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भारत माँ का वीर सपूत, हर हिदुस्तानी को प्यारा हैं
कुँअर प्रताप जी के चरणों में, सत सत नमन हमारा हैं.
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
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धन्य हुआ रे राजस्थान,जो जन्म लिया यहां प्रताप ने।
धन्य हुआ रे सारा मेवाड़, जहां कदम रखे थे प्रताप ने॥
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
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जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी। फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी॥
महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं
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एक ऐसा मंदिर जिसे इंसानों ने नहीं बल्कि भूतों ने बनाया था? भगवान शिव का प्राचीन मंदिर । मुस्लिम शासकों ने इसे तोड़ने के लिए गोले तक दागे, लेकिन ग्वालियर चंबल अंचल के बीहड़ों में बना सिहोनिया का ककनमठ मंदिर आज भी लटकते हुए पत्थरों से बना हुआ है । चंबल के बीहड़ में बना ये मंदिर 10 किलोमीटर दूर से ही दिखाई देता है. जैसे-जैसे इस मंदिर के नजदीक जाते हैं इसका एक एक पत्थर लटकते हुए भी दिखाई देने लगता है. जितना नजदीक जाएंगे मन में उतनी ही दहशत लगने लगती है. लेकिन किसी की मजाल है, जो इसके लटकते हुए पत्थरों को भी हिला सके. आस-पास बने कई छोटे-छोटे मंदिर नष्ट हो गए हैं, लेकिन इस मंदिर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. मंदिर के बारे में कमाल की बात तो यह है कि जिन पत्थरों से यह मंदिर बना है, आस-पास के इलाके में ये पत्थर नहीं मिलता है.
इस मंदिर को लेकर कई तरह की किवदंतियां हैं. पूरे अंचल में एक किवदंती सबसे ज्यादा मशहूर है कि मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था. लेकिन मंदिर में एक प्राचीन शिवलिंग विराजमान है, जिसके पीछे यह तर्क दिया जाता है कि भगवान शिव का एक नाम भूतनाथ भी है. भोलेनाथ ना सिर्फ देवी-देवताओं और इंसानों के भगवान हैं बल्कि उनको भूत-प्रेत व दानव भी भगवान मानकर पूजते हैं. पुराणों में लिखा है कि भगवान शिव की शादी में देवी-देवताओं के अलावा भूत-प्रेत भी बाराती बनकर आए थे और इस मंदिर का निर्माण भी भूतों ने किया है.
कहा जाता है कि रात में यहां वो नजारा दिखता है, जिसे देखकर किसी भी इंसान की रूह कांप जाएगी. ककनमठ मंदिर का इतिहास करीब एक हज़ार साल हजार पुराना है. बेजोड़ स्थापत्य कला का उदाहरण ये मंदिर पत्थरों को एक दूसरे से सटा कर बनाया गया है. मंदिर का संतुलन पत्थरों पर इस तरह बना है कि बड़े-बड़े तूफान और आंधी भी इसे हिला नहीं पाई. कुछ लोग यह मानते हैं कि कोई चमत्कारिक अदृश्य शक्ति है जो मंदिर की रक्षा करती है. इस मंदिर के बीचो बीच शिव लिंग स्थापित है. 120 फीट ऊंचे इस मंदिर का उपरी सिरा और गर्भ गृह सैकड़ों साल बाद भी सुरक्षित है.
इस मंदिर को देखने में लगता है कि यह कभी भी गिर सकता है.. लेकिन ककनमठ मंदिर सैकडों सालों से इसी तरह टिका हुआ है यह एक अदभुत करिश्मा है. इसकी एक औऱ ये विशेषता है..कि इस मंदिर के आस पास के सभी मंदिर टूट गए हैं , लेकिन ककनमठ मंदिर आज भी सुरक्षित है.