Ontdekken postsOntdek boeiende inhoud en diverse perspectieven op onze Ontdek-pagina. Ontdek nieuwe ideeën en voer zinvolle gesprekken
आपके अंतिम संस्कार के बाद क्या होगा❓कुछ पत्ता है__
कुछ ही घंटों में रोने की आवाज पूरी तरह से बंद हो जाएगी
रिश्तेदारों के लिए खाना बनवाने या मंगवाने में जुटे जायेगा परिवार,
कुछ पुरुष सोने से पहले चाय की दुकान पर टहलने निकल जाएंगे।
कोई रिश्तेदार आपके बेटे या बेटी से फोन पर बात करेगा कि आपात स्थिति के कारण वह व्यक्तिगत रूप से नहीं आ पा रहा है।
और तो और इधर आपका मृत शरीर चिता पर जल रहा होगा, उधर आपको अंतिम विदाई देने आए लोगों में से कोई फोन पर किसी से बतिया रहा होगा, कोई वाट्स एप, फेसबुक पर व्यस्त होगा तो दूर झुंड बनाकर बैठे कुछ लोग घर परिवार, व्यवसाय, खेल आदि अन्य विषयों पर चर्चा कर रहे होंगे।
अगले दिन रात के खाने के बाद, कुछ रिश्तेदार कम हो जाएंगे, और कुछ लोग सब्जी में पर्याप्त नमक नहीं होने की शिकायत करते होंगे।
भीड़ धीरे धीरे छंटने लगेगी ,
आपका कार्यालय या आपकी दुकान आपकी जगह लेने के लिए किसी ओर को ढूंढने में जल्दबाजी करेगा।
महीने के अंत तक आपका जीवनसाथी कोई कॉमेडी शो देख कर हंसने लगेगा।
सबका जीवन सामान्य हो जाएगा। आपको इस दुनिया में आश्चर्यजनक गति से भुला दिया जाएगा। इस बीच आपकी प्रथम वर्ष पुण्यतिथि भव्य तरीके से मनाई जाएगी। पलक झपकते ही साल बीत गए और आपके बारे में बात करने वाला कोई नहीं है।
एक दिन बस पुरानी तस्वीरों को देखकर आपका कोई बेहद करीबी आपको याद कर सकता है।
लोग आपको आसानी से भूलने का इंतजार कर रहे हैं, फिर आप किसके लिए दौड़ रहे हो? और आप किसके लिए चिंतित हैं?
क्या आप अपने घर, परिवार, रिश्तेदार को संतुष्ट करने के लिए जीवन जी रहे हैं?
जिंदगी एक बार ही होती है, बस इसे जी भर के जी लो… और जितना हो सके इसके परम उद्देश्य के जितना निकट पहुंच सको, पहुंचने का कोशिश करें ।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया .... 🌹
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्
ये वो हनुमान थे जिसने कलयुग में सनातन धर्म की जड़ो को फिर से सींचने का काम किया।
स्व. श्री हनुमान प्रसाद पौद्दार जी जिन्होंने गीता प्रेस गोरखपुर की स्थापना की ओर कलयुग में भारत के घर घर मे वैदिक धर्म ग्रंथों, शास्त्रौ को पहुचाने का काम किया। आज भारत के घर मे जो सनातन शास्त्र पहुच रहे है वो स्व श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी की देन है। वास्तव में हनुमान प्रसाद पोद्दार जी हनुमान ही थे जब हिन्दू समाज अपने ज्ञान , विज्ञान, गौरव को भुल अंग्रेजी सभ्यता का दास बन रहा था, तब इन्होंने हनुमान की भांति संजीवनी रुपी गीता प्रेस गोरखपुर (सनातन शक्तिपुंज) की स्थापना कर जो सनातनियों को जड़ से जोड़े रखने का भगीरथी प्रयास किया । उसके लिए भारत का समाज हमेशा इनका ऋणी रहेगा। इन लोगो ने अभावो में रहकर भी कैसे संस्थान खड़े किए होंगे जो सम्पूर्ण विश्व मे वैदिक ग्रंथ पहुचाने वाले सबसे बडे संस्थान बनकर उभरे।
न पैसा न संसाधन फिर भी समाज की आने वाली पीढ़ियों तक शास्त्रो का अमर ज्ञान पहुचाने के लिए अपना सबकुछ वार दिया।
हनुमान प्रसाद पोद्दार जी जैसे महापुरुषों के द्वारा ही वह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ज्ञान पहुंचाने वाली ऋषि परम्परा जीवित है।
जो समाज अपने इतिहास और महापुरुषों को भुल जाते है वो समाज कुछ समय में ही नष्ट हो जाता है , इसलिए हनुमान प्रसाद पोद्दार जी जैसे महात्माओं को कभी मत भूलो ये ही भारत के संस्कृति के इस अक्षय वृक्ष की जड़ है।
कोटि कोटि नमन 🙏🙏