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"नफरत " एक जहरीली मानसिकता।
लेखिका जान्हवी किन्नौर
इस संसार में सभी मनुष्य जीव-जन्तु को प्रेम चाहिए। कहते है की नफरत से कुछ हासिल नही होता सिवाए पछतावा के। इसलिए हमारे मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भावना होना आवश्यक है। प्रेम से जग जीता जा सकता है।
मेरे लेखन में प्रेम का मतलब प्रेमी -प्रेमिका से नही अपितु समाज में जो नफरत धर्म ,जाति ,अमीर ,गरीब ,एक सरहद से दूसरे सरहद एक इंसान का दूसरे इंसान के प्रति एक ऐसी प्रेम भावना से है जो इस संसार में समस्त जीव ,मनुष्य एक दूसरे से अपेक्षा रखता है ।
आज हिंदुस्तान अपने इतिहास के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। आज खतरे में सिर्फ हिंदु-मुस्लिम दलित नहीं है बल्कि पूरा हिंदुस्तान है।
मेरा देश महान है इसमें कोई शक नहीं पर इसमें रहने वाले लोगो के मन में कितनी महानता है? इसके अंदर की तस्वीर क्या है ?आप अब मणिपुर की बात लीजिये जहाँ इंसान दरिंदों की तरह एक दूसरे से मार काट रहे , अभी की बात हरियाणा के नूह की जहाँ धार्मिक जुलूस में हिंसा हो रही है।
अभी कल सुबह की चलती ट्रेन की घटना भी आप सभी ने सुनी होगी जहां एक रक्षा करने वाला सिपाही राक्षस बन गया। आज का युवा किस और जा रहा है। देश में और भी सोचनीय मुद्दे है जैसे महंगाई , बेरोजगारी ,अच्छी शिक्षा ,बेहतर स्वास्थ्य सुविधा। पर आज की युवा पीढ़ी पढ़ क्या रही है ?इतनी नफरत क्यों ? उसकी मानसिक सिथति किस दिशा में जा रही है।
एक बूढ़ा मुस्लिम व्यक्ति ट्रेन में नमाज अदा करता है और वहीं कुछ युवा जोर जोर से जानबूझ कर हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे है। में यहाँ किसी मुस्लिम का समर्थन नहीं करती ना हिन्दू के हनुमान चालीसा से आपति जता रही यहाँ बात सही और गलत की है एक ऐसी सोच की जो आज की युवा पीढ़ी को इस नफरत की जहरीली मानसिकता ने जकड़ रखा है।
ये सामाजिक मुद्दा भी है और एक सामाजिक आईना भी। भारत एक धर्मनिपेक्ष देश है ये उस बगिया की तरह है जिसमें तरह तरह के फूल खिलते है और जितने प्रकार के फूल उतनी उसकी सुंदरता।
हमारा धर्म ये नहीं सिखाता की दूसरे धर्म का अपमान करे। हम मानते है हम दूसरे धर्म को नहीं अपनाते इसका मतलब ये तो नहीं उसका अपमान भी ना करे।
भारत का संविधान, भारत का लोकतंत्र ,भारत का भविष्य। वो संविधान जिसे स्वतंत्रा संग्राम के शूरवीरों ने अपने खून से सींचा था और धर्मनिपेक्ष लोकत्रांत्रिक गणराज्य की बुनियाद रखी थी। आज इसी गणराज्य की जड़ों में नफरत का तेजाब डाला जा रहा है।
अभी हाल में ही रचोली में किन्नौर की बेटी के साथ बदसुलूकी की घटना हुई थी। जिस साहिल सागर ने किन्नौर की बेटियों की मदद की उसे भी समाज में नफरत का सामना करना पड़ा।
कहाँ तो उसे सम्मान देने की बात होनी चाहिये थी और कहाँ उसे धमकियों का सामना करना पड़ा। अब यहाँ समाज की मानसिकता भी देखिये किस आधार पर एक समाज के हितेषी को भी हमारा ही समाज अपनी तुच्छ मानसिकता से प्रताड़ित करता है। आज हमारे समाज और राजनीति में जो नफरत की आंधी चल रही है ये कोई नई बात नहीं है। दुनिया के कई देशों में ऐसे दौर आये जब नफरत मनुष्य के मन मस्तिष्क में इस कदर हावी हुआ की उसने प्रेम मुहब्बत को हमेशा हमेशा के लिये समाप्त ही कर दिया।
ये भी देखने को मिल रहा है की आज भारत की राजनीति में नफरत का बोलबाला है। हर गली ,गाँव ,मोड पर नफरत का राक्षस ऐसे खड़ा मानो कब किसको निगल ले। भाईचारे की राजनीति और संस्कृति अब लाचार नजर आती है। नफरत की राजनीति अपने चरम पर है। मेरा लिखने का उद्धेश्य किसी विशेष राजनीति पार्टी का समर्थन देना या विरोध करना नहीं है जो हालत है उसके आधार पर है।
आज देश की हालत चिंताजनक है और आमजन परेशान। एक तो महंगाई ,बेरोजगारी ,भ्रष्टाचार से जनता परेशान है उसमें फिर नफरतों की टोली अपनी रोटी सेंकने आ जाती है।
अपने आने वाली पीढ़ी और अपना भविष्य खतरे में मत डालिये आपके पास और भी कार्य है करने के लिए। एक दूसरे के प्रति प्रेम भावना आदर रखे। अपने आप को इतना मजबूत करे अपने की मस्तिष्क में ऐसी कोई गलत धारणा ही ना आये। दया ,करुणा ,आदर प्रेम से एक दूसरे का और एक दूसरे के धर्म का सम्मान करे। आप मनुष्य है मनुष्य बने रहिये अपने अंदर राक्षस प्रवृत्ती को हावी ना होने दे ।
धन्यवाद।
जहान्वी।
अरुणाचल प्रदेश के बीहड़ में तैनात इन सभी #फौजी भाइयों ने अपने ड्यूटी के अतिरिक्त समय निकाल कर जंगल में बने इस प्राचीन मंदिर की साफ सफाई,रंग रोगन करके जीर्णोद्धार कर दिया!
फौजी भाई और उनकी पूरी टीम को बहुत बहुत साधुवाद और शुभकामनाएँ! यूँ हीं देश के साथ धर्म सेवा में रत रहें!
महादेव सदैव इन फौजी भाइयों की रक्षा करें!
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मेरा समस्त विद्वानों से आग्रह हैकि इस तिलक मंजरी के इस वाले हिस्से का ठीक ठीक अनुवाद कर बताएं कि इस गुर्जर शब्द का यहाँ प्रयोग किसी क्षेत्र, प्रदेश के रूप में हुआ है या किसी जाति के रुप में ? जितने भी संस्कृत शब्दकोश है उन सभी का अध्यन करके बताएं ।
उगल, गूगल, व्हाट्सप्प विश्विद्यालय के पीएचडी होल्डर कृपाया अपना अनुवाद अपने पास रखें ।
वो तुम्हे मेवात में उलझायेंगे ।
तुम कैथल में अडिग रहना ।।
राष्ट्र रक्षा के नाम पर बहुत दिनों से अभ्यास कर रहे ये लोग माना कि सीरियल जोधा-अकबर में, फ़िल्म पद्मावत के विरूद्ध हुए आंदोलन एवं प्रदर्शनों ने इसलिए बाहर नही निकल पाए क्योंकि इनका क्षत्रियों से कोई वास्ता नही था पर अब ये मेवात में भी कहीं दिखाई नही दिए क्या कारण रहा ?