Descubrir MensajesExplore contenido cautivador y diversas perspectivas en nuestra página Descubrir. Descubra nuevas ideas y participe en conversaciones significativas
Best MCA Colleges in Coimbatore | KIT | #toprankingengineeringcollegesincoimbatore #topcollegesincoimbatore #bestengineeringcollegesincoimbatore #topmostengineeringcollegesincoimbatore
महारानी नाग्निका सातकर्णी
विश्व की पहली साम्राज्ञी, सातवाहन ब्राह्मण वंश की महारानी नाग्निका सातकर्णी भारत ही नहीं अपितु पुरे विश्व की पहली साम्राज्ञी शासिका बनी थी सातकर्णि की अर्धांगिनी नाग्निका।
पुष्यमित्र शुंग के शासनकाल के बाद लगभग 518 वर्षों तक सातवाहन ( शालिवाहन ) राजवंश का समृद्ध इतिहास मिलता है, इसी वंश की तीसरी पीढ़ी की राज-शासिका थी, "नाग्निका"।
विश्व के इतिहास में पहली महिला-शासक मानी जाती है। नाग्निका सम्राट सिमुक सातवाहन की पुत्रवधू तथा सातकर्णी की पत्नी थी ,
युवावस्था में ही सातकर्णी का निधन हो जाने से वह राज्य-कार्यभार सँभालती है। सातवाहन काल में राज्य शासन केंद्र था, वृहद् महाराष्ट्र, जिसमें कर्णाटक-कोंकण तक सम्मिलित थे जिसकी राजधानी प्रतिष्ठान (पैठण) थी।
सातवाहन (शालिवाहन) काल में सीरिया, बेबीलोनिया के असुरी शक्तिओ का प्रभाव था यह इतने क्रूर थे कि जहाँ भी जाते थे लूटपाट मचाते थे , संस्कृति को नष्ट करना इनका मूल उद्देश्य होता था।
जब सातकर्णि शालिवाहन सम्राट का युद्ध में निधन हुआ तो असुरी शक्ति के प्रभाव से शालिवाहन साम्राज्य को नुकसान भी हुआ था।
वस्तुतः राष्ट्रनिर्माण हो जाने पर राष्ट्रविकास की संकल्पना को पूर्ण करते समय प्रथम और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य सीमा रक्षण का होता है जिसमे चूक होना विनाश का बुलावा होता है।
आज भी इन बातों पर गम्भीरता से विचार करने की आवश्यकता है राज्य सबल, सुन्दर, विकसित और सम्पन्न तभी हो सकेगा जब राष्ट्र निर्भय होगा।
हम शान्तिप्रिय हैं, और हम अहिंसा के पुजारी हैं इसका कोई, मनमाना अर्थ न निकाल ले इसलिए हमें अपने राष्ट्र को सामर्थ्यशाली साधन सम्पन्न बनाना, राष्ट्रसेना सुरक्षित, सुसज्जित और प्रशिक्षित होनी चाहिए।.
इसी वैचारिकता को आत्म सात करते हुए महारानी नाग्निका ने कहा -भविष्य में हम अपने राष्ट्र में अन्तरिम और बाह्य कैसे भी विद्रोह अथवा आक्रमण को क्षमा नहीं करेंगे
महामन्त्री सुशर्मा, आप इस समाचार को त्वरित प्रसारित करने की व्यवस्था कीजिए
महारानी नाग्निका ने गर्जना की।
वीरांगना साम्राज्ञी नाग्निका सातकर्णि ने शालिवाहन साम्राज्य और वैदिक हिन्दू संस्कृति के सूर्य को कभी अस्त नहीं होने दिया।
साम्राज्ञी नाग्निका के समय 781-764 (ई.पूर्व) 6 युद्ध हुये अस्सीरिया मेसोपोटामिया (Mesopotami , Assyria) के असुरों के खिलाफ शाल्मनेसेर चतुर्थ 773 (ई.पूर्व)और आशूर निरारि पंचम 755 (ई.पूर्व) यह असुर प्रजाति के थे। यह जिस राज्य में कदम रखते थे वहाँ के नारियों को यह अपना निशाना बनाते थे , दर्दनाक शारीरिक यातनाओं से गुजरना पड़ता था ना केवल धन लूटते थे अपितु संस्कृति का विनाश कर देते थे।
यह कोई सौ पचास हज़ार की तादात में सेना लेकर नहीं आते थे यह मेसोपोटमिया के असुर दल लाखों की संख्या में सेना लेकर आते थे। नाग्निका के राज्य शासन की राजधानी महाराष्ट्र थी। इन्होंने कई लड़ाईयां लड़ी शाल्मनेसेर चतुर्थ के साथ प्रथम लड़ाई लड़ी गई थी जहाँ इतिहासकार "रोबर्ट वालमन" ने अपनी पुस्तक "वर्ल्ड फर्स्ट वारियर" में लिखा हैं "साम्राज्ञी नागनिका ने अरब तक राज्य विस्तार की थी उनके तलवार के आगे 157 विदेशी असुरों ने घुटने टेक दिये थे"
आगे "शुभांगी भदभदे" नाम की इतिहासकार "साम्राज्ञी नाग्निका नामक उपन्यास" में लिखती हैं "असुर- निरारि पंचम की 1,36,000 संख्या वाली दानव शक्ति को नाग्निका ने भारत की पुण्यभूमि से बहुत बुरी तरह खदेड़ दिया था।
नाग्निका के मृत्यु के पश्चात भी इन विदेशियों की हिम्मत नहीं हो पायी दोबारा आर्यावर्त पे आक्रमण करने की। नाग्निका बेबीलोनिया, मेसोपोटमिया और अरबी हमलावरों को भारत से ना केवल खदेडती थी,अपितु उनका पूर्णरूप से विनाश कर देती थी, ताकि ये बर्बर आक्रमणकारी दोबारा भारत पर आक्रमण करने का सोच भी ना सके यह प्रसिद्ध लड़ाइयाँ कर्णाटक-कोंकण पैठण में लड़ी गयी थी।
नाग्निका ना केवल एक कुशल महारानी साथ ही साथ एक विलक्षण,रण कौशलिनी, युद्ध के 49 कला से निपुण शासिका थी।
शत्रुओं के बल और दर्प (घमण्ड) का अन्त तो करती थी साथ ही साथ अगर ज़रूरत होती थी तो शत्रु का पूर्णरूप से नाश कर देती थी।
नाग्निका सातकर्णि अतिकुशल राजनीतिज्ञ भी थी उन्होंने राजनीति के बल पर घोर विरोधी राज्य को भी बिना युद्ध लड़े एक छत्र शासन में ले आई थी...!
विश्व की पहली साम्राज्ञी नाग्निका सातकर्णि पहली शासिका थी जिन्होंने युद्ध में नेतृत्व करते हुए खुद भी युद्ध लड़ी थी असुर दलों के विरुद्ध और अरब तक राज्य विस्तार की थी।
यह बात 782(ई.पूर्व) की बात है। यह तब की बात हैं जब यूरोप में कोई शासिका बनना तो दूर घर से चौखट लांग कर जाने तक के लिए पूछना पड़ता था, तब हमारे भारत की नारी साम्राज्ञी बन कर भारत का ध्वज लहराई थी...!
नाग्निका विश्व की पहली महारानी हैं जिनके नाम का सिक्का निकला था...!
साभार :- ऐतिहासिक तथ्य साक्ष्य
रोबर्ट वालमन by वर्ल्ड फर्स्ट वारियर
शुभांगी भदभदे by साम्राज्ञी नाग्निका उपन्यास