Discover postsExplore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
12 सितंबर 1897 को सारागढी युद्ध हुआ
जिसमें 36 वीं सिख रेजिमेंट के 21 बहादुर सैनिको ने
10000 अफगान गुस्पेठियों को जो किले पर कब्जा करने की नियत से आये, उनमें से 900 को मौत के घाट उतार कर बलिदानी हासिल की
जब कि वो चाहते तो जान बचकर निकल सकते थे लेकिन भगोड़े होने से लड़कर बलिदान को चुना और 7 घंटे तक युद्ध किया।
ऐसे महान वीरों की शहादत को नमन
ऐसे महान वीरों के किस्सों को स्कूली किताबों में शामिल करना आवश्यक हैं।
जो चूक हमारे पूर्वजों ने की थी,
वह छत्रपति शिवाजी महाराज ने नहीं किया था ।
पकङे गए शत्रू को कभी भी जीवनदान नहीं दिया ..............
उलटा ऐसी मौत दी कि, मुगल निज़ाम भयाक्रान्त रहने लगे ।
सवा लाख सैनिकों की सेना लेकर आए अफज़ल खान का वध करने के उपरान्त उसका मस्तक काटकर,शत्रु के सामने से लाकर प्रतापगढ़ के द्वार पर लटका दिया था,
यह थे वीर शिवा जी 🚩🚩
यदि पृथ्वीराज चौहान ने ऐसा किया होता तो इतिहास कुछ और ही होता ।
भारतीय सेना के आरएफएन अज़ीफ़ मिज़लाज को नेपाल के काठमांडू में आयोजित 55वीं एशियाई बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप 2023 में 85 किलोग्राम वर्ग में प्रथम रनर-अप चुना गया।
भारत के सरवनन मणि ने चैम्पियनशिप के समग्र चैंपियन के रूप में विजय प्राप्त की।
उपलब्धियाँ जो गौरवान्वित करती हैं।
जय हिन्द 🇮🇳