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This Hariyali Teej, may Mahadev and Parvati Ji destroy all your sorrows and eliminate all the troubles. Happy Hariyali Teej.
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1857 की क्रांति को भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाना जाता है। इस देश के इतिहास में ऐसे कई राजा और सम्राट हुए हैं जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विदेशी ताकतों को अपनी मिट्टी पर आसानी से पांव नहीं जमाने दिए। ऐसी कई कहानियां प्रचलित हैं; लेकिन भारत की जांबाज़ रानियों और महिला क्रांतिकारियों की इतिहास में उतनी पहचान नहीं है, जिसकी वे हक़दार हैं। यह सच है कि भारत भूमि पर अनेक वीरांगनाओं ने जन्म लिया और इसकी रक्षा के लिए हसंते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी। रानी वेलू नचियार उन्हीं में से एक थीं।
रानी वेलू नचियार तमिलनाडु के शिवगंगई क्षेत्र की धरती पर जन्मीं और अंग्रेज़ों से युद्ध में जीतने वाली पहली रानी थी। उन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के समय से काफ़ी पहले अंग्रेज़ों से लोहा लिया और उनको नाको चने चबवा दिए। तमिल क्षेत्र में उन्हें वीरमंगाई यानी 'बहादुर महिला' कहकर बुलाते हैं। 3 जनवरी, 1730 को उनका जन्म रामनाड साम्राज्य के राजा चेल्लमुत्थू विजयरागुनाथ सेथुपति और रानी स्कंधीमुत्थल के घर में हुआ था। रानी वेलू को किसी राजकुमार की तरह ही युद्ध कलाओं, घुड़सवारी, तीरंदाज़ी और विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा उन्होंने अंग्रेज़ी, फ़्रेंच और उर्दू जैसी कई भाषाएं भी सीखीं। 1746 में जब वेलू नचियार 16 साल की हुईं तब उनका विवाह शिवगंगा राजा मुथुवदुगनाथपेरिया उदययथेवर के साथ हुआ। दोनों की एक पुत्री हुई, जिसका नाम वेल्लाची रखा गया। लगभग 2 दशकों तक शांति से राज करने के बाद अंग्रेज़ों की नज़र इस राज्य पर पड़ी।
1772 में ईस्ट इंडिया कंपनी की अंग्रेज़ सेना और अरकोट के नवाब की सेनाओं ने मिलकर शिवगंगई पर आक्रमण किया। कलैयार कोली युद्ध नाम से इस युद्ध में वेलू नचियार के पति और कई अन्य सैनिक मारे गए। यह उस समय के सबसे विध्वंसक युद्धों में से एक था। अंग्रेज़ी सेना ने किसी को नहीं बख़्शा, बच्चे, बूढ़े और महिलाएं सभी को मौत के घाट उतार दिया गया। वेलू नचियार और उनकी पुत्री सकुशल बच निकलने में क़ामयाब हुईं और तमिलनाडु के डिंडिगुल में गोपाल नायकर के यहां आकर रहने लगे। यहां रहकर रानी ने अंग्रेज़ों से अपना राज्य वापस लेने की योजनाएं बनाईं और कई शासकों के साथ मैत्री बढ़ाई। रानी नचियार धीरे-धीरे अपनी सेना इकट्ठा की और शिवगंगा लौट 1780 में अपने पति की जगह शासन करने लगीं।
1780 में ही रानी वेलू नचियार और अंग्रेज़ी सेना का आमना-सामना हुआ। रानी वेलू ने इतिहास में दर्ज पहला सूसाइड बम हमला करने की योजना बनाई। रानी की सेना की कमांडर और उनकी वफ़ादार कुइली ने इस योजना के लिए ख़ुद की बलिदान देने के लिए आगे बढ़ीं। कुइली ने ख़ुद पर घी डाला, आग लगाई और अंग्रेज़ों के गोला-बारूद और हथियार घर में कूद पड़ीं। इस तरह वीर कुइली ने अंग्रेज़ों की सेना को कमज़ोर कर दिया और वीरगति प्राप्त की। रानी ने कुशल रणनीति, युद्ध कलाओं से बहुत से लोगों के अंदर वतनपरस्ती की भावना भर दी। अंग्रेज़ों को शिवगंगा छोड़ कर भागना पड़ा और उन्होंने दोबारा इस राज्य की तरफ़ आंख उठाकर नही देखा। रानी ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध शिवगंगा और तमिल वासियों में देशप्रेम की जो लौ जगाई थी वो आज़ादी मिलने तक जलती रही।
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