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मन की यात्रा बहुत लंबी होती है। स्मृतियों के सिरे को पकड़े, उनके रास्ते खंगालते हम वहाँ तक हो आते हैं...जहाँ से लौटने में बरसों लगे थे।

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मिडिल क्लास जिन्नगी भी अजीब गोला है, जैसे चक्कर घूमता हैं, वैसे यह मिडिल क्लास जिन्नगी भी घूमती हैं, और आपको भी चक्कर घिन्नी बना देती है।
बन्दा लव मैरिज करे तो रिश्तेदार मुंह मे साड़ी का पल्लू/ टीशर्ट की कॉलर दबाए दबाए बोलते फिरेंगे;
हमको तो लगा ही था...लछन सही नहीं थे लड़के/लड़की के। एक्चुअली यहां पर जेंडर बाय्स हो जाते हैं, लड़के में ज्यादा फर्क नहीं पड़ता पर लड़की कर ले तो आज भी कई पड़ोसी और रिश्तेदारों के नमक मिर्च के दौर शुरू हो जाते हैं। और अम्बानी की किरपा से फोन भी सस्ता ही है।
खैर लव मैरिज में बात यहीं खत्म हो जाती...क्योंकि ब्याह के बाद छोरा छोरी किसी की नहीं सुनते! बस सालों बाद में मोहल्ले वाले बर्तनों की आवाज़ सुनते हैं, वह अलग किस्सा है!
पर असली खेला तो अरेंज मैरिज वालो का शुरू होता है भाईसांप!
पहले तो ब्याह कर लो...ब्याह कर लो...उम्र निकली जा रही। ज्यादा देर हुई तो मन मारकर किसी भी अलटू पलटू से शादी करनी पड़ेगी।
अब रिश्ता देखना शुरू करो तो रिश्तेदारों के... रंग, रूप, मकान, जायदाद, नौकरी को लेकर सो नुक्ताचीनी।
फिर मध्यस्थ दस बातें करेंगे...हमारी बबली के ससुराल में तो 'सब पहनने की छूट है' , 'उनके यहां तो खूब घूमने फिरने वाला माहौल है', तो कभी हाय्य उनके घर मे तो खूब कंजूस लोग भरे पड़े हैं टाइप बवाली हिसाब किताब झेलते रहो।
अब जैसे तैसे ब्याह हो गया और खैर न खास्ता आपकी उम्र 29-30 पहुंच गई तो बच्चों के लिये पीछे पड़ जाएंगे! उम्र निकले जा रही टाइम पे कर लो.... टाइम पे करने की होड़ नहीं, न तो बाद में 'दिक्कत' होगी।
अब बन्दा डर के बच्चे पैदा भी कर ले तो उनकी परवरिश के नुक्से बताने परिवार वाले से लेकर, मोहल्ले, तहसील, जिले और अक्खे ब्रह्मांड के लोग खड़े हो जाएंगे। ...हाय्य राम हम तो बड़ी हरड़ और सोंठ देते थे बच्चे को...ये ज़रा ज़रा सी बात पर अस्पताल क्यों लेकर भाग रहे? ओहहो जी डायपर...हम तो बच्चे को 'फ्री' घुमाते थे! ओहहो जी इनके ही बच्चे हुए हैं अनोखे...हमने तो इस उम्र तक 3 बच्चे पाल लिये थे!
पहला हो जाए तो दूसरा कल्लो...बच्चा अकेला पड़ जाएगा, कम्पनी चाहिये! जैसे हमारे बच्चे की कम्पनी की चिंता हमारे अलावा सारी दुनिया को है!
जैसे तैसे वो बड़े हो जाएं तो 10 में कितने नम्बर आए? 12 वी में क्या करियर बना रहा? कौनसा कालेज क्या फीस उस पर नुक्ता चीनी करेंगे।
बच्चे कॉलेज में आ जाएं तो फलाने के साथ देखा कभी ढिकाने के साथ हँस रही थी लड़की आपकी।
लड़का हो तो आवारा हो गया..बार मे बैठा था..गुंडे जैसे तो दोस्त पाले (?) हैं उसने। कोई शरीफों वाली हरकत तो लगती नहीं उसकी! नौकरी लगी कि नहीं? शादी वादी करवा दो वरना हाथ से निकल जाएगा बच्चा!
शादी करवा दो तो बच्चे करवा लो बाद में दिक्कत होगी....एन्ड सो ऑन गोल गोल गोला है यह सब।
खैर...सानू की! हर इंसान किसी न किसी स्टेज पर होगा इस समय...आप कौनसे वाले हैं?
बाकी तो...आल इज वेल
#यादों_से
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बहुत सी बातें जो हम भूल जाना चाहते हैं वह अक्सर यूँही बैठे बैठे याद आ जाती हैं तो मन कसैला सा हो जाता है।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि कुछ समय के बाद वह बातें बदल गईं या उनका अस्तित्व खो गया...पर उनके दंश यदाकदा चुभते ही हैं। आज एक जगह कुछ पढ़ा तो यह फिर याद आ गया।
मेरी एक परिचित को नई शादी के कुछ ही समय के बाद बिन किसी से पूछे किचन से भुट्टा लेकर खा लेने पर ननद ने सबके सामने जोरो से थप्पड़ लगाया था। अचानक पड़े थप्पड़ और अपमान से जब उसकी आँखें डबडबा गई, और सास ससुर ने यह देखा कि कहीं बात न बिगड़ जाए तो वो जोरो से हँसने लगे, और उस बात को मजाक में मोड़ दिया, कहने लगे यह पहले भाई को नहीं छोड़ती थी अब देखो भाभी से बराबरी कर रही है।
समय बीत गया पर उन्हें आज भी जब यह बात याद आती है तो उनके गालों पर वो थप्पड़ आज भी वैसा ही दर्द देता हैं।
एक फ्रेंड ने अपने पति की दोस्त से कोई बात की, उस दोस्त ने गुस्से में उसे a**h*** कहा, पति ने उस दोस्त की बात को जस्टिफाई किया यह कहकर कि वह तो ऐसे ही प्यार से पागल कह रही थी। मुझसे जब उसने यह बात शेयर की तब उसके चेहरे पर अपमान से ज्यादा पति का साथ न देने का दुःख दिखा। जो इतने सालों बाद भी वह भूल नहीं पाती।
मेरी एक परिचित को तो प्रेगनेंसी में सडनली ब्लीडिंग शुरू होने पर डॉक्टर के यहाँ जाने देने पर उसे पहले तो बहाना बोलकर मना किया, और जब बाद में उसने बहुत फोर्स किया कि उसे जाना ही पड़ेगा तो पहले उसे 'चैक' करवाना पड़ा कि वह सच कह रही है। तब ही उस हॉस्पिटल जाकर 'पड़े रहने की छूट' दी गई।
अब सालों बाद जब उन्ही लोगों को उनके पोते पोतियों पर हक जमाते देखती हूँ, तो परिचित का वह चेहरा याद आता है, जब उसने हॉस्पिटल पहुंचकर डॉक्टर के पैर पकड़ कर बच्चे को बचाने की गुहार लगाई थी।
ऐसी अनगिनत बातें हैं जो हर कोई भूलना चाहता है, पर भूल नहीं पाता। कहते हैं समय हर घाव भर देता है, पर ऐसा नहीं है...समय बस हमे उस घाव के साथ जीने की आदत दे देता है।
बाकी तो...

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16वां "राष्ट्रीय लोक सेवा दिवस"-2023
'भारतीय प्रशासनिक सेवा' के सभी 'लोक सेवकों' को
"लोक सेवा दिवस" की अंनत शुभकामनाएं...!!💐💐

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