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My kid is facing excess hair on back and hands , does coocoo ubtan powder and body wash is helpful !

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Feeling happy with Avani & Ayansh at Utsah Restaurant, Indore at Lunch today.

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ओम राउत के निर्देशन में बनी फिल्म ‘आदिपुरुष’ को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बवाल मचा हुआ है. नेटिजंस फिल्म के कास्ट सहित फिल्म के संवाद पर आपत्ति जता रहे हैं. फिल्म के डायलॉग्स की भी जमकर आलोचना की जा रही हैं. इसी बीच रामानंद सागर की रामायण में भगवान हनुमान का किरदार निभाने वाले दारा सिंह के बेटे विंदू दारा सिंह ने अपने नए इंटरव्यू में कहा है कि अगर उन्हें ‘आदिपुरुष’ का ऑफर मिलाता तो भी वह इस फिल्म को नहीं करते.

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केवटजी उनके पूर्व जन्म में क्षीरसागर में एक कछुए थे। वह मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा से हमेशा नारायण प्रभु के आसपास उनके चरण स्पर्श करने की कोशिश करते रहते थे । केवट जी श्रीहरि के अनन्य भक्त थे पर शेषनाग जी ( लक्ष्मण जी) एवं माता लक्ष्मी जी ( माता सीता) ने उसे कभी यह मौका नहीं दिया। अगले कयी जन्मों तक यही सिलसिला चलता रहा। अपनी अनन्य भक्ति के कारण अब उन्होंने प्रभु को पहचानने की दिव्य दृष्टि प्राप्त कर ली थी। त्रेतायुग मे कछुए ने अब केवटजी के रूप मे जन्म लिया । और प्रभु श्रीराम जी माता जानकी और लक्ष्मण जी के साथ वनवास गमन हेतू गंगा किनारे आये तो केवट ने प्रभु को पहचान लिया।
और इसबार उन्होंने ठान ली की अब की बार तो प्रभु के चरण की सेवा करे बिना नही रहना। अहिल्यादेवी जो श्रीराम के चरण स्पर्श से शिला से नारी बनी इसबात
का वास्ता देकर उन्होनें श्रीराम जी से उनके चरण धोने की अनुमती बड़ी चतुराई पूर्वक ले ली। लक्ष्मण जी ने केवट की चतुराई पहचान ली पर इस बार केवट जी नही डरे और उन्होंने लक्ष्मण जी से कहा आप मुझे मार डालोगे तो भी मुझे लाभ ही होगा । सामने प्रभु , माता सीता और उनके प्रिय भाई हो , गंगा का किनारा हो ऐसी मृत्यु कौन नही चाहेगा। तब माता जानकी और लक्ष्मण जी के मुख पर मुस्कराहट आ गयी।
और केवट जी अत्याधिक भक्ति भाव से प्रभु के चरण पखारने लगे। यह अलौकिक दिव्य दृश्य देख सारे देवताओ आश्चर्य चकित होकर फूलो की वर्षा करने लगे।
आध्यात्मिक उन्नति की शुरूआत हम कभी भी कर सकते है । यह एक जन्म की बात नही है। सच्चे भक्त का भगवान से मिलन तय रहता है , पर समय तय नही रहता जय श्रीराम।

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भारत के पुरी मे मुख्य रूप से और अन्य जगन्नाथ भगवान के मंदिर मे आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को , भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा जी और भाई बलभद्र जी के साथ रथ पर बैठकर अपने भक्तो को दर्शन देते है। रथ के दर्शन करना और रथयात्रा मे सामिल होना बहुत शुभ माना जाता है। जय श्री भगवान जगन्नाथ जी की ।

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