जो जिया है वही लिखा है।
वही लिखा है जो जिया है।।
हमने हथेली पर लेकर के-
घूँट घूँट जीवन पिया है।
दुनिया भर की बात सुनी हैं,
ख़ुद को चुप कर,ख़ुद को चुप कर।
हमने उनको भी देखा है,
जो देख रहे थे हमको छुप कर।
इन मतलब के स्तंभों पर,
रिश्तों का विश्वास टिका है।
जो जिया है वही लिखा है,
वही लिखा है जो जिया है।।
आँखों के दोनों कोरों में-
चाँद चमका,चाँद चमका।
बारी बारी निकला आसूँ-
एक ख़ुशी का,एक ग़म का।
अम्बर में बादल का खिलौना-
कभी बना है कभी मिटा है।
जो जिया है वही लिखा है,
वही लिखा है जो जिया है।।
एक जुगनू दीपक से बोला-
लड़ो तिमिर से,लड़ो तिमिर से।
हर लेंगे हम भी अंधियारा-
हम क्या कम हैं कहो मिहिर से।
उम्मीदों की इन्ही ज़िदों पर-
दर्द थोक के भाव बिका है।
जो जिया है वही लिखा है।
वही लिखा है जो जिया है।।
जो कहते हैं बोलो कि कहाँ-
सन्नाटा है,सन्नाटा है,
उनके तन्हापन को अपनी,
तन्हाई में काटा है।
सबके साथ चले हम उतना-
जितना हमसे सफ़र निभा है।
जो जिया है वही लिखा है।
वही लिखा है जो जिया है।।