लेकर भी समाज और राष्ट्र को जागृत करने वाले अभिनंदनीय वीर है।
सुभाष पटेल

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भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री, हम सभी #भाजपा कार्यकर्ताओं के अभिभावक, मार्गदर्शक, माननीय श्री Sunil Bansal जी आज आवास पर पधार कर आशीर्वाद दिए।
इतनी व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालने के लिए उनका हृदय से आभार...
उनके साथ मा. श्री Ashwini Tyagi जी, मा. श्री Dr Satish Dwivedi BJP, मा. श्री Arun Pathak अरुण पाठक जी, मा. श्री Dileep Patel जी, मा. श्री Mohit Beniwal जी व श्री विद्यासागर राय जी भी पधार कर अनुगृहीत किये।
Bharatiya Janata Party (BJP) BJP Uttar Pradesh

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भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री, हम सभी #भाजपा कार्यकर्ताओं के अभिभावक, मार्गदर्शक, माननीय श्री Sunil Bansal जी आज आवास पर पधार कर आशीर्वाद दिए।
इतनी व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालने के लिए उनका हृदय से आभार...
उनके साथ मा. श्री Ashwini Tyagi जी, मा. श्री Dr Satish Dwivedi BJP, मा. श्री Arun Pathak अरुण पाठक जी, मा. श्री Dileep Patel जी, मा. श्री Mohit Beniwal जी व श्री विद्यासागर राय जी भी पधार कर अनुगृहीत किये।
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