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बाबा बैद्यनाथ मंदिर विश्व का एकमात्र शिवालय है जहां पर शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं. यही कारण है कि इसे शक्ति पीठ और हृदय पीठ भी कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस नगरी में आने से शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है. पुरोहित बताते हैं कि यहां पहले शक्ति स्थापित हुई उसके बाद शिवलिंग की स्थापना हुई है.
बाबा बैद्यनाथ मंदिर विश्व का एकमात्र शिवालय है जहां पर शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं. यही कारण है कि इसे शक्ति पीठ और हृदय पीठ भी कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस नगरी में आने से शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है. पुरोहित बताते हैं कि यहां पहले शक्ति स्थापित हुई उसके बाद शिवलिंग की स्थापना हुई है.
बाबा बैद्यनाथ मंदिर विश्व का एकमात्र शिवालय है जहां पर शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं. यही कारण है कि इसे शक्ति पीठ और हृदय पीठ भी कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस नगरी में आने से शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है. पुरोहित बताते हैं कि यहां पहले शक्ति स्थापित हुई उसके बाद शिवलिंग की स्थापना हुई है.
बाबा बैद्यनाथ मंदिर विश्व का एकमात्र शिवालय है जहां पर शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं. यही कारण है कि इसे शक्ति पीठ और हृदय पीठ भी कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस नगरी में आने से शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है. पुरोहित बताते हैं कि यहां पहले शक्ति स्थापित हुई उसके बाद शिवलिंग की स्थापना हुई है.
बाबा बैद्यनाथ मंदिर विश्व का एकमात्र शिवालय है जहां पर शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं. यही कारण है कि इसे शक्ति पीठ और हृदय पीठ भी कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस नगरी में आने से शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है. पुरोहित बताते हैं कि यहां पहले शक्ति स्थापित हुई उसके बाद शिवलिंग की स्थापना हुई है.




श्री हेमकुंड साहिब की खास बातें...
जब भी धरती पर सुंदरता की बात आती है तो सबसे पहला नाम कश्मीर का ही आता है, लेकिन भारत में कुछ ऐसी जगहें भी है जो किसी जन्नत से कम नहीं और ये जन्नत कश्मीर नहीं बल्कि कोई और जगह है।
हम बात कर रहे हैं, सिखों की अटूट आस्था के प्रतीक श्री हेमकुंड साहिब की. उत्तराखंड के चमौली में स्थित श्री हेमकुंड साहिब 15200 फीट की ऊंचाई पर बना है। श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा 6 महीने तक बर्फ से ढका रहता है।
श्री हेमकुंड साहिब अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है और यह देश के सबसे महत्वपूर्ण गुरुद्वारों में से एक हैं गुरुद्वारे के पास ही एक सरोवर है। इस पवित्र जगह को अमृत सरोवर अर्थात अमृत का तालाब कहा जाता है।
यह सरोवर लगभग 400 गज लंबा और 200 गज चौड़ा है। यह चारों तरफ से हिमालय की सात चोटियों से घिरा हुआ है। इन चोटियों का रंग वायुमंडलीय स्थितियों के अनुसार अपने आप बदल जाता है।
Sri Hemkund Sahib an amazing world-6
कुछ समय वे बर्फ सी सफेद, कुछ समय सुनहरे रंग की, तो कभी लाल रंग की और कभी-कभी भूरे नीले रंग की दिखती हैं।
इस पवित्र स्थल को रामायण के समय से मौजूद माना गया है कहा जाता है कि लोकपाल वही जगह है जहां श्री लक्ष्मण जी अपना मनभावन स्थान होने के कारण ध्यान पर बैठ गए थे। कहा जाता है कि अपने पहले के अवतार में गोबिंद सिंह जी ध्यान के लिए यहां आए थे।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी आत्मकथा बिचित्र नाटक में इस जगह के बारे में अपने अनुभवों का उल्लेख भी किया है। श्री हेमकुंड साहिब के बारे में कहा जाता है कि यह जगह दो से अधिक सदियों तक गुमनामी में रही, गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी आत्मकथा बिचित्र नाटक में इस जगह के बारे में बताया, तब यह अस्तित्व में आई।
Sri Hemkund Sahib an amazing world-7सिख इतिहासकार-कवि भाई संतोख सिंह (1787-1843) ने इस जगह का विस्तृत वर्णन दुष्ट दमन की कहानी में अपनी कल्पना में किया था। उन्होंने इसमें गुरु का अर्थ शाब्दिक शब्द 'बुराई के विजेता' के लिए चुना है।
प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में
हेमकुंड साहिब औपचारिक रूप से गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के रूप में जाना जाता है। ये स्थान भारत में देवभूमि उत्तराखंड के चमोली जिले में एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
यह जगह सिखों के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी (1666-1708) के लिए समर्पित है और इसका जिक्र दसम ग्रंथ में स्वयं गुरुजी ने किया है।
वहीं सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार, ये सात पर्वत चोटियों से घिरा हुआ एक हिमनदों झील के साथ 4632 मीटर (15,197 फीट) की ऊंचाई पर हिमालय में स्थित है।
इसकी सात पर्वत चोटियों की चट्टान पर एक निशान साहिब सजा हुआ है। यहां पर गोविन्दघाट से होते हुए ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग पर जाया जा सकता है। गोविन्दघाट के पास मुख्य शहर जोशीमठ है।
Sri Hemkund Sahib an amazing world-1
दरअसल हेमकुंड एक संस्कृत नाम है जिसका अर्थ है - हेम ("बर्फ" और कुंड ( "कटोरा" है। दसम ग्रंथ के अनुसार, यह वह जगह है जहां पांडु राजा अभ्यास योग करते थे।
इसके अलावा दसम ग्रंथ में यह कहा गया है कि जब पाण्डु हेमकुंड पहाड़ पर गहरे ध्यान में थे, तो भगवान ने उन्हें सिख गुरु गोबिंद सिंह के रूप में यहां पर जन्म लेने का आदेश दिया था।
पंडित तारा सिंह नरोत्तम जो उन्नीसवीं सदी के निर्मला विद्वान थे। हेमकुंड की भौगोलिक स्थिति का पता लगाने वाले वो पहले सिख थे, श्री गुड़ तीरथ संग्रह में जो 1884 में प्रकाशित हुआ था, इसमें उन्होंने इसका वर्णन 508 सिख धार्मिक स्थलों में से एक के रूप में किया है।
इसके बाद में प्रसिद्ध सिख विद्वान भाई वीर सिंह ने हेमकुंड के विकास के बारे में खोजकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
Sri Hemkund Sahib an amazing world-2
राजा पांडु की तपस्या और हेमकुंड
भाई वीर सिंह का वर्णन पढ़कर संत सोहन सिंह जो एक रिटायर्ड आर्मीमैन थे, ने हेमकुंड साहिब को खोजने का फैसला किया। वर्ष 1934 में वो सफल हो गए।
पांडुकेश्वर में गोविंद घाट के पास संत सोहन सिंह ने स्थानीय लोगों के पूछताछ के बाद वो जगह ढूंढ ली, जहां राजा पांडु ने तपस्या की थी और बाद में झील को भी ढूंढ निकला जो लोकपाल के रूप विख्यात थी।
हेमकुंड साहिब की सरंचना
1937 में गुरु ग्रंथ साहिब को स्थापित किया गया, जो आज दुनिया में सबसे ज्यादा माने जाने वाले गुरुद्वारे का स्थल है। 1939 में संत सोहन सिंह ने अपनी मौत से पहले हेमकुंड साहिब के विकास का काम जारी रखने के मिशन को मोहन सिंह को सौंप दिया,गोबिंद धाम में पहली संरचना को मोहन सिंह द्वारा निर्मित कराया गया था।
श्री हेमकुंड साहिब की खास बातें...
जब भी धरती पर सुंदरता की बात आती है तो सबसे पहला नाम कश्मीर का ही आता है, लेकिन भारत में कुछ ऐसी जगहें भी है जो किसी जन्नत से कम नहीं और ये जन्नत कश्मीर नहीं बल्कि कोई और जगह है।
हम बात कर रहे हैं, सिखों की अटूट आस्था के प्रतीक श्री हेमकुंड साहिब की. उत्तराखंड के चमौली में स्थित श्री हेमकुंड साहिब 15200 फीट की ऊंचाई पर बना है। श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा 6 महीने तक बर्फ से ढका रहता है।
श्री हेमकुंड साहिब अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है और यह देश के सबसे महत्वपूर्ण गुरुद्वारों में से एक हैं गुरुद्वारे के पास ही एक सरोवर है। इस पवित्र जगह को अमृत सरोवर अर्थात अमृत का तालाब कहा जाता है।
यह सरोवर लगभग 400 गज लंबा और 200 गज चौड़ा है। यह चारों तरफ से हिमालय की सात चोटियों से घिरा हुआ है। इन चोटियों का रंग वायुमंडलीय स्थितियों के अनुसार अपने आप बदल जाता है।
Sri Hemkund Sahib an amazing world-6
कुछ समय वे बर्फ सी सफेद, कुछ समय सुनहरे रंग की, तो कभी लाल रंग की और कभी-कभी भूरे नीले रंग की दिखती हैं।
इस पवित्र स्थल को रामायण के समय से मौजूद माना गया है कहा जाता है कि लोकपाल वही जगह है जहां श्री लक्ष्मण जी अपना मनभावन स्थान होने के कारण ध्यान पर बैठ गए थे। कहा जाता है कि अपने पहले के अवतार में गोबिंद सिंह जी ध्यान के लिए यहां आए थे।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी आत्मकथा बिचित्र नाटक में इस जगह के बारे में अपने अनुभवों का उल्लेख भी किया है। श्री हेमकुंड साहिब के बारे में कहा जाता है कि यह जगह दो से अधिक सदियों तक गुमनामी में रही, गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी आत्मकथा बिचित्र नाटक में इस जगह के बारे में बताया, तब यह अस्तित्व में आई।
Sri Hemkund Sahib an amazing world-7सिख इतिहासकार-कवि भाई संतोख सिंह (1787-1843) ने इस जगह का विस्तृत वर्णन दुष्ट दमन की कहानी में अपनी कल्पना में किया था। उन्होंने इसमें गुरु का अर्थ शाब्दिक शब्द 'बुराई के विजेता' के लिए चुना है।
प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में
हेमकुंड साहिब औपचारिक रूप से गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के रूप में जाना जाता है। ये स्थान भारत में देवभूमि उत्तराखंड के चमोली जिले में एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
यह जगह सिखों के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी (1666-1708) के लिए समर्पित है और इसका जिक्र दसम ग्रंथ में स्वयं गुरुजी ने किया है।
वहीं सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार, ये सात पर्वत चोटियों से घिरा हुआ एक हिमनदों झील के साथ 4632 मीटर (15,197 फीट) की ऊंचाई पर हिमालय में स्थित है।
इसकी सात पर्वत चोटियों की चट्टान पर एक निशान साहिब सजा हुआ है। यहां पर गोविन्दघाट से होते हुए ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग पर जाया जा सकता है। गोविन्दघाट के पास मुख्य शहर जोशीमठ है।
Sri Hemkund Sahib an amazing world-1
दरअसल हेमकुंड एक संस्कृत नाम है जिसका अर्थ है - हेम ("बर्फ" और कुंड ( "कटोरा" है। दसम ग्रंथ के अनुसार, यह वह जगह है जहां पांडु राजा अभ्यास योग करते थे।
इसके अलावा दसम ग्रंथ में यह कहा गया है कि जब पाण्डु हेमकुंड पहाड़ पर गहरे ध्यान में थे, तो भगवान ने उन्हें सिख गुरु गोबिंद सिंह के रूप में यहां पर जन्म लेने का आदेश दिया था।
पंडित तारा सिंह नरोत्तम जो उन्नीसवीं सदी के निर्मला विद्वान थे। हेमकुंड की भौगोलिक स्थिति का पता लगाने वाले वो पहले सिख थे, श्री गुड़ तीरथ संग्रह में जो 1884 में प्रकाशित हुआ था, इसमें उन्होंने इसका वर्णन 508 सिख धार्मिक स्थलों में से एक के रूप में किया है।
इसके बाद में प्रसिद्ध सिख विद्वान भाई वीर सिंह ने हेमकुंड के विकास के बारे में खोजकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
Sri Hemkund Sahib an amazing world-2
राजा पांडु की तपस्या और हेमकुंड
भाई वीर सिंह का वर्णन पढ़कर संत सोहन सिंह जो एक रिटायर्ड आर्मीमैन थे, ने हेमकुंड साहिब को खोजने का फैसला किया। वर्ष 1934 में वो सफल हो गए।
पांडुकेश्वर में गोविंद घाट के पास संत सोहन सिंह ने स्थानीय लोगों के पूछताछ के बाद वो जगह ढूंढ ली, जहां राजा पांडु ने तपस्या की थी और बाद में झील को भी ढूंढ निकला जो लोकपाल के रूप विख्यात थी।
हेमकुंड साहिब की सरंचना
1937 में गुरु ग्रंथ साहिब को स्थापित किया गया, जो आज दुनिया में सबसे ज्यादा माने जाने वाले गुरुद्वारे का स्थल है। 1939 में संत सोहन सिंह ने अपनी मौत से पहले हेमकुंड साहिब के विकास का काम जारी रखने के मिशन को मोहन सिंह को सौंप दिया,गोबिंद धाम में पहली संरचना को मोहन सिंह द्वारा निर्मित कराया गया था।