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ॐ श्री श्याम देवाय नमः||
|| हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा ||
।।मेरा सर्वेश्वर-मेरा श्याम।।
जय श्री श्याम जी
बाबा श्याम के भव्य प्रातः शृंगार श्री श्याम दर्शन
07 सितम्बर 2023 गुरुवार
भाद्रपद, कृष्ण पक्ष, अष्टमी, विक्रम सम्वत 2080
आप सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ
आदरणिय आप सभी को भगवान🚩🙏🙏
#श्रीकृष्ण_जन्माष्टमी_की_शुभकामनाएं?
"जय श्री कृष्णा"
द्वारकाधीश में गज़ब की घटना हुई है..जब से द्वारकाधीश का निर्माण हुआ तब से पहली बार आधी रात को मंदिर के कपाट एक झटके में खोल दिए गए। ये परंपरा किसी इंसान के लिए नहीं बदली गई। किसी मंतरी, संतरी के लिए नहीं तोड़ी गई,भारतीय परंपरा में शामिल 25 गायों को बुधवार आधी रात को मंदिर के अंदर प्रवेश कराकर द्वारकाधीश के दर्शन कराए गए। भारतीय नस्ल की ये गायें कच्छ से 490 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर अपने मालिक महादेव देसाई संग द्वारका पहुंची थीं। दरअसल कुछ दिन पहले महादेव देसाई की गायों को लंपी बीमारी ने घेर लिया था। गायों की हालत काफी खराब हो गई थी, जगह-जगह गायें दम तोड़ रही थी। ऐसे में महादेव देसाई ने द्वारकाधीश से मन्नत मांगी कि अगर उनकी गायें ठीक हो गई तो वो गायों के साथ उनके दर्शन को पहुंचेंगे। आखिरकार प्रभु ने चमत्कार दिखाया और जल्द सभी गायों को जानलेवा बीमारी लंपी से बचा लिया। दो महीने बाद बुधवार के दिन महादेव देसाई पैदल-पैदल गायों को लेकर द्वारकाधीश पहुंच गए, देसाई की श्रद्धा देखकर मंदिर प्रसाशन ने उन्हें गायों समेत भगवान के दर्शन करने की इजाज़त दी। दिन में भक्तों का रेला था इसलिए मंदिर प्रसाशन ने रात में गायों के लिए मंदिर के द्वार खोलने का फैसला किया, इस तरह रात के 12 बजे बाद द्वार खोलकर सभी गायों को द्वारकाधीश के दर्शन कराए और मंदिर की परिक्रमा तक करवाई गई। मंदिर प्रसाशन ने गायों के लिए प्रसाद और चारे की भी संपूर्ण व्यवस्था की थी..
जय गौमाता, जय श्रीकृष्ण, जय गोविंदा ✨🙏💖राधे राधे
बुलाकी दास स्वामी गंगा शहर बीकानेर का ग्रुप की आदरणीय सदस्यों को हाथ जोड़कर राम राम सा*
यह विश्व अनेक खुबियों से भरा हुआ है... आवश्यकता है देखने की.. समझने की.. जानने की.. उसके परिचय की... हम उसे सकारात्मक रूप से देखेंगे तो हर वस्तु में गुण... अच्छाई, सुन्दरता और दूसरे की विशेषताएं दिखाई देगी और नकारात्मक दृष्टि से देखेंगे तो उसमें बुराईयां ही बुराईयां नजर आयेगी... इसलिए सदैव सकारात्मक सोचे.. उसकी प्रशंसा करें.. उसकी अनुमोदना करें... इस प्रकार बार बार अभ्यास करने से अपनी सोच भी बदल सकती है...इस संसार में सबको प्रशंसा अच्छी लगती है.... इसलिए सबकी प्रशंसा करें... प्रशंसा करने की आदत डालें..दूसरों के अच्छे गुणों की प्रशंसा करने से अपना जीवन सुन्दर और सुगंधित बनता है...हमें दूसरों के गुण देखने चाहिए... जो दूसरों के गुण देखता है... और उनके गुणों की प्रशंसा करता है.. वह व्यक्ति सब जगह प्रशंसा पाता है...सबको अच्छा लगता है..देखने का नज़रिया ही बदल लें, गुण ही देखना शुरू करें...
कंस को मारने के बाद भगवान श्रीकृष्ण कारागृह में गए और वहां से माता देवकी तथा पिता वसुदेव को छुड़ाया।
तब माता देवकी ने श्रीकृष्ण से पूछा, "बेटा, तुम भगवान हो, तुम्हारे पास असीम शक्ति है, फिर तुमने चौदह साल तक कंस को मारने और हमें यहां से छुड़ाने की प्रतीक्षा क्यों की?"
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, "क्षमा करें आदरणीय माता जी, क्या आपने मुझे पिछले जन्म में चौदह साल के लिए वनवास में नहीं भेजा था।"
माता देवकी आश्चर्यचकित हो गईं और फिर पूछा, "बेटा कृष्ण, यह कैसे संभव है? तुम ऐसा क्यों कह रहे हो?"
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, "माता, आपको अपने पूर्व जन्म के बारे में कुछ भी स्मरण नहीं है। परंतु तब आप कैकेई थीं और आपके पति राजा दशरथ थे।"
माता देवकी ने और ज्यादा आश्चर्यचकित होकर पूछा, "फिर महारानी कौशल्या कौन हैं?"
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, "वही तो इस जन्म में माता यशोदा हैं। चौदह साल तक जिनको पिछले जीवन में मां के जिस प्यार से वंचित रहना पड़ा था, वह उन्हें इस जन्म में मिला है।"
अर्थात् प्रत्येक प्राणी को इस मृत्युलोक में अपने कर्मों का भोग भोगना ही पड़ता है। यहां तक कि देवी-देवता भी इससे अछूते नहीं हैं।
अतः अहंकार के बंगले में कभी प्रवेश नहीं करना चाहिए और मनुष्यता की झोपड़ी में जाने से कभी संकोच नहीं करना चाहिए!
जय श्री राधे कृष्ण🙏🚩