Ontdekken postsOntdek boeiende inhoud en diverse perspectieven op onze Ontdek-pagina. Ontdek nieuwe ideeën en voer zinvolle gesprekken
जगन्नाथ मन्दिर, पुरी
यह लेख आज का आलेख के लिए निर्वाचित हुआ है। अधिक जानकारी हेतु क्लिक करें।
श्री जगन्नाथ मंदिर
Temple-Jagannath.jpg
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धता सनातन हिन्दू धर्म
देवता भगवान जगन्नाथ
अवस्थिति जानकारी
अवस्थिति पुरी, ओडिशा
वास्तु विवरण
शैली कलिंग वास्तु
निर्माता कलिंग राजा अनंतवर्मन् चोडगंग देव
जीर्णोद्धारक - 1174 ई. में ओडिआ शासक अनंग भीम देव
स्थापित 12वीं शताब्दी
पुरी का श्री जगन्नाथ मन्दिर एक हिन्दू मन्दिर है, जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है।[1][2] इस मन्दिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मन्दिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है।[3] इस मन्दिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मन्दिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं। श्री जगन्नथपुरी पहले नील माघव के नाम से पुजे जाते थे। जो भील सरदार विश्वासु के आराध्य देव थे। अब से लगभग हजारों वर्ष पुर्व भील सरदार विष्वासु नील पर्वत की गुफा के अन्दर नील माघव जी की पुजा किया करते थे [4] । मध्य-काल से ही यह उत्सव अतीव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही यह उत्सव भारत के ढेरों वैष्णव कृष्ण मन्दिरों में मनाया जाता है, एवं यात्रा निकाली जाती है।[5] यह मंदिर वैष्णव परम्पराओं और सन्त रामानन्द से जुड़ा हुआ है। यह गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय के लिये खास महत्व रखता है। इस पन्थ के संस्थापक श्री चैतन्य महाप्रभु भगवान की ओर आकर्षित हुए थे और कई वर्षों तक पुरी में रहे भी थे।[
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास Mehandipur balaji temple history in hindi
मेहंदीपुर बालाजी यह भगवान हनुमान जी का एक मंदिर है, यह मंदिर भारत में राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है. यह मंदिर भगवान हनुमान जी को समर्पित है जोकि न सिर्फ़ हिन्दू के ही देवता है, बल्कि इनकी चमत्कारी शक्ति की वजह से सभी इनकी पूजा अर्चना करते है और इनमे आस्था रखते है. बालाजी भगवान हनुमान जी का दूसरा नाम है, भारत के कुछ भाग में बालाजी नाम से भी इनको बुलाया जाता है. बालाजी उनके बचपन का नाम है, इसका संस्कृत और हिंदी में भी उपयोग होता है. अन्य धार्मिक स्थानों की तरह यह शहर में स्थित है. बाला जी की मूर्ति में छाती के बाये तरफ एक छोटा सा छेद है, जिसमे से हमेशा पानी की एक पतली धारा बहते रहती है. इस पानी को एक टैंक में इकठ्ठा करके भगवान बाला जी के चरणों में रख कर लोगो में वितरित किया जाता है और सभी लोग इसे प्रसाद की तरह लेते है.
श्री खाटू श्याम जी भारत देश के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में एक प्रसिद्ध कस्बा है, जहाँ पर बाबा श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है। ये मंदिर करीब 1000 साल पुराना है जिसे 1720 में अभय सिंह जी द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया था[2] इस मंदिर में भीम के पौत्र और घटोत्कच के तीनों पुत्रों में से ज्येष्ठ पुत्र बर्बरीक के सिर की पूजा होती है। जबकि बर्बरीक के शरीर की पूजा हरियाणा के हिसार जिले के एक छोटे से गांव स्याहड़वा में होती है।
पहली बार किसी क्रिकेटर की पत्नी को सर पे पल्लू डाल साड़ी पहने स्टेडियम में देखा ❤️ ⚔️🚩
जीत हार चलती है।
जश्न और दुःख दोनो होते हैं।
लेकिन इस चकाचौंध और मॉडर्निटी के समय मे जडेजा की पत्नी का ये परिधान वास्तव में परिवार की अपनी ज़मीन व रीतिरिवाजों से जुड़े होने का दर्शन कराती है!
शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है। कहीं कहीं उनके 24 तो कहीं उन्नीस अवतारों के बारे में उल्लेख मिलता है। वैसे शिव के अंशावतार भी बहुत हुए हैं। हालांकि शिव के कुछ अवतार तंत्रमार्गी है तो कुछ दक्षिणमार्गी।
शिव के दसावतार:- 1. महाकाल, 2. तारा, 3. भुवनेश, 4. षोडश, 5. भैरव, 6. छिन्नमस्तक गिरिजा, 7. धूम्रवान, 8. बगलामुख, 9. मातंग और 10. कमल नामक अवतार हैं। ये दसों अवतार तंत्रशास्त्र से संबंधित हैं।
शिव के अन्य 11 अवतार जिन्हें रुद्र कहते हैं:- 1. कपाली, 2. पिंगल, 3. भीम, 4. विरुपाक्ष, 4. विलोहित, 6. शास्ता, 7. अजपाद, 8. आपिर्बुध्य, 9. शम्भू, 10.चण्ड तथा 11. भव।... उक्त रुद्रावतारों के कुछ शस्त्रों में भिन्न नाम भी मिलते हैं।
इन अवतारों के अलावा शिव के दुर्वासा, महेश, वृषभ, पिप्पलाद, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, अवधूतेश्वर, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, ब्रह्मचारी, सुनटनतर्क, द्विज, अश्वत्थामा, किरात, नतेश्वर और हनुमान आदि अवतारों का उल्लेख भी 'शिव पुराण' में हुआ है जिन्हें अंशावतार माना जाता है।
हालांकि भगवान शिव के 19 अवतारों की ज्यादा चर्चा होती है जो कि इस प्रकार हैं:-
1. वीरभद्र अवतार:- वीरभद्र को भगवान शिव का गण माना जाता है। यह अवतार उनकी जटा से उत्पन्न हुआ था। जब भगवान शिव के श्वसुर राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में माता सती ने अपनी देह का त्याग कर दिया था तब क्रोधवश भगवान शिव ने अपने सिर से एक जटा उखाड़ी और उसे पर्वत के उपर पटक दिया। उस जटा के पूर्वभाग से महाभंयकर वीरभद्र प्रगट हुए। शिव के इस अवतार ने दक्ष के यज्ञ का विध्वंस कर दिया और दक्ष का सिर काटकर शिव के सामने रख दिया था। बाद में भगवान शिव ने राजा दक्ष के सिर पर बकरे का सिर लगा कर उन्हें जिंदा कर दिया था।
2. पिप्पलाद अवतार:- कथा है कि पिप्पलाद ने देवताओं से पूछा- क्या कारण है कि मेरे पिता दधीचि जन्म से पूर्व ही मुझे छोड़कर चले गए? देवताओं ने बताया शनिग्रह की दृष्टि के कारण ही ऐसा कुयोग बना। पिप्पलाद यह सुनकर बड़े क्रोधित हुए। उन्होंने शनि को नक्षत्र मंडल से गिरने का श्राप दे दिया। श्राप के प्रभाव से शनि उसी समय आकाश से गिरने लगे। देवताओं की प्रार्थना पर पिप्पलाद ने शनि को इस बात पर क्षमा किया कि शनि जन्म से लेकर 16 साल तक की आयु तक किसी को कष्ट नहीं देंगे। तभी से पिप्पलाद का स्मरण करने मात्र से शनि की पीड़ा दूर हो जाती है।
3. नंदी अवतार:- कथा अनुसार शिलाद नामक एक मुनि ब्रह्मचारी थे। वंश समाप्त होता देख उनके पितरों ने शिलाद से संतान उत्पन्न करने को कहा। शिलाद ने अयोनिज और मृत्युहीन संतान की कामना से भगवान शिव की तपस्या की। तब शिव के वरदान से कुछ समय बाद भूमि जोतते समय शिलाद को भूमि से उत्पन्न एक बालक मिला। शिलाद ने उसका नाम नंदी रखा। शिव ने नंदी को अपना गणाध्यक्ष बनाया। मरुतों की पुत्री सुयशा के साथ नंदी का विवाह हुआ।
4. भैरव अवतार:- कथा अनुसार एक बार ब्रह्मा और विष्णु स्वयं को श्रेष्ठ मानने लगे। इसी दौरान वहां तेज-पुंज के मध्य एक पुरुषाकृति दिखलाई पड़ी। उन्हें देखकर ब्रह्माजी ने कहा- चंद्रशेखर तुम मेरे पुत्र हो। अत: मेरी शरण में आ जाओ। ब्रह्मा की ऐसी बात सुनकर भगवान शिव को क्रोध आ गया। उन्होंने उस पुरुषाकृति से कहा- काल की भांति शोभित होने के कारण आप साक्षात कालराज हैं। भीषण होने से भैरव हैं। भगवान शंकर से इन वरों को प्राप्त कर कालभैरव ने अपनी अंगुली के नाखून से ब्रह्मा के पांचवे सिर को काट दिया। ब्रह्मा का पांचवा सिर काटने के कारण भैरव ब्रह्महत्या के पाप से दोषी हो गए। काशी में भैरव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली। शिव महापुराण में भैरव को भगवान शंकर का पूर्ण रूप बताया गया है।
5. अश्वत्थामा:- अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम व भगवान शंकर के अंशावतार थे। महाभारत में गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ही एकमात्र ऐसे योद्धा थे जो युद्ध को कोरवों के पक्ष में करने की क्षमता रखते थे, लेकिन उन्हें युद्ध के अंत में सेनापति बनाया गया था। द्रोणाचार्य ने भगवान शिव को पुत्र रूप में पाने की लिए घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसंन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि वे उनके पुत्र के रूप में अवतीर्ण होंगे। समय आने पर सवन्तिक रुद्र ने अपने अंश से द्रोण के बलशाली पुत्र अश्वत्थामा के रूप में अवतार लिया। ऐसी मान्यता है कि अश्वत्थामा अमर हैं तथा वह आज भी धरती पर ही निवास करते हैं।
6.शरभावतार:- भगवान शिव का छटा अवतार है शरभावतार। शरभावतार में भगवान शंकर का स्वरूप आधा मृग तथा शेष शरभ पक्षी (पुराणों में वर्णित आठ पैरों वाला जंतु जो शेर से भी शक्तिशाली था) का था।
लिंगपुराण में शिव के शरभावतार की कथा है, उसके अनुसार हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंहावतार लिया था। हिरण्यकशिपु के वध के पश्चात भी जब भगवान नृसिंह का क्रोध शांत नहीं हुआ तो देवता शिवजी के पास पहुंचे। तब भगवान शिव ने शरभावतार लिया और वे इसी रूप में भगवान नृसिंह के पास पहुंचे तथा उनकी स्तुति की, लेकिन नृसिंह की क्रोधाग्नि शांत नहीं हुई। यह देखकर शरभ रूपी भगवान शिव अपनी पूंछ में नृसिंह को लपेटकर ले उड़े। तब कहीं जाकर भगवान नृसिंह की क्रोधाग्नि शांत हुई। तब उन्होंने शरभावतार से क्षमा याचना कर अति विनम्र भाव से उनकी स्तुति की।
When it comes to showcasing your products in a stylish and eye-catching manner, trust the expertise of Advanced Displays, the premier counter metal display stand manufacturers. With their commitment to superior craftsmanship and innovative designs, Advanced Displays offers a wide range of counter metal display stands that are perfect for retail environments, trade shows, exhibitions, and more.
Visit: https://www.advanceddisplays.com.au/