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Sunny Deol Jaipur mein the amisha Patel ke sath film Gadar 2 ke promotion ke liye #gadar2 #sunnydeol #gadar2song #gadar2trailer #kanukantiyasaab

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मोदी सरनेम केस: सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को मिली बड़ी राहत, सजा पर लगी रोक

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वाल्मीकि रामायण (भाग 49)
सुतीक्ष्ण मुनि से आज्ञा लेकर वे तीनों आगे बढ़े।
श्रीराम सबसे आगे चल रहे थे, उनके पीछे सीता थीं और सबसे पीछे धनुषधारी लक्ष्मण थे। अनेक पर्वतों, वनों और रमणीय नदियों को देखते हुए वे लोग आगे बढ़ते गए। उन्होंने देखा कि कहीं नदियों के तटों पर सारस और चक्रवाक विचर रहे हैं, तो कहीं सरोवरों में कमल खिले हुए हैं। कहीं चितकबरे हिरण थे, कहीं बड़े सींग वाले भैंसे, लंबे-लंबे दातों वाले जंगली सुअर और कहीं विशालकाय हाथी।
मार्ग में मिलने वाले अनेक आश्रमों में निवास करते हुए वे लोग दंडकारण्य में घूमते रहे। कहीं तीन माह, कहीं छः, कहीं आठ माह, तो कहीं एक वर्ष बिताते हुए उन्होंने कई आश्रमों में निवास किया। इस प्रकार दस वर्ष बीत गए और सब ओर घूम-फिरकर वे लोग सुतीक्ष्ण मुनि के आश्रम में लौट आए।
वहां कुछ दिन बीत जाने पर एक बार श्रीराम ने सुतीक्ष्ण मुनि से कहा, "महामुनि! मैंने कई लोगों से सुना है कि इस वन में कहीं अगस्त्य जी निवास करते हैं। मैं उनके आश्रम में जाना चाहता हूं। आप मुझे उसका मार्ग बताएं।"
तब सुतीक्ष्ण मुनि बोले, "श्रीराम! मैं स्वयं भी आपसे यही कहने वाला था कि आप महर्षि अगस्त्य के पास भी जाएं। बहुत अच्छा है कि आपने मुझसे वही पूछ लिया।"
"इस आश्रम से चार योजन दक्षिण में जाने पर आपको महर्षि अगस्त्य के भाई का एक सुंदर आश्रम मिलेगा। वहां एक रात रुककर आप दक्षिण दिशा की ओर एक योजन और आगे जाएं। वहां अनेक वृक्षों से सुशोभित रमणीय वन में अगस्त्य जी का आश्रम है।"
सुतीक्ष्ण मुनि के बताए मार्ग पर चलते हुए वे तीनों अगस्त्य जी के भाई के आश्रम में पहुंचे। रात भर वहां रुककर अगले दिन वे लोग आगे बढ़े। मार्ग में उन्हें नीवार, कटहल, साखू, अशोक, तिनिश, महुआ, बेल, तेंदू आदि के सैकड़ों जंगली वृक्ष दिखाई दिए। कई वृक्षों को हाथियों ने मसल डाला था और कई वृक्षों पर वानर बैठे हुए थे। सैकड़ों पक्षी उन वृक्षों की डालियों पर चहक रहे थे।
इस प्रकार चलते-चलते वे लोग अगस्त्य मुनि के आश्रम पर आ पहुंचे। उसे देखकर श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा, "सौम्य लक्ष्मण! अगस्त्य जी दीर्घायु महात्मा हैं। उनके आशीर्वाद से हमारा भी कल्याण होगा। अब मैं यहीं रहकर अगस्त्य मुनि की सेवा करूंगा और वनवास की शेष अवधि यहीं बिताऊंगा। इस आश्रम में पहले तुम प्रवेश करो और यहां के महर्षियों को मेरे और सीता के आगमन की सूचना दो।"

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