Ontdekken postsOntdek boeiende inhoud en diverse perspectieven op onze Ontdek-pagina. Ontdek nieuwe ideeën en voer zinvolle gesprekken
झलकारी बाई का जन्म 22 नवम्बर 1830 को झांसी के पास के भोजला गाँव में एक निर्धन कोली परिवार में हुआ था। झलकारी बाई के पिता का नाम सदोवर सिंह और माता का नाम जमुना देवी था। जब झलकारी बाई बहुत छोटी थीं तब उनकी माँ की मृत्यु के हो गयी थी, और उसके पिता ने उन्हें एक लड़के की तरह पाला था। उन्हें घुड़सवारी और हथियारों का प्रयोग करने में प्रशिक्षित किया गया था। उन दिनों की सामाजिक परिस्थितियों के कारण उन्हें कोई औपचारिक शिक्षा तो प्राप्त नहीं हो पाई, लेकिन उन्होनें खुद को एक अच्छे योद्धा के रूप में विकसित किया था। झलकारी बचपन से ही बहुत साहसी और दृढ़ प्रतिज्ञ बालिका थी। झलकारी घर के काम के अलावा पशुओं का रख-रखाव और जंगल से लकड़ी इकट्ठा करने का काम भी करती थीं। एक बार जंगल में उसकी मुठभेड़ एक तेंदुए से हो गयी थी और झलकारी ने अपनी कुल्हाड़ी से उस तेंदुआ को मार डाला था। एक अन्य अवसर पर जब डकैतों के एक गिरोह ने गाँव के एक व्यवसायी पर हमला किया तब झलकारी ने अपनी बहादुरी से उन्हें पीछे हटने को मजबूर कर दिया था।[3] उसकी इस बहादुरी से खुश होकर गाँव वालों ने उसका विवाह रानी लक्ष्मीबाई की सेना के एक सैनिक पूरन सिंह कोली से करवा दिया, पूरन भी बहुत बहादुर था और पूरी सेना उसकी बहादुरी का लोहा मानती थी। एक बार गौरी पूजा के अवसर पर झलकारी गाँव की अन्य महिलाओं के साथ महारानी को सम्मान देने झाँसी के किले में गयीं, वहाँ रानी लक्ष्मीबाई उन्हें देख कर अवाक रह गयी क्योंकि झलकारी बिल्कुल रानी लक्ष्मीबाई की तरह दिखतीं थीं (दोनो के रूप में आलौकिक समानता थी)। अन्य औरतों से झलकारी की बहादुरी के किस्से सुनकर रानी लक्ष्मीबाई बहुत प्रभावित हुईं। रानी ने झलकारी को दुर्गा सेना में शामिल करने का आदेश दिया। झलकारी ने यहाँ अन्य महिलाओं के साथ बंदूक चलाना, तोप चलाना और तलवारबाजी की प्रशिक्षण लिया। यह वह समय था जब झांसी की सेना को किसी भी ब्रिटिश दुस्साहस का सामना करने के लिए मजबूत बनाया जा रहा था।
ये है सरिता कश्यप...पिछले 20 साल से अकेली महिला (सिंगल मदर) है, एक बेटी है जो कालेज में पढ़ती है! घर खर्चे के लिए पीड़ागढ़ी मे सीएनजीपंप के पास अपने स्कूटी पर राजमाचावल का स्टाल लगाती हैं..रेट- छोटा प्लेट 40 रुपये, फुल प्लेट 60 रुपये अगर आपके पास पैसे नहीं है तो भी आपको ये भूखा नहीं जाने देंगी ,"खाना खा लो ,पैसे जब हो तब दे जाना , या मत देना " ये कहकर आपको खिला देंगी, चाहे आप किसी भी जाती धर्म या सम्प्रदाय से जुड़े हुए हों. ये अपने पास के गरीब बच्चों को मुफ्त मे खिलाती है और उनके स्कुल के कापी,किताब ,ड्रेस ,जुते यानी कुछ भी कम हो तो खरीद कर देती हैं और हां....खाली समय मे बच्चों को पढ़ाती भी हैं क्या इस महिला को किसी भी चैनल ने हाईलाइट किया ? नही..क्योकि इस महिला की खबर में कोई ग्लैमर नही है....अगर हिंदू मुस्लिम वाली बात होती तब इसको अब तक हर कोई जान गया होता...खैर इस महिला को इस नेक काम के लिये धन्यवाद और ये दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करें, यही कामना है...🙏
Arbeiten im Stehen: Wie Stehpulte Ihre Produktivität steigern können | #schreibtisch höhenverstellbar #eckschreibtisch höhenverstellbar #schreibtisch höhenverstellbar kurbel #schreibtisch kinder höhenverstellbar #gaming schreibtisch höhenverstellbar #computertisch höhenverstellbar #schreibtisch mit tastaturauszug #schreibtisch mit schubladen #tischgestell höhenverstellbar #bürostuhl ergonomisch