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जब औरंगजेब को पता चला कि छत्रपति शिवाजी महाराज का देहांत हो गया है। तो वो दक्षिण जीतने की इच्छा लिए आगरा से उठकर औरंगाबाद पहुँच गया। औरंगजेब को एक दिन निजामशाही और दो दिन आदिलशाही को खत्म करने में लगे लेकिन सामना होना था 23 साल के नए छत्रपति संभाजी से। इस समय औरंगजेब दुनिया का सबसे ताकतवर राजा था। वो ना सिर्फ विश्व के सबसे बड़ा भू भाग पर राज कर रहा था उसके पास विश्व की सबसे बड़ी पाँच लाख की सेना थी।
अगले 9 सालों में संभाजी ने पुर्तगालियों के खिलाफ 15 और मुगलों के खिलाफ 69 छोटे बड़े युद्ध जीते। मराठा साम्राज्य की जो सीमा उनके पिता छोड़ कर गए थे वो उससे कई गुना बढ़ाकर आगे ले गए। गुजरात से लेकर गोवा तक भगवा फहर रहा था। साल 1689 में सगे साले की गद्दारी के चलते छत्रपति अपनी पत्नी और बच्चे समेत बंधक बनाए गए। उन्हें जोकर के कपड़े पहनाकर परेड कराते हुए मुगल खेमे में लाया गया। औरंगजेब ने जिंदा रहने के दो रास्ते दिए पहला पूरा मराठा साम्राज्य मुगलों को सौंप दिया जाए या इस्लाम स्वीकार कर लिया जाए। बंधक बने संभाजी का जवाब था अगर औरंगजेब अपनी बेटी की निकाह भी मुझसे करा दे तो भी इस्लाम स्वीकार नहीं करूँगा।
इसके बाद शुरू हुआ टॉर्चर पहली दिन उनकी आँखें फोड़ी गई, इसके बाद उनकी जीभ काटी गई, फिर खाल उतारी गई अंत में उनकी टुकड़े करके कुत्तों को खिला दिए गए। औरंगजेब इसके बाद करीब 20 साल मराठों को खत्म करने का सपना लिए औरंगाबाद पड़ा रहा वो तो हिन्दू पदपादशाही समाप्त नहीं कर पाया, हाँ उसके मरने के 40 साल बाद पेशवाओं ने जरूर मुगल बादशाहों को पेंशन पर रखा और उनकी रक्षा की। मराठों एवं अंग्रेजों में 1684 में जो समझौता हुआ, उसमें छत्रपति संभाजी महाराज ने एक ऐसी शर्त रखी थी कि अंग्रेजों को मेरे राज्य में दास (ग़ुलाम) बनाने अथवा ईसाई धर्म में दीक्षित करने हेतु लोगों का क्रय करने की अनुज्ञा नहीं मिलेगी।
छत्रपति संभाजी महाराज द्वारा औरंगजेब को लिखा पत्र…
“बादशाह सलामत सिर्फ मुसलमानों के बादशाह नहीं हैं। हिंदुस्तान की जनता अलग अलग धर्मों की है। उन सबके ही बादशाह हैं वो। वो जो सोच कर दक्कन आये थे, वो मकसद पूरा हो गया है। इसी से संतुष्ट होकर उन्हें दिल्ली लौट जाना चाहिए। एक बार हम और हमारे पिता उनके कब्ज़े से छूट कर दिखा चुके हैं। लेकिन अगर वो यूँ ही ज़िद पर अड़े रहे, तो हमारे कब्ज़े से छूट कर दिल्ली नहीं जा पाएंगे। अगर उनकी यही इच्छा है तो उन्हें दक्कन में ही अपनी क़बर के लिए जगह ढूँढ़ लेनी चाहिए।”
छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या के बाद औरंगजेब ने कहा था, “अगर मेरे चार बेटों में से एक भी तुम्हारे जैसा होता, तो सारा हिंदुस्तान कब का मुग़ल सल्तनत में समा चुका होता।”
महाराणा प्रताप सिंह
हर हर महादेव 🚩🚩

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